भावना कुकरेती

Abstract Romance

3.5  

भावना कुकरेती

Abstract Romance

वो और मैं - 3

वो और मैं - 3

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वो-जानती हो बेहद ख़फ़ा था मैं उन सबसे।

मैं-हम्म...फिर?

वो- एक दिन उठायी अपनी दुनिया और अलग निकल गया।

मैं- तो अब इतने खाली खाली क्यों हो?

वो- बी तुम चौंका देती हो? तुमने कैसे जाना?

मैं- तुम्हें गौर से पढ़ती हूँ बस..।

वो-बी...मैंने बहुत बड़ी गलती की पर तब दम घुटता था।

मैं- दम वाकई घुटता था या....अपना राज चाहिए था?

वो-बी ...समय छल गया मुझे।

मैं-हम्म..होता है ऐसा जब हम अपनी इच्छाओं को वरीयता देते है।

वो-तब सही लगता था बी लेकिन अब सोचता हूँ कुछ सब्र और कर लेता!!

मैं-कोई नहीं जो बीत गया सो बीत गया।

वो-थैंक्स बी, मन हल्का हुआ।

मैं-ऐनी टाइम बडी


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