एक पल
एक पल
सोचूं उसे मैं शामों सहर में
चाहूं उसे मैं हर एक पहर में
जीना नहीं मुझे उसके बिना
एक पल भी
एक पल.....
सोचूं उसे में शामों सहर में
चाहूं उसे मैं हर एक पहर में
हर कदम पे थी जिसकी तलाश
वो तो अब हर पल मेरे पास
जिंदगी में
जिंदगी...
सोचूं उसे मैं शामों सहर में
चाहूं उसे मैं हर एक पहर में
वो मिले ना मिले जिंदगी में
उसकी है हर कमी मेरे दिल में
हर घड़ी
हर एक पल....
सोचूं उसे मैं शामों सहर में
चाहूं उसे मैं हर पहर में
जीना नहीं मुझे उसके बिना
एक पल भी
एक पल..।।