Bhawna Kukreti

Classics

4.5  

Bhawna Kukreti

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तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई...

तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई...

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"तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई..."ये गाना बहुत प्यारा है ,बहुत खूबसूरत अहसास से भरा हुआ..मेरे पसंदीदा गीतों में से एक। मगर असलियत में पिछले जन्मों की कहानी जब आपके सामने आने लगती है तो कभी खुशी, कभी दुख देती और कभी बेहद असहज कर जाती है।

बचपन मे भागवत कथा श्रवण करते सुना था कि आत्मा शरीर बदलती है।शरीर के साथ काल देश खंड योनि और संबंध भी बदल जाते हैं। लेकिन आत्मा का मोह उसे पुनः वहीं स्थापित कर देता है जहां से वो मुक्त हुई थी। कुछ स्मृतियां आत्मा के साथ सुषुप्त अवस्था मे पुर्नजन्म के साथ चली आती हैं।यहां तक तो फिर भी कुछ ठीक लगता है लेकिन जब पूर्वजन्म के संचित कर्म और शक्तियां पुनर्जन्म में भी अनायास जागृत हो जाए तो ....

यही चक्र मेरे साथ भी शुरू हो गया था।हालांकि इस सब जी झलक बचपन मे मिल चुकी थी लेकिन तब वातावरण और परिवेश में बदलाव और बड़ों की दूरदर्शिता से एक सामान्य जीवन जीए जा रही थी। मगर इधर जैसे ही कोरोना काल शुरू हुआ , तमाम अनुभव एक एक बाद एक मिलने शुरू हुए। शारीरिक मानसिक आत्मिक संघर्ष से जीवन जो निकला उसने अनायास ही जैसे दिव्य पंडोरा बॉक्स खोल दिया।तब से काफी उहापोह थी कि क्या करूं ? किससे कहूँ ? फिर एक जरिया मिला ऊर्जा को एक दिशा देने का । लोगों की मदद का जिससे एक तरह से मेरी ही मदद होने लगी । 

कुछ लोगों के साथ अनपेक्षित घटनाओं /अपेक्षाओं / उलझे रिश्तों/ बिखरते संबंधों की वजह साफ होने लगी। अनजान लोगों से पूर्वजन्म के अपने गहरे रिश्तों से परिचय होने लगा। जो इस जन्म में परिवार में शामिल थे/हैं उनसे किस जन्म का नाता था या नाता नहीं भी रहा कभी , ये भी बहुत आश्चर्यजनक रहा। 

गहन ध्यान की अवस्था मे किसी व्यक्ति विशेष के भूत भविष्य की घटनाओ की झलक पाना और अपने प्रति उनकी वास्तविक भावनाओं को जानना हैरतअंगेज रहा। कभी कभी अपने ही कई जन्मों को देखना महसूस करना उनमें मौजूद लोगों का इस जन्म में अपने पालतू पशु (गाय-कुत्ता), प्रिय वृक्ष, स्त्री-पुरुष (जान पहचान और रिश्तेदार),जगहों को नए रूप में देखना (ऐसे की मानो किसी दूसरी दुनिया को देख रहे हों) अपनी वेशभूषा कद काठी वाणी व्यवहार और भावनाएं ...ऐसे जैसे कोई व्यंजन खा रही हूँ जिसमे जाने पहचाने अच्छे बुरे स्वाद के साथ अनूठे स्वाद भी शामिल हों जिनका कोई नाम अभी ईज़ाद भी न हुआ । 

 पता लगा, इस जन्म में 70 % अपरिचित लोग (जिनसे पहली बार इस जन्म में नाता हुआ ) परिवार में और बेहद घनिष्ठ (जिनसे पिछले जन्मों में पारिवारिक और सामाजिक संबंध रहे ) उनसे इस जन्म में कोई पारिवारिक नाता ही नहीं। बहुत अजीब सा अहसास । जो अपने थे कई-कई जन्म वो इस जन्म सिर्फ परिचितों /सखि-सखा/शिक्षकों/सहयोगियों/अंजान मददगारों की शक्लों में हैं !! 

 बहुत पीड़ा हुई , लेकिन जिस शक्ति ने ये परिचय दिया उसी ने फिर सबके " एक " ही होने का अहसास भी कराया। इस अहसास ने मानो जैसे पुनः बुझे हुए मन में जीवन फूंक दिया। एक सहजता भर दी इन सब अजीबोगरीब अनुभवों में। वर्तमान में जीने की , मोह रहित हो अतीत को सम्मान देने की भविष्य में बढ़ने की।

हाँ मगर अब जब कोई प्रिय , अतीत (पूर्वजन्म) के संबंध का , नए चेहरे /शरीर में पहचान में सामने आ आता है तो एक आह्लाद से जी भर जाता है और बरबस एक मुस्कान आ जाती है जिसे छिपाना पड़ जाता है...कि ये अगला जो मुझसे अनजान... मेरा प्रिय मुझे मुस्कराता देख कही पागल ही न समझ ले !


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