Lokanath Rath

Action

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Lokanath Rath

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वचन (भाग -तेविश )....

वचन (भाग -तेविश )....

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सरोज दुकान को अपने नाम करवाने के बाद सीधे दुकान को गया। वहाँ दुकान बन्द करके वो उसके साथिओं के साथ भैरब को मिलने गया। उसको देख भैरब बड़ा आदर सहित स्वागत किया । सरोज ने भैरब को अपना दुकान के बारे में बताया। भैरब बहुत ख़ुश होकर बोला, " अब तुम्हारे उस दुकान से बड़ी आराम से अपना धंधा चलेगा। मैं भी वहाँ आया करूँगा। अभी वहाँ तुम्हारा सामने से छोटा मोटा कपड़े का धंधा होगा और पीछे में एक दरवाजा खोल देंगे अपना धंधे के लिए। अब लेकिन बड़ी सावधानी से ये सब करना होगा। मंत्री जी सुरेश कुमार मुझे बोले थे की तुम्हारे दुकान की पीछे वाला जमीन को लेने के लिए। पर उसका मालिक मान नहीं रहा है बेचने के लिए। अब हम लोग वहाँ अपना धंधा चालू करके उसके ऊपर दवाओं डालेंगे। हाँ सामने तीन महीने में चुनाव आ रहा है, इसीलिए कुछ गड़बड़ी नहीं करना। अब तुम लोग जाओ अपना पार्टी करो। कल सुबह दश बजे तुम सब यहाँ आ जाओ, मिल के मंत्री जी के पास जाएंगे। उनको मिलकर कुछ सलाह लेंगे और तुम लोग फिर काम पे लग जाना।" सरोज और उसके साथी भैरब से कुछ पैसे लेकर अपना पार्टी करने के निकल गए।


अगले दिन सरोज और उसके साथी भैरब के साथ मिलकर मंत्री सुरेश कुमार के पास गए। भैरब ने सरोज का दुकान के बारे में उनको बताया। सुरेश कुमार बहुत ख़ुश हुए और बोले, " अब आगे चुनाव आ रहा है। हमारे शीर्ष नेतृत्व ने मुझे चेतावनी दिया है की अब चुनाव तक कुछ गलत काम मेरे लोगों के द्वारा जैसे न हों। अगर ऐसा हुआ तो मुझे चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिलेगा। तुम लोगों के बारे में उनको कुछ पता चला है। तुम लोग जो सुधार केंद्र में लफड़े किए थे और जो लोग घायल हुए थे, उनमें से दो लोग अभी बहुत गंभीर स्थिति में हॉस्पिटल में है। अगर उनको कुछ हो गया तो बहुत गड़बड़ हों जाएगा। फिर क़ानून का शिकंजा तुम लोगों को पकड़ लेगा। मैं वकील को लगाऊंगा तुम लोगों को बचाने के लिए, पर काम बहुत मुश्किल होगा। अब कोई उल्टा पलटा काम नहीं करना। कुछ नए लड़कों को अभी से जुगाड़ करो अपना चुनाव के काम में लगाने के लिए। तुम लोग उनके पीछे रहे के सिर्फ नजर रखना। तुम लोग सामने जाने से कुछ गड़बड़ होने का सम्भव है। हाँ अभी सरोज का दुकान को अपना पार्टी का उस क्षेत्र का दफ्तर चुनाव होने तक बना देते है। उस क्षेत्र का प्रचार वहाँ से होगा। भैरब तय करेगा कौन उस दफ्तर का संचालन करेगा। बाकी के काम भैरब तुम लोगों को समझा देगा। अब यहाँ चाय नाश्ता करके जाना। मैं अभी एक सभा के लिए पार्टी दफ्तर जा रहा हूँ।" इतना बोलकर सुरेश कुमार वहाँ से निकल गए। भैरब, सरोज और उनके साथी चाय नाश्ता किए और वहाँ से निकले।


सुचित्रा देवी जैसे बोले थे उनकी बात मान कर अशोक आकर पहुँच गया। आशीष बहुत ख़ुश हुआ। दोनों भाई अपनी नई काम का उद्घाटन की तैयारी में जुट गए। बिकाश जी नई दफ्तर का तैयारी में लगे थे। सुचित्रा देवी सारे रिश्तेदार लोगों को निमंत्रण करने में लगी थी। महेश जी भी आकर बिकाश जी जा मदद कर रहे थे। अमिता देवी और आरती सगाई का सारे बंदोबस्त करने लग गए थे। सब अपने अपने काम पे बड़े खुशी के साथ लग गए थे। अशोक को फोन आया चुनाव आयोग के दफ्तर से। फिर उसने आशीष को लेकर चुनाव आयोग पहुँच गया। वहाँ अशोक को खुद चुनाव आयोग ने एक चिट्ठी दिए और बोले, " हम आप को इस राज्य के लिए हमारा दूत नियुक्त करते है। आप इस का स्वीकृति देने से हम परसों इसका प्रसार सारे अख़बार और मीडिया के जरिए कर देंगे। आप के और आप के पूरे परिवार के सुरक्षा के लिए पूरी व्यवस्था की जाएगी। " अशोक ये बात सुनकर ख़ुश हो गया और पाँच मिनिट का वक़्त माँगा। वो तुरन्त अपनी माँ सुचित्रा देवी को फोन करके बोला, " माँ मुझे हमारा राज्य के लिए चुनाव आयोग उनका दूत नियुक्त करना चाहते है। उन्होंने बोले की मुझे और मेरा सारे परिवार को पूरी स्वतंत्र सुरक्षा मिलेगा। मैं सोचता हूँ, आप भाभी की माता पिता को बोलिए हमारे घर में रहने के लिए, ताकि वो लोग सुरक्षित रहेंगे। अभी आप बोलिए मैं क्या करूँगा? " सुचित्रा देवी बहुत ख़ुश हों गई और बोली, " इस में पूछने की क्या है? मेरा बेटा इतना बड़ा हो गया मुझे मालूम नहीं था। मैं बहुत ख़ुश हूँ बेटा। तुम ये काम करने के लिए हाँ बोल दो। मैं अभी समधी जी को बोलता हूँ । फिर तुम दोनों भाई जाकर उनको यहाँ लेकर आना।" अपनी माँ से ये सुनकर अशोक ख़ुश हो गया। वो चुनाव आयोग के साथ बैठ के सारा लिखा पढ़ी का काम ख़त्म किया । बाहर जब निकला तो उसके साथ सुरक्षा बल चलने लगे।


वहाँ से अशोक और आशीष उनके नई दुकान के दफ्तर गए। अशोक को देखकर बिकाश जी और महेश जी बहुत ख़ुश हुए और बधाई दिए। तब अशोक ने महेश जी को बोला, "अंकल, आप को माँ ने तो बताई होंगी। मेरे हिसाब से आप दोनों को अब अकेला वहाँ रहना ठीक नहीं होगा। सरोज का कोई भरोसा नहीं। अब आप घर चलिए और हम दोनों भाई आपको और आंटी को लेकर हमारे घर जाएँगे। आप तो समान को पैक कर दिए है। जितना जरूरी समान इसे आज लेकर जाएंगे और बाकि जा समान एक दो दिन के वाद ले लेंगे। हमारे यहाँ आप दोनों को कोई तकलीफ नहीं होंगी। सरोज का कोई चाल भी वहाँ तक पहुँच नहीं पाएगा।" महेश जी ने बोले, " ठीक है बेटा हम दोनों अभी दो तीन दिन आपके घर रहेंगे। उसके बाद हम गाँव चले जाएंगे। मैंने उसका सारा इन्तजाम कर लिया है। सरोज हमारे गाँव में कुछ नहीं कर पाएगा। बीच बीच में जब हम आएंगे तो आप के घर जरूर रुकेंगे। हाँ, आप के ये वितरक काम के लिए में कुछ अच्छे व्यापारियों के सूची बनाया हूँ । जब काम शुरू होगा, तब में बिकाश जी को लेकर उन लोगों से मिलवा दूँगा।" अशोक और ज्यादा कुछ नहीं बोला फिर दोनों भाई महेश जी को लेकर उनकी घर गए। अशोक ख़ुश हों रहा था की वो उसके मरे हुए पिताजी को जो वचन दिया था की आशीष और अपनी परिवार को सदा ख़ुश रखने के लिए, वो सब धीरे धीरे होते जा रहा है।



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