इनायत
इनायत
मोहब्बत नही तो बगावत ही सही,
तेरे वास्ते यार अदावत ही सही।
बहुत बनाए हैं महलों के मलबे यहाँ,
इस बार तो कोई इमारत ही सही।
खत्म हुआ दुश्मनी का रिश्ता ही,
अब तो तेरे साथ सख़ावत ही सही।
हम भी चलेंगे कोई चाल नई सी,
उनके हाथों में महारत ही सही।
काश हो जाए पूरी हर उम्मीद यहाँ,
नहीं इश्क़ तो फिर इनायत ही सही।