भुलक्कड़
भुलक्कड़
मैं लिखूंगा कविता कोई बढ़िया
रात भर शीर्षक सोचता रहा और
फिर सुबह होते ही भूल गया।
सोचा जाने दो कुछ भी अलग सा
बनाकर फिर लिख लेता हूँ
लिखता रहा मैं दिन भर
फिर रात होते ही भूल गया।
बड़े दिनों बाद पोस्ट किया एक कविता
किसी कविता नाम की लड़की को
नाम पूछी वो मुझसे कि तुम कौन हो
पर मैं अपना नाम बताना भूल गया।
बड़ी मुश्किल से लिखा इस बार
पढ़े, लाईक और कमेंट करें
फिर ना कहना कि मेरे जैसे कि
लाईक और कमेंट करना भूल गए।
हमारा क्या हम तो मशहूर है बड़े
कोई कहता है हम घूमते बहुत है
इसलिए बड़े ही घुम्मकड़ है
पर उन्हें कौन बताए कि हम
घुम्मकड़ नहीं बल्कि भुलक्कड़ है।