क्लियर कम्युनिकेशन
क्लियर कम्युनिकेशन


"उसका कुछ समझ नहीं आता !"
"क्यों अब क्या हुआ?"
"अरे यार कभी तो लगता है कि उसे मेरी कदर है और..."
"कभी लगता है नहीं है ,यही न!"
"हां यार, अजीब मिराज सा है वो।"
"हम्म..बताना चाहो तो बता सकते हो।"
"कुछ खास नहीं , हमारी सुबह होती है जनाब की रात होती है ,बात नहीं हो पाती ज्यादा।"
"अब अलग अलग कांटिनेंट में हो तो ये तो होना ही है।"
"यार वो बात भी नहीं!"
"फिर? "
"एक्चुअली वो पोएट्री में कभी तो बहुत लवी डवी हो जाता है और कभी एक दम कोल्ड।"
"पहेली मत बुझाओ साफ कहो।"
"हमारी थोड़ी टिफ हो जाते है तो मुझे लगता है मेरे लिए उसकी ओर से क्रिप्टिक बाते होतीं हैं।"
"हे भगवान !!! कहाँ पर ? "
"जहां हम मिले थे पहले..सोसिअल साइट।"
"और कैसे? "
"पोएट्रीज़ , वन लाइनर , स्लोगन "
"आर यू श्योर? टिफ के बाद जो भी लिखा जाता है वो तुम्हारे लिए होता है?"
"मुझे .....लगता है।"
"हे राम..........कहीं तुम उसके साथ इन्वॉल्व तो नही ? "
"हम एक दूसरे को पसंद करते है ।"
"हम्म..कूल ... तो ये बात है। वैसे उस जैसे सीरियस राइटर्स के साथ रिश्ते में ये ..."लगता है"... डेंजरस हो जाएगा ।"
"मीन्स?"
"प
ागल , वो ज्यादातर अपनी संतुष्टि या पाठकों के लिए "ही" लिखते हैं।झगड़े के बाद उसके क्रिएटिव एक्सप्रेशन में ज्यादा दिमाग मत लगाया करो। ऐसों की पर्सनल लाइफ बहुत ही पर्सनल होती है ।"
"सच बता तू भी तो लिखती है ...तुझे वाकई ऐसा लगता है क्या?
मेरी सोच के हिसाब से तो ऐसा ही है और देखा भी है। अंटिल अंलैस उनको बायोग्रफी लिखनी हो और तुम मेजर ट्विस्ट हो जाओ "
" रियली ? लेकिन यार उसका मेरा बहुत बार हुआ है ऐसा ..."
"कैसा?"
"यही की हमारी लड़ाई के बाद उसकी राइटिंग्स में हमारी ही बातें लगती रही हैं, गिले शिकवे वगैरह।"
"एक बात कहूँ... ऐसे लोगे तो अपनी भैस को खुद पानी में भेजोगे तुम। क्लियर कम्युनिकेशन किया करो।"
"एक मिनट..."
"क्या हुआ? "
"उसका कॉल आ रहा है "
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"मुस्करा रहे हो ! सुलह हो गयी? या कोई और क्रिप्टिक मैसेज मिला।"
"नहीं रे! बहुत खुश था मिलने आ रहा है इंडिया।उसे तो पता ही नही कि मैं नाराज था। उसकी राइटिंग के हिस्से जो वो शेयर कर रहा था उसे यहां की एक पब्लिशिंग फर्म ने पढ़ा एंड उसकी बुक के लिए बात चल रही है।"
"देखा ,कहा था न कि राइटर्स के साथ ज्यादा दिमाग नहीं लगाना, क्लियर कम्युनिकेशन करना !"