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Sonam Kewat

Action

4.5  

Sonam Kewat

Action

एक मुलाकात जरूरी है

एक मुलाकात जरूरी है

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52


रातों की नींद का उड़ जाना 

हर बातों का तेरी तरफ मुड़ जाना 

तेरे कदमों का मेरी तरफ उठाना 

और उठते उठते ही रुक जाना 


तेरे नाम के अलावा कुछ भी पता नहीं 

लगता है जैसे सब कुछ जानती हूं 

हां, तेरा अपना कुछ नजरिया होगा

दो तरफा किस्सा है मानती हूं 


तुम ना बोलो तो ना सही

जो सुना मैंने चलो वो सुनाती हूं

आखिर क्यों हो रहा हैं सब पता नहीं 

जो मुझे लगा वो बतातीं हूं 


यूं लगा कि मर रहे हो घुट घुट कर 

चलो खुली हवा में सांस लेना सिखाती हूं

कुछ दिन मिले तो ही सही

चलो मैं तुम्हें जीना सिखाती हूं  


तेरे हालातों का हिस्सा बना ले मुझे 

देखना सब खुद व खुद सही हो जाएगा 

Ego तो मुझमें भी है बाकियों के लिए 

पर तुझ तक वो अहंकार नहीं आएगा 


इसलिए अंधेरे से बाहर निकाल खुद को 

तेरे कर्म का फल था जो तूने पाया है 

हाथ पकड़ उसका जो तुझे दिखता नहीं 

वो देख महादेव ने तुझे बुलाया है&nbs

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सही वक्त का इंतजार करते-करते 

ऐसा ना हो कि वक्त भी निकल जाए 

ज्यादा वक्त नहीं होता हर किसी के पास 

ऐसा ना हो कि वक्त भी बेवक्त हो जाए 


मैं नहीं कहती कि बांध ले मुझे खुद से 

पर सच है कि मैं बंध गई हूं तुझसे 

कोई शिकायत नहीं है तेरी तरफ

सारा गिला शिकवा हैं सिर्फ उससे 


कैद करते हैं जंगली जानवरों को 

शेर के पैरों में जंजीर देखा है क्या 

समाज बांधता है रीति रिवाजों को 

धर्म को बांधते हुए कभी देखा है क्या 


मैं नहीं कहती कि बगावत करना है 

मुझे तो सबको साथ लेकर चलना है 

सौ मुलाकात नहीं तो ना सही 

एक ही मुलाकात में बहुत कुछ कहना है


तू कह देना मुझसे फिर से कि 

फालतू बातें दिमाग़ में लाना बंद करो

और अगर गलत लग रही हूं मैं तो 

मेरी गलतफहमियों को दूर करो


चाह तुझे भी है चाह भी है

फिर आखिर क्यों ये दूरी हैं

बहुत कुछ कहना है तुझसे इसलिए

एक मुलाकात जरूरी है 


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