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Sonam Kewat

Inspirational

4  

Sonam Kewat

Inspirational

प्रेम

प्रेम

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प्रेम में मांगा नहीं जाता, मिल जाता है।

प्रेम में लिया नहीं जाता, दिया जाता है। 

प्रेम करना भी कोई कबीरा से सीखे,

ढाई अक्षर पढ़ने वाला भी प्रेम सीख जाता है।


तो क्या है ये प्रेम ?


सहजता से जीना भी प्रेम 

शान से मरना भी प्रेम 

किसी का हो जाना भी प्रेम 

किसी में खो जाना भी प्रेम 

जिस्म से परे हो जाना भी प्रेम 

जो रूह में उतर जाए वो भी प्रेम 

तुम ना का पाओ वो भी प्रेम 

मैं सुन जाऊं वो भी प्रेम 

तुम्हारे हर तरीके में प्रेम 

मेरे हर सलीखे में प्रेम 

तुम्हारे दूर जाने में प्रेम 

मेरा तुम्हारे पास आने में प्रेम 

मेरे हर शब्दों में प्रेम 

तुम्हारे निशब्दों में प्रेम 

जो तुम समझाते हो वो प्रेम 

जो मैं नहीं समझती वह प्रेम 

तो क्यों रहते हो प्रेम नहीं?

जो तुमने किया वो भी प्रेम

और जो मैंने किया वो भी प्रेम।


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