दिलों का आलम
दिलों का आलम


यहां हर आशिक़ के
चेहरों पे छाई है,
एक अजनबी सी मायूसी।
सुर्ख होठों पे,
बने है जख्मों के निशान।
गमों के बादल सी बहती है,
इनकी आंखे ।
इस मोहब्बत की आग में,
जल रहे हैं वो ।
और उन्हें क्या पता,
दिलों का आलम।
यहां हर आशिक़ के
चेहरों पे छाई है,
एक अजनबी सी मायूसी।
सुर्ख होठों पे,
बने है जख्मों के निशान।
गमों के बादल सी बहती है,
इनकी आंखे ।
इस मोहब्बत की आग में,
जल रहे हैं वो ।
और उन्हें क्या पता,
दिलों का आलम।