तेरी याद
तेरी याद
वो आकर मेरे दर पर आवाज़ देती है और चली जाती है
फिर तेरी याद भी आती है और आकर चली जाती है
मेरी आँखों से आँखें मिलते ही उसकी ऑंखें नम हो जाती है
फिर वो मुझसे अपनी नज़रों को चुराती है और चली जाती है
ज़िन्दगी की भाग दौड़ मेरे बने बनाये बाल बिगाड़ती है
फिर वो मेरे बाल बनाती है और चुपचाप चली जाती है
मुझे चिढ़ाने के ख़ातिर चाँद के साथ अठखेलियाँ करती है
और चांदनी मेरा दर्द बढ़ाती है और फिर चली जाती है
ये मोहब्बत भी कितनी अजीब चीज़ है " प्रखर " ,
मेरी शाम के चंद लम्हों को सजाती है और चली जाती है !