kashmala sheikh

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कहानी

कहानी

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खूबसूरत अरबदा-जू पर कहानी चाहिए

सोचता हूँ बंदिशे सानी लगानी चाहिए


गर ज़रूरी है मुहब्बत का जताना यार तो 

जान-ए-जाँ फिर से मुझे इक ज़िन्दगानी चाहिए


है समा कुछ और भी महबूब अर जाँ के सिवा,

मात हो गुलज़ार कुछ ऐसी जवानी चाहिए


यूँ बहुत हैं जानते हम नग़्ममी की शायरी 

बात में अपनी हमें सिमटी रवानी चाहिए


बे-मुरव्वत है यहाँ पर बादशाहत मेघ की

ता-क़यामत ज़ुल्फ़ ‘कश’ गहरी गिरानी चाहिए



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