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Lokanath Rath

Others

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बचन (भाग -चौदह)

बचन (भाग -चौदह)

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अशोक रात को खाने के बाद आशीष को सरोज से सावधान रहेने को बोला | उसने ये भी बोला की महेश जी और अमिता देवी के ख्याल रखने के लिए | अशोक को अगले दिन सुबह दश बजे मुम्बई के लिए निकलने को था, इसीलिए दोनों भाई अपनी बाते ख़तम करके शोने चले गए | सुचित्रा देवी रात को अशोक के पास आकर थोड़ी डेर बैठे और बोले, " तू मुझे बचन दे की रोज रात को मुझसे बात करेगा | तुम्हारी आवाज सुनके मुझे थोड़ी शान्ति मिलेगी और मे ठीक से शोपउंगी | हाँ तुम वहाँ अपनी काम से जुड़े रहेना, और किसी दूसरे काम मे भीड़ नहीं जाना | क्या करूँ तेरे बिन मुझे चैन नहीं आता है बेटा |अब तू शोजा, मे जाती हूँ |"इतने बोलकर सुचित्रा देवी अशोक के शर पे हात घुमाकर चली गई | अशोक भी अपनी माँ से बहुत प्यार करता है |वो पीछे से बोला, "माँ, आप जैसी बोले,मे वैसा ही करूँगा |आप बिलकुल फिकर नहीं करना | मे आपको बचन देता हूँ और इसे निभाउंगा |" तब सुचित्रा देवी मुस्कुराते हुए थोड़ी पीछे मुड़कर देखि और वहाँ से निकल गई |


अगले दिन सुबह जल्दी उठकर अशोक तैयार होने लगा |आरती तैयार होकर अशोक के लिए नास्ता बनाने लग गई | आशीष भी आकर अशोक को उसके समान को ठीक करने मे मदत किआ | वो तब अशोक को बोला, " देख मे एक बात कहूँगा, तुम बुरा नहीं मानना | मुझे हमारी बिकाश चाचा के लड़की आशा बहुत पसन्द है |मे जानता हूँ की तुम दोनों एक दुशरे को बहुत पसन्द करते हों | अगर तुझे कुछ ऐतराज नहीं है तो मे क्या माँ से बात करूँगा? आज नहीं तो काल उसे इस घर की बहु बननी है | वो बहुत शुसील लड़की है और डाक्टर भी है | तेरे भाभी को भी वो बहुत पसन्द है |" ये बात आशीष के ख़तम नहीं हुए थे तब सुचित्रा देवी आरती की थाली लेकर आई अशोक के माथे पे टिका लगाने | उन्होंने अशोक और आशीष को टिका लगाते लगाते पूछे, "किसकी बात तुम दोनों कर रहे थे? क्या अशोक ने किसी लड़की पसन्द की है? और वो सुशील और डाक्टर भी है! अरे मुझे कियूँ नहीं बताते हों? " सुचित्रा देवी की बाते सुनकर अशोक ने बोला, "माँ, मुझे डेर हों रहा है | अभी मुझे निकलना है | तुमको भाई सब कुछ बता देगा | अभी चलो मुझे नास्ता खिलाके जल्दी जाने का अनुमति दो |" इतना बोलकर अशोक अपनी समान लेकर बाहर निकल गया और उसके पीछे पीछे आशीष भी निकल गया | आरती नास्ता लाकार सबको दि और अशोक से बोली, " वहाँ समय पे खाना खलिआ करना | ज्यादा भाग दौड़ नहीं करना | हमलोगों को अपने बारे मे बताते रहेना | आप मेरे देवर नहीं, छोटे भाई भी हों |"तब अशोक ने बोला, "भाभी, नास्ता बहुत बढ़िया बनाया है आप ने | आप जैसी बोले मे वैसा करूँगा | आपलोग तो मेरा सबकुछ हों |आप भी खुद की ख्याल रखना | मुझे तो खूब जल्द आप चाचा बनानेवाले हों |उसके लिए आप की बहुत धन्यवाद करता हूँ |" तब तक नास्ता ख़तम करके अशोक और आशीष निकलने के लिए तैयार खड़े होगए | अशोक ने सुजाता देवी और आरती को प्रणाम किआ और जाकर गड्डी मे बैठ गया | रास्ते मे अशोक ने थोड़ी डेर चुप रहकर बोला, " भाई, अभी और तीन महीने बाद आशा की डाक्टरी की पढ़ाई ख़तम होगा |वो चाहती है की पी जी करने के लिए | आप और माँ जैसे ठीक समझोगे करना | मुझे भी थोड़ा अभी एक शाल का समय दीजिए खुदको ठीक से कामियाब होने के लिए |" आशीष ने अशोक का बात सुना और मुस्कुराते हुए बोला, "तुम ये सारे बाते माँ पर छोड़ दो | माँ खुद बिकाश चाचा से बात करलेंगे | " तब हवाई अड्डा तक दोनों पहुँच गए | अशोक गड्डी से उतर कर आशीष को गले लगाया और निकल गया | आशीष उसे हात हिलाकर बिदा करके वहाँ से वापस आने लगा | आशीष सीधे अपनी दुकान चला गया |


इधर अशोक और आशीष जाने के बाद सुचित्रा देवी सोच मे पड़ गई की कौन सी लड़की के बारे मे आशीष बात कर रहा था | तब आरती ने उनके लिए चाय लाकार रखि और बोली, "माँ आप क्या सोच रही है? सायद अशोक के बारे मे सोचते होंगे | मुझे भी यहाँ अकेलापन सताती है |आप लोग दुकान चले जाते हों और मे अकेली हों जाती हूँ | अब आप अशोक के शादी के बारे मे कुछ करो | वैसे मुझे एक लड़की बहुत अच्छी लगती है, जो देखने मे सुन्दर है, सुशील है और ऊपर से डाक्टर भी है | अगर आप बोलोगे तो मे आपको बता सकती हूँ |" इतनी बोलकर आरती चुप होगई | तब सुचित्रा देवी ने बोले, " क्या बोली तुम? सुन्दर, सुशील और डाक्टर है! मतलब तुमको भी कुछ मालूम है की अशोक किसको पसन्द करता है | अब मुझे बताओ कौन है वो? " तब आरती ने बोली, "मुझे अशोक ने नहीं बोले है | पर कुछ आपके बेटे ने बोले और मुझे उन दोनों को देख के अंदाज़ हुआ है | आप भी उसे जानती है | हमारी बिकाश चाचा के लड़की आशा | आप पहेले इनसे बात कर लीजिए और बाद मे फिर चाचा जी से बात कर सकती है |" आरती की बात सुनके सुचित्रा बहुत ख़ुश होगई | उनको तो बहुत पहले से आशा पसन्द थी | अगर ये सच है तो वो जरूर बिकाश जी से बात करेंगी | तब सुचित्रा देवी ने बोली, " अब तुम आराम करो, मे थोड़ी डेर दुकान होकर आती हूँ |" आरती ने हाँ बोलकर अपनी कमरे मे चली गई | सुचित्रा भी अपनी कमरे मे जाकर तैयार हुई दुकान जाने के लिए | सुचित्रा तैयार होकर अरुण की तस्वीर के पास जाकर बोली, "मुझे आशीर्वाद दीजिए | मे अभी जारही हूँ अशोक के रिश्ते की बात करने के लिए |लड़की बहुत अच्छी है और सुन्दर है |अपनी बिकाश जी के बेटी है | दोनों का जोड़ी बहुत अच्छा रहेगा |"


सुचित्रा देवी दुकान पहुँच गई और सबसे मिली | बहुत दिनों के बाद उन्होंने दुकान आये तो सबको भी खुशी मिला | थोड़ी डेर बाद सुचित्रा देवी आशीष को बुलाए कुछ बात करने के लिए | आशीष जब आया तो उन्होंने बोली, " क्या बात है बेटा, मुझे लगता है की दुकान मे कुछ समान कम होने लगी |अभी सामने मे शादी के लगन आरहा है | उसके लिए कुछ तैयारी किआ है या नहीं? मुझे काल ब्याँक से फोन आया था की हमने जो हमारे रुण के लिए आबेदन किए थे, उसको स्वीकृति मिल गया है | अब अगर कुछ और समान भरने का है तो मुझे बताना | अभी ब्यापार को और बढ़ाना है | हाँ, मुझे सच सच बताना क्या अशोक और आशा एक दूसरे को पसन्द करते है? तब मे फिर बात को आगे बढ़ा सकती हूँ |" आशीष ये सब सुनने के बाद बोला, " माँ, एक अच्छी कपडे की कम्पनी ने उसका बितरक होने के लिए हमारे पास आया था | मे और बिकाश चाचा काल उससे बात किए है | हमें अच्छा लगा | हमने उनसे समय लिए है जवाब देने के लिए कियूँ की आप से बात करनी थी | आज आप आयी हों तो बिकाश चाचा को बुलाके अभी सारी बाते कर दो और हम उस कम्पनी को जवाब दे देंगे | अशोक और आशा एक दुशरे को पसन्द करते है |आशा बहुत ही अच्छी लड़की हों | आप बिकाश चाचा को घर बुलाकर अगर बात करोगे तो अच्छा होगा | अब आप ब्यापार के बारे मे सिर्फ बात करो |" तब सुचित्रा देवी ने बिकाश जी को बुलाई और जैसे आशीष ने बोला था, उस कम्पनी का बितरक होने के बारे मे चर्चा की | बिकाश जी सारे बाते वताए और फिर तीनो मिलकर फैसला किए की ये नई काम किआ जासकता है | फिर बिकाश जी ने फोन करके उस कम्पनी के संचालक को बता दिए | वो लोग दो दिन के बाद आकर सारे लिखा पढ़ी का काम करने को कहा | तब सुचित्रा देवी बिकाश जी और आशीष को इस काम के लिए लगने वाले लागत के बारे मे पूछे | उनसे सारी जानकारी लेने के बाद सुचित्रा देवी ने बिकाश जी को बोले उनके साथ ब्याँक जाने के लिए | फिर दोनों मिलकर ब्याँक गए और संचालक से मिलकर अपनी रुण के बारे मे जो कुछ कागज देनेका है सब समझकर आगये | वहाँ से सुचित्रा देवी घर के लिए निकले और जाते जाते बिकाश जी को बोले, " अगर आप को कोई ऐतराज ना हों तो क्या आप आज शाम को हमारे घर आसकते है? कुछ जरुरी बात करनी थी |" बिकाश जी थोड़ा सोच मे पड़ गए और बोले, "नहीं भाभी जी, आप ये क्या बोल रहे है? कैसा ऐतराज? मे जरूर दुकान बन्द होने के बाद आप की घर होकर जाऊँगा |" फिर सुचित्रा देवी हसते हुए वहाँ से अपने घर के लिए निकल गई और बिकाश जी गहेरी सोच मे डूबते हुए दुकान के लिए निकले |



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