हैचरी के चूज़े
हैचरी के चूज़े
डाo रमेश कुमार
हिंदी अनुवाद: मोहनजीत कुकरेजा
आप
अगर चाहते हैं
कि
आपके क़द से ऊंचा हर वृक्ष
काट दिया जाए
और बादल
सिर्फ़
आपकी छत के नीचे ही गरजे.
गाँव देहात के खाद-कूड़े के ढेर पर
शोर मचाते
देसी मुर्गों की
नसबंदी करा दी जाए
और
पूरी क़ौम
हैचरी से निकले चूज़ों की तरह
बस
चूँ चूँ, चूँ चूँ ही करे !
हाँ,
चूँ चूँ, चूँ चूँ ही तो कर रहे हैं
हम सभी
हाँ हाँ, हाँ हाँ करते
और जी जी-जी जी कहते...
मुर्गी-ख़ाने से निकलती
चूँ चूँ, चूँ चूँ ही तो है
चारों तरफ़
आवाज़ कोई नहीं
काश
-कोई बांग दे सकता...!