प्यार ही तो है
प्यार ही तो है
तुमसे है प्यार
और तुम जन्म – जन्मांतर की
दोस्त हो .
तुम्हारे और मेरे
इस पवित्र प्यार के बीच
भला गरीबी – अमीरी का
क्या काम ?
उम्र,जाति-धर्म का
क्या अर्थ ?
प्यार तो कल- कल बहनेवाली
पहाड़ी झरने का पानी है नीले आसमान की तरह अनंत
दरिया के जैसा गहरा
इतना सुन्दर की
कमल को ईर्षा हो ,
सुगंध से
महकाते है चारों दिशा.
फिर—-
अपनी पहचान
लोगों के सामने दिखाने के लिए
प्यार को जरुरत ही क्या ?