"हास्य"
"हास्य"
मन के लड्डू खावं भैया,
मन के लड्डू खावं।
खा पी के सो जावं भैया,
मन के लड्डू खावं।
थोड़ों सो जीवन है भैया,
खूवै मौज उड़ाओं।
काम निकालो, बड़ी जुगत से,
पाछे से भग आओं।
काम करवें से थकान होत है,
अपनों शरीर बचाओं।
पंगत, दावत जहां भी पाओं,
दो दिन को खा आवं।
भैया मन के लड्डू खावं,
खा पी के सो जावं भैया।
मन के लड्डू खावं।।