Lokanath Rath

Action Inspirational

2  

Lokanath Rath

Action Inspirational

वचन (प्रथम भाग )....

वचन (प्रथम भाग )....

5 mins
61


अशोक कुमार एक युवा कलाकार है। उनकी संगीत और उनकी गले की आवाज का आज लाखों दीवाने हो चुके है। धीरे धीरे कामयाबी अशोक का कदम चुम रहा है। पूरे देश में एक अच्छे गायक का दर्जा मिल चुका है। अपनी कमाई से अशोक एक संगीत स्कूल भी खोल दिए। वहाँ बहुत उभरते हुए युवाओं को संगीत का तालीम मिलता है। उसी स्कूल के पीछे एक छोटा मकान किराए पे लेकर अशोक रहते है। अपनी खुद की शहर और घर छोड़ के आने को उन्हें करीब दो साल हो गया है। घरसे दूर रहकर भी अशोक अपनी माँ सुचित्रा, भाई आशीष और भाभी आरती के खबर रखा करते है।

इधर अशोक के घर से जाने के बाद सुचित्रा मन ही मन खुद को माफ़ नहीं कर पा रही थी। उन्हें मालूम था की अशोक निर्दोष है और आशीष को बचाने के लिए झूठ का साथ दिया, पर वो कुछ कर नहीं पाई। अपनी पति को वचन दी हुई है की आशीष का पूरा ख्याल रखेगी, आशीष को कभी कोई तकलीफ आने नहीं देगी। और उसने मरती हुई ममता भाभी से आशीष को ली थी एक अनकहे विश्वास की वचन देकर, वो और उसके दिवंगत पति अरुण ने मरते हुए रमेश भाई साहब को वचन दिए थे आशीष के लिए। ये सब सोच सोच कर आजकल सुचित्रा बहुत परेशान होती है की आशीष क्यूँ बार बार अपने ही व्यापार से पैसे चुराकर उसे छुपाती है? आशीष जब छह महीने के था तब उसके पिता रमेश और माता ममता उसको उनके हाथ में देकर दुनिया छोड़ दिए। तब से सुचित्रा ने आशीष को बहुत लाड प्यार से पाल कर बड़ा की है। सुचित्रा और अरुण कभी भी आशीष को दूसरे के बच्चा समझें नहीं। अशोक का पैदा होने के बाद भी उनकी आशीष के प्यार में कोई कमी नहीं रहे। आशीष को अपनी बड़े बेटा मानते है और अशोक भी उसे बड़ा भाई मानता है। बचपन में कई बार सुचित्रा ने अशोक को बोलते थे की आशीष तुम्हारा बड़ा भाई है, उसका साथ जिन्दगी भर देना। कई बार अशोक से सुचित्रा और अरुण ने वचन लिए थे की आशीष का हर मुसीबत में वो उसके साथ खड़ा रहेगा। कभी भी सुचित्रा और अरुण ने अशोक को आशीष का असलियत के बारे मे बताया नहीं। अशोक भी आशीष को सदा अपने बड़ा भाई का दर्जा दिया है और उसको बहुत प्यार करता है।


सुचित्रा को उदास देखकर उनके सबसे पुराना कर्मचारी बिकाश, जो की अरुण के साथ व्यापार के शुरुआत के दिन से जुड़े हुए है बहुत दुःखी होते थे। बिकाश को अरुण और सुचित्रा अपने बड़े भाई के तरह सम्मान करते है। आशीष की असलियत के बारे मे अरुण और सुचित्रा के सिवा सिर्फ बिकाश ही जानते है। पर उनको अरुण और सुचित्रा तब से बोले है और उनसे वचन लिए है की कभी भी वो इसके बारे में किसी को नहीं बताएंगे। अब जब अशोक को सुचित्रा ने घर से निकाल दिए बिना उसका कोई कसूर, तब से बिकाश भी बहुत दुःखी है। वो आशीष के ऊपर मन ही मन बहुत गुस्सा करते है पर अपनी दी हुई वचन के वजह से कुछ बोल नहीं पाते। बिकाश सिर्फ सुचित्रा को देखते ही रहते है। अशोक अपनी परिवार के बारे में सारे खबर बिकाश से लेता रहता है और ये बात किसी को पता नहीं।


अशोक का जाने के बाद आशीष को थोड़ा दुःख हुआ पर उसको अपनी मन मानी करने को और खुली मौका मिल गया। आरती भी थोड़ी ख़ुश थी। आरती और आशीष का प्रेम विवाह हुआ है पर पूरे वैदिक रीती रीवाज के साथ। आरती के पिता महेश एक छोटा व्यापारी है और माता अमिता एक गृहणी। आरती के एक भाई है, जिसका नाम सरोज। सरोज आरती से छोटा है। अमिता सरोज को बहुत प्यार करती थी। सरोज का सारे इच्छा वो महेश से छुपाके पूरी करती थी। उसके वजह से सरोज बिगड़ने लगा। जब आरती उसको सुधारने का कोशिश करती थी तो अमिता बीच में आ जाती थी और आरती को डांटती थी। अमिता ने आरती को कसम दिलवाकर वचन ली थी की सरोज के बारे में महेश को कुछ नहीं बताने की। आरती भी नहीं बताती थी। वो उसकी छोटा भाई को बहुत प्यार करती थी।


सरोज दिन पर दिन बिगड़ता गया। उसको बहुत सी बुरी आदत पड़ गया। एक बार उसने दोस्तों से उधार लेकर अपनी मौज मस्ती में पैसे लुटाये पर वापस दे नहीं पा रहा था। उसको सबसे धमकी मिला। तब सरोज ने आरती के पास आकर रोते हुए बोला, "दीदी अगर तुम मदद नहीं करोगी तो मैं घर से भाग जाऊंगा या ख़ुदकुशी कर लूँगा। मैं कसम खाकर वचन देता हूँ की आगे से ऐसा गलती नहीं करूँगा। "सरोज के बातों में भरोसा करके आरती ने दुःखी होकर आशीष को बोली थी उसको तीस हजार रुपया देने को। आशीष बहुत समझाया पर आरती रोते रही। तब आशीष को आरती को शादी से पहले और शादी में दिए हुए वचन याद आ गया। वो वचन दिया था की आरती को हमेशा ख़ुश रखेगा। इसीलिए आशीष ने अपनी व्यापार से पहेली बार पैसा उठाकर आरती को दिया था सरोज को देने के लिए। आशीष जानता था की ये गलत है पर उसका दिए हुए वचन का पालन करने के लिए उसे ये करना पड़ा। वो सबसे छुपाकर ये किया था। पर बिकाश को इस पैसा के बारे में पता चल गया था। वो तब ना अरुण को ना सुचित्रा को कुछ बोल पाया कियूँ की अरुण ने उससे पहले से वचन ले रखा था की आशीष को हर मुसीबत से बचाने के लिए।

अब बिकाश बैठकर सोच रहा है इस वचन के बारे मे। अपने आपको पूछ रहा था ये कैसा वचन है, जिसके लिए अरुण बाबू का निधन हों जाता है? ये कैसा वचन है, जिसके लिए बेकसूर अशोक घर से बेघर हों जाता है? ये कैसा वचन है, जिसके कारण आशीष व्यापार से पैसा चुराता है? ये कैसा वचन, जिसके लिए वो सबकुछ जानते हुए भी किसी को कुछ कह नहीं पा रहे है? सोचते सोचते बिकाश के आँख आँसू से भर गया। तब वो देखे सुचित्रा उठकर घर जा रही थी और आशीष दुकान बन्द करने का तैयारी कर रहा था। बिकाश उठकर गये और आशीष को बोलते हुए अपनी घर की ओर निकले।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action