लेडीज टॉक
लेडीज टॉक


एक फसाना जो काफी लोगों को जाना पहचाना या सुना हुआ लगेगा।
"एक्सक्यूज मि..आप भावना हैं न !?" ,"जी ..आप कौन?... मैने पहचाना नहीं ? ","आशुतोष उपाध्याय, लखनऊ यूनिवर्सिटी ,साइलेंट बंदा!!?"
"....???!!!"
"अनुपमा, सारिका ,राजेश..वाला ग्रुप ..."
" जी ..जी अनुपमा वगैरह तो याद आए पर आप?!
कुछ देर बाद हम ठहाके लगा रहे थे।मेरा बेटा और आशुतोष की बिटिया अपने अपने क्लास की टीचर्स और उनके टीचिंग स्टाइल को लेकर गंभीर चर्चा कर रहे थे।
"आप , तब बहुत गंभीर और चुपचाप रहते थे अब तो आप काफी .."
"ये आपके लिए मैं भी कह सकता हूं"और फिर एक जोर का ठहाका..
"ओ कम ऑन डैड.. इट्स पब्लिक प्लेस यार!" आशुतोष कि बिटिया लाड से डपटने के अंदाज में बोली।
कुछ ही समय बाद हम लोग अपने अपने घर लौट गए।
"मां आपने हंसिका के पापा का नंबर लिया?"
" नहीं ..क्यों?"
"अरे यार मां तुम भी न ..."
"क्या हो गया?!"
"मां , हंसिका को मुझे अपने बर्थडे पर बुलाना था।"
"ओह ..सॉरी "
"वैसे उसने बताया था की वो अमन इनक्लेव में रहती है।अंकल का सरनेम क्या था जरा बताना तो?"
"सॉरी बेटा याद नहीं"
"क्या मां, क्या हो आप... भुल्लकड़ नंबर वन.. यू नो वो टॉपर है ... शी कैन गाइड मि.. बट नाउ..." बेटे का मुंह लटक गया।
मैने अनुपमा को फोन मिलाया और आशुतोष जी के बारे में पूछा ।संयोग से वे सब हाल ही में एक दूसरे के संपर्क में फिर से थे ।
"ये लो ये है एड्रेस और फोन...बुला लो।"
"मां!!!...अभी तो आप कह रहे थे की... नेवर माइंड "
बेटे की उंगलियां फोन के टचस्क्रीन पर तेजी से चली और बिटिया के साथ पूरी फैमिली इनवाइट हो गई।
अब लगभग हर तीज त्योहार पर दोनो परिवार साथ ही होते। इनके साथ आशुतोष की और मेरे साथ वेदांतिका (आशुतोष की पत्नी) की अच्छी बॉन्डिंग हो गई थी। वेदांतीका डेंटिस्ट थी और अच्छा प्रैक्टिस करती थी।
एक दिन मैं स्कूल में थी की वेदांतिक का फोन आया "हेलो भावना घर कब पहुंचोगी?"
"दो ढाई बज जाते हैं ..क्यों? "
"ठीक है तीन बजे आती हूं.. सम लेडिज टॉक जैसा समझ लो "
उसकी आवाज में एक अजीब सी सीरियसनेस थी।
तीन बजे डोर बेल बजी,वेदांतिका आई। सीधे मुझे बेडरूम में ले आई।
" भावना, मुझे ये तो पता है की आशुतोष और तुम एक साथ यूनिवर्सिटी में पढ़े हो, पर एक दूसरे को कितना जानते हो? "
"मतलब?!"
"मतलब की ..तुम भले आशुतोष के ग्रुप में नहीं थीं फिर भी आशुतोष और उसके सारे फ्रेंड्स तुमको बहुत एप्रिशिएट करते हैं की तुम सभी लड़कियों में बहुत जेनुइन और साफ बोलने वाली हो।"
"में कुछ समझ नहीं पा रही की तुम ..", "भावना....बस ये बताओ की तुम उसके ग्रुप की लड़कियों को तो पहचानती होगी न?!"
"हां .. पर "
वेदांतिका ने अपने पर्स से कुछ फोटोग्राफ निकाली।
"ये ..ये सारिका है न ?"
मैने अपना चश्मा सही किया और देखा ,झलक तो सारिका की ही थी।
मैं सोचने लगी , क्या बात है !! क्या मेंटेन किया है खुद को सारिका ने ।तस्वीरों में सिर्फ ३२- ३५ की दिख रही है।
"अरे हां ये तो सारिका ही है ..कितने सालों बाद देखा इसे " में बहुत खुश सी होगई
मगर इधर वेदांतिका ने अपना सर पकड़ लिया और बेचैन हो कर इधर उधर टहलने लगी।मैने गौर किया की आशुतोष भी उन तस्वीरों में है।और ये तस्वीरें अलग अलग एंगल से पर एक ही जगह की थीं ।दोनो हंसते हुए , बात करते, हाथ मिलाते हुए,बाय करते दिख रहे हैं ।
"ओके देन...थैंक यू भावना,चलती हूं।"
"वेदांतिका ..एक मिनट!! "
मैने वेदांतिका को रोका । मुझे लगा की जिस तरह से अभी तक जो सब हुआ वो नॉर्मल नहीं है। मुझे लगा की कुछ गडबड है।
"वेदा.. मैं कुछ कुछ समझ रही हूं..थोड़ा रुको ..बताओ क्यों ये तस्वीरें और ये बेचैनी "
"कुछ नहीं भावना , मेरी किस्मत ही खराब है..आशुतोष की तो आदत है बातें छुपाने की ..ऊपर से सारिका का आना ... तुम्हे तो भनक होगी न...ये उसका फर्स्ट क्रश... डू यू नो अबाउट मिड लाइफ क्राइसिस? ..यू नो कुछ समय से आशुतोष डिफरेंट लग रहा है.. इट्स बीन मंथ्स व
ी हेवेंट हैड...सो मैंने प्राइवेट इन्वेस्टीगेटर हायर किया था और नाउ सी ऑल दिस रबिश .." वो गुस्से में आग बबूला हो रही थी । मैने बहुत शांत भाव से कहा
"वेदांतिका..आशुतोष और सारिका के बीच कभी ऐसा उल्टा सीधा कुछ नहीं रहा।"
"लेकिन उसने मुझे बहुत डिटेल में बताया था की वो सारिका को बहुत पसंद ...ही यूज्ड टू पिक एंड ड्रॉप हर... इवन दे वेंट फॉर एक्सकर्शन मल्टीपल टाइम"
"वेदा .. येस मल्टीपल टाइम बट विद ऑल ऑफ अस..बाकी मैं समझ रही हूं कि तुम्हे आशुतोष जी का उनके क्रश के साथ फिर कनेक्शन होता दिखा है तो...तुम ऑब्वियसली बहुत कुछ फील कर रही होगी। मगर सारिका की तरफ से ऐसा कभी कुछ रहा ही नहीं।
"कैसे कह सकती हो तुम , देखो .. आपस में कितना कंफर्टेबल दिख रहे हैं।"
"वेदा ध्यान से सुनो सारिका ने जब एडमिशन लिया था वो ऑलरेडी मैरिड थी और प्रेगनेंट थी।उसके हबी हमारे यूनिवर्सिटी में ही एडहॉक पर लेक्चरर थे । मदरली नेचर था उसका, हम सबके साथ एक सा व्यवहार था। आशुतोष ही क्यों सभी बॉयज गर्ल्स भी उसकी बहुत रिस्पेक्ट करते थे। बाकी ये तो मुझे तुमने बताया की वो आशुतोष का क्रश थी।"
"वहीं न..पहला प्यार ..कुछ नहीं दिखता न शादीशुदा होना न दस बच्चों की मां होना " "अरे रुको भई..तुम ज्यादा ही सोच रही हो... डीयर एक उम्र में किसी पर क्रश होना नॉर्मल बात है।"
"ओके अग्रीड ...लेकिन ऐसे छुप छुप के मिलना.."
"बुरा न मानो तो मैं एक बात कहूं?"
मैने वेदांतिका को टोकते हुए कहा ," सिर्फ इसलिए की आशुतोष जी तुमसे कह नहीं पा रहे तो वो तुम्हारी नजर में कुछ गलत रास्ते ...बहरहाल जिस जमाने में हम रह रहे हैं, वहां ज्यादातर स्मार्ट या ...सेंसिबल लोग कह लो.. अपने लाइफ पार्टनर के नेचर के अकॉर्डिंग अपनी सोशल लाइफ रखते हैं। "
वेदांतिका ने बड़े ही अजीब ढंग से मुझे देखा।
"तुम शायद भूल गई होंगी। पर तुम्ही ने मुझे बताया था हमारी पहली मुलाकात पर की आशुतोष जी के साथ पहले भी तुम्हारी इनसिक्योरिटी रही हैं...पक्का तो नहीं कह पाऊंगी पर जितना तुम दोनो का इक्वेशन समझा उसके बेस पर कह रही हूं की शायद.... इस इनसेक्योरिटीज की वजह से भी वे तुम्हे सारिका से दुबारा कॉन्टैक्ट होने के बारे में खुल कर न बता पा रहे हों ।"
" अच्छाsss...पहले खूब चटखारे ले कर अपनी कॉलेज लाइफ के बारे में बता सकते थे अब नहीं बता पा रहे...खैर रहने दो । हो तो तुम भी उन्ही की दोस्त न "
एक सांस में वह बोल गई।फिर उसे कुछ लगा तो तुरंत बोली " सॉरी पर आंखो देखी मक्खी निगली नहीं जाती" कह कर वह जाने के लिए उठी।
"वेदांतिका सुनो ..अपनी शादी शुदा जिंदगी को इन फिजूल तस्वीरों की आंच पर झुलसाओ नहीं।"
वह मुड़ी और एकटक मुझे देखने लगी।
"जानती हूं इस वक्त तुम्हे सब बेमायनी बातें लगेंगी। पर आशुतोष जी को समय और स्पेस दो। क्या पता वो खुद तुम्हे बताए । सोचना इस बारे में । तुम दोनो की बिटिया ग्रेजुएशन में है।कुछ साल बाद उसके हाथ भी पीले करने हैं।आशुतोष जी इतने भी ..."
वेदांतिका ने मेरी बात पूरी सुनी या नहीं पता नही पर वो तेजी से चली गई।
काफी समय बाद एक दिन अचानक फोन आया ।
"हेलो भावना , तुम सब इनवाइटेड हो ! समय से आ जाना । नो बहाना ओके!!" फोन के दूसरी ओर से आशुतोष जी कह रहे थे।
शादी की २० वीं सालगिरह पर वेदांतिका और आशुतोष दोनो किसी नव दंपत्ति से कम नहीं लग रहे थे।हंसिका भी खूब इतरा रही थी। हमे आया देख दोनो ने हाथ हिलाया।
बहुत अच्छा माहौल था। काफी गेम्स हुए । कपल डांस में सबने बहुत एंजॉय किया।केक काटने की रस्म में अचानक से वेदांतिका चहक उठी और उसने आशुतोष की और देखा आशुतोष भी एंट्री की ओर देख कर खिल उठा।हम लोगों ने पलट कर देखा तो सारिका और उसका पूरा परिवार आ रहा था । सारिका की गोद में एक दुदमुही बच्ची..उसकी पोती थी। मैं चौंक गई । मैने मुस्कराते हुए वेदांतिका की और देखा तो वेदांतिका झेंप गई और अपनी जबान को हलका सा काटते हुए धीमे से एक कान को सॉरी के अंदाज में पकड़ कर सारिका के वेलकम को बढ़ गई।मुझे भी हंसी आ गई ।आशुतोष जी को कुछ समझ नहीं आया। उन्होंने इशारा करके पूछा "क्या बात हुई?" मैने सर हिलाते हुए मुस्करा कर कहा "कुछ नहीं ..लेडीज टॉक । "