बताना पड़ गया
बताना पड़ गया
ज़ख़्म फिर उसको दिखाना पड़ गया,
अना को भी अपनी मिटाना पड़ गया।
वो नूर-नज़र जो उसकी पहुँची हम तक,
अश्क़ फिर आँखो से हटाना पड़ गया।
टूटे न कही ख़ुशनुमा वहम उस दिल का,
तबस्सुम को लबों पर टिकाना पड़ गया।
वो यूँ आए अयादत को मेरी *कश* ,
के राज़ फिर दिल का बताना पड़ गया।