मुझे प्यार नहीं प्रेम चाहिए
मुझे प्यार नहीं प्रेम चाहिए
वह प्यार नहीं चाहिए
जो अधूरा रह जाए
मुझे तो वो प्रेम चाहिए
जो बस पूरा हो जाए
बन गई मैं इस प्रेम में जोगन
तुझसे भी कुछ ऐसी आस हैं
तू तो खुद चलकर आएगा पास मेरे
यही मेरा विश्वास है
पर आने से पहले ये समझ लेना
फिर लौट जाने का रास्ता नहीं है
तेरा और मेरा एक होना तो तय हैं
इस प्रेम में वास्ता यही हैं
सत, त्रेता और द्वापर युग का
ढाई अक्षर पढ़ कर आना
बस उनके जैसे ही प्रेम को
अपने हृदय में भरकर लाना
राम की तरह चल पाए अगर
तो मैं सीता सा साथ निभाऊंगी
तुम प्रेम से हाथ बढ़ा कर आगे चलना
मैं खुद पर खुद पीछे चल कर आऊंगी
सारी गोपिया तुम्हारे होंगी पर
तुम्हारा अटूट प्रेम मेरा होगा
मीरा का प्रेम अधूरा तो क्या
राधा को मिला वो कृष्णा मेरा होगा
तुम पुरुष बनना चाहो अगर
तो मैं प्रकृति बन जाऊंगी
तुम शिव सा अधूरा सा रहना
मैं शक्ति बनकर मिलने आऊंगी
पर अब शर्त ये है कि,
प्रेम ऐसा होना चाहिए जो
लंका जाकर सीता को ले आए
प्रेम ऐसा होना चाहिए जो
बिना मिले भी राधा को होना चाहे
प्रेम वो चाहिए जो
सती से पार्वती के सफर में चल पाए
इस कलयुग में
चाहिए प्रेम ऐसा
जो हर युग में मिसाल बन जाए।