Ashfia Parvin

Abstract Others

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Ashfia Parvin

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सच या शक? शक या सच?

सच या शक? शक या सच?

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यह काहानी अश्विनी खातून की है। अश्विनी खातून जो की 17 वर्ष की लड़की है और कक्षा -12 की छात्रा है। अश्विनी खातून इंट्रोवर्ट है जिसके कारण उसे ज्यादा तर अकेले में रहना पसंद था। वह अपने परिवार के साथ राहा करती थी। माता - पिता, भईया - भाभी, भतीजा और दादी के साथ अश्विनी रहा करती थी। वैसे तो अश्विनी बहुत ख़ुश मिजाज की है और हमेशा सबसे प्यार और अच्छे से पेश आती थी लेकिन कुछ परिस्थिति, कुछ घटनाये के कारण, वो बहुत बदल चुकी थी। उसके मन में कुछ सवाल थे अपने दोस्तों को लेकर जो उसे बहुत तंग किया करता था क्यूँकि उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जो आज तक उसे विश्वास नहीं होता है की ऐसे भी लोग है इस दुनिया में , ख़ैर।


रोज सुबह के तरह आज भी अश्विनी की आँख अलार्म बजते ही खुल गया। अश्विनी अंगाड़ाई लेते हुए बेड पे बैठ गई और अलार्म को बंद करते हुए अपने अंदर दिमाग़ में चलते चपड़ चपड़ को बंद करने का कोशिश कर रही थी। अश्विनी पहले की तरह नहीं रही, ना ही वो मैडिटेशन करती है और ना ही सुबह सुबह उठ कर एक्सरसाइज करती है। वह धीरे धीरे अपना ख़याल रखना छोड़ रही थी। उसको सेल्फ - हेल्प बुक्स पढ़ना पसंद था या तो ऑडियोबुक सुनना, पर अब उसमे भी उसको कोई दिलचस्पी नहीं आ रहा था। सुबह के छह आदत है और वह है SAVERS।

S- साइलेंस , A-अफ्फर्मशन, V- विसुलाइसशन, E- एक्सरसाइज,      R -रीडिंग और S - स्क्रिबिंग। अश्विनी पहले तो यह सब करती थी, पर अब कुछ दिनों से यह करना बंद कर चुकी थी और इसका उल्टा करती थी।


 s फॉर साइलेंस यानि शांति से ध्यान करना जो की वह नहीं करती थी।वो सुबह उठ कर आधे घंटे तक वैसे ही बेड पे चुप चाप कुछ ना किये बैठी रहती थी लेकिन और सब नहीं करती थी। A फॉर अफ्फर्मशन यानि अपने आप को अच्छा बोलना , जो की वो करती थी पर उल्टा, अपने आप को मोटीवेट करने के जगह, डीमोटिवेट करती थी। आज भी सुबह उठ कर अश्विनी ने खुद से ही बोली -" मैं एक न. की बेवकूफ़ हूँ , ज़िन्दगी में ढंग का कुछ नहीं कर सकती हूँ । अभी तक किसी से ठीक से बात करना नहीं आता। मैं कितनी बेवकूफ़ हूँ , कितनी बड़ी उल्लू हूँ । दुनिया में सबसे ज्यादा बुरी शायद मैं ही हूँ  और आजकल तो मुझे पढ़ने का भी मन नहीं है "। इतना कहते कहते चुप हो गई। अश्विनी बहुत ही ज्यादा नेगेटिव सेल्फ टॉकस करती है जिससे वह धीरे धीरे खुद से प्यार करना छोड़ रही थी और सुबह उठ कर जो एक्सरसाइज करते, वह छोड़ ही चुकी थी।


आश्विन वैसे ही बेड पे बैठ के अपने आप को बोलने लगी -" क्या यार अश्विनी? तू क्या सच में अपना सपना पूरा कर पायेगी? यहीं पे अटक गई है तो फिर आगे क्या करेगी? हाँ, माना तू आई. पी. एस(इंडियन पुलिस सर्विस )नहीं बन सकती है, पर आई. ए. एस( इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस )तो बन सकती है ना?  हाँ, माना तुझे मयोपया ( myopia ) है और लेफ्ट ऑय -5.0 और राइट ऑय -4.5 है और कंकावे ( concave ) लेंस का चश्मा लगा के घूमती है और इसलिए तू फिजिकल टेस्ट में पास नहीं हो सकती है जिसके कारण तू आई. पी. एस नहीं बन सकती है, पर आई. ए.एस तो बन सकती है? लेकिन कहा गया तेरा इच्छाशक्ति? कहा गया वो पुरानी अश्विनी जिसको पढ़ने का मन था। अभी तो तू 12th में है और अगर अभी से पढ़ने का मन नहीं है, आई ऐ. एस क्या खाक बनेगी!!!??! अश्विनी,  आई. ऐ. एस, आई. पी. एस बनने के लिए सिविल सर्विस एग्जाम देना पड़ता है जो की   यू. पी. स. सी ( यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन ) द्वारा कंडक्ट होता है और उसके लिए तुझे ग्रेजुएशन कम्पलीट करना पड़ेगा और अभी से पढ़ाई में मन छूट रहा है? क्या हुआ तुझको अश्विनी? सिविल सर्विस एग्जाम में प्रेलिम्स(prelims )और मैंस (mains )के बाद इंटरव्यू और फिर जाके तू बनेगी आई. ऐ. एस और प्रेलिम्स और मैंस के लिए बहुत पढ़ना पड़ता है, यार अश्विनी और वह यह एग्जाम दुनिया का 2nd टफस्ट (toughest )एग्जाम है यह, तो फिर तू अभी अगर 12th का पढ़ने में मुश्किल हो रहा है तो आगे यह एग्जाम कैसे देगी, यार अश्विनी। वैसे भी मुझे आई. ऐ. एस थोड़ी बनना था आई. पी. एस लेकिन आई. पी एस में प्रेलिम्स, मैंस और इंटरव्यू के साथ फिजिकल टेस्ट भी होता है, जिसमे में पास नहीं हो सकती। मुझे मयोपया(myopia )है। मम्मा पापा भी कितना कुछ करते है, पर मैं कुछ नहीं कर पाई। मैं सच में कुछ नहीं कर सकती हूँ । मेरा पैशन, राइटिंग, अब तो मुझे पोयम्स, स्टोरीज लिखने में भी दिल नहीं लग रहा है। मैं अचानक इतनी बदल कैसे गई हूँ ?और ऊपर से मेरा जो वो नई बेस्ट फ्रेंड रिया है उसने मुझसे झूठ कहा? कैसे?" इतना कहते केहते अश्विनी रुक गई, अश्विनी के आँखों में आँसू भर आया था की तभी किचन रूम से अश्विनी के मम्मी का आवाज़ आया -" अश्विनी बेटा 6:30 हो रहा है, उठी की नहीं। उठ जा सामने एग्जाम आ रहा है, उठ के पढ़"।


यह सुन अश्विनी अपने बेड से उठ कर सीधा किचन की तरफ गई और जा के अपने मम्मी के गले लग गई। अश्विनी अंदर ही अंदर रो रही थी, पता नहीं क्यूँ? यह तो उसे भी समझ नहीं आ राहा था। अश्विनी अपने मम्मी को कुछ भी नहीं बोली सिर्फ उन्हें कस के गले लगी हुई थी।

अश्विनी की मम्मी -" क्या हुआ अश्विनी, मेरा बच्चा? "

अश्विनी कुछ नहीं बोली और वहाँ से दौड़ सीधा बाथरूम चली गई और जाके ब्रश कर अपने कमरे में चली गई। अश्विनी का यह बर्ताव अश्विनी के मम्मी को टेंशन में डाल दिया था।

अश्विनी को यह समझ आ गया था इसलिए आश्विनी अपनी मम्मी से बात करने किचन में गई पर तब वहाँ अश्विनी के भाभी और अश्विनी के मम्मी दोनों बात कर रहे थे। अश्विनी अपने दर्द को छुपाते हुए एक झूठी सी मुस्कान अपने चेहरे में लाई और अपने भाभी और मम्मी के पास जा कर बोली -" आज क्या बना रहे हो ब्रेकफास्ट में? "

अश्विनी के मम्मी अश्विनी के कान खिंचते हुए बोली -" तू तो कोई काम करती नहीं। तुझे पता है तेरे खाला के बेटी, तुझसे से बहुत छोटी है फिर भी देख वो सबका कितना काम करती है। सारे रिश्तेदार भी तुझसे नाराज़ है और मुझसे भी कहते है की हम तुमको लाड प्यार कर के बिगाड़ रहे है।"

यह सुन अश्विनी बोली -" क्या मम्मी!!"

अश्विनी के भाभी -" छोड़िये ना, अब उसका सामने एग्जाम है पढ़ना भी है, कभी ना कभी सिख जाएगी "।

अश्विनी के मम्मी -" ठीक है , एग्जाम के बाद देखती हूँ "।


अश्विनी कुछ नहीं बोली और जाके वह अपने कमरे में लॉक कर पढ़ने बैठ गई। इकोनॉमिक्स के किताब खुले, वो पढ़ तो रही थी लेकिन उसका दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था। उसके दिमाग़ में हज़ारों ऐसी बात है जो उसको अंदर ही अंदर खाये जा रही थी।


अश्विनी फिर से खुद को बोलने लगी -" हाँ, यार सच में, मैं तो कभी अपने परिवार के लिए कुछ कर ही नहीं पाय और सामने एग्जाम आ रहा है पढ़ने का भी मन नहीं है। मै तो ठीक से बात करना भी नहीं आता।वैसे भी मैंने ढंग का क्या किया अपने ज़िन्दगी में? मैं कुछ नहीं कर सकती हूँ , मैं एक लूज़र हूँ।" की तभी उसके पुराने बेस्ट फ्रेंड रिद्धि का कॉल आता है। अश्विनी ने उसका कॉल देख के भी रिसीव नहीं किया। वो अंदर ही अंदर बहुत अजीब फील कर रही थी।


अश्विनी पढ़ते पढ़ते अपना टैब को उठाया और यूट्यूब ऑन कर कुछ वीडियोस देखने लगी। उसे नहीं पता था की उसके मम्मी उसे खिड़की से देख रहे थे।

अश्विनी की मम्मी -" क्या कर रही है? पढ़ाई तो? "

अश्विनी -" हाँ, मम्मी।"


इतना कहकर अश्विनी ने किताबें खोल के पढ़ने लगी पर उसके दिमाग़ के अंदर हज़ार सवाल चल रहा था। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था और मन में हज़ार सवाल चल रहा था की तभी फिर से अश्विनी के पुराने बेस्ट फ्रेंड रिद्धि का कॉल आता है इस बार वो बिना सोच समझ के कॉल को उठाया।


रिद्धि -" यार अश्विनी कब से कॉल कर रही हूँ , अभी उठा रही है। अच्छा तू फ्री है क्या? "

अश्विनी पढ़ रही थी फिर भी उसने ना सोच कर बोल दिया -" हाँ, बिलकुल बोल क्या हुआ है? "

रिद्धि -" सुन हमारे कॉलेज में टीचर कुछ होमवर्क दिए है , मेरा कर सकती है क्या? "

अश्विनी -" हाँ, बिलकुल, कौनसे सब्जेक्ट का? "

रिद्धि -" बायोलॉजी "

अश्विनी -" ठीक है, भेज, व्हाट्सअप पे, मैं करके तुझे देती हूँ "।


वैसे, यह महासमस्या है इसका की वह खुद का पढ़ने में इंट्रेस्ट नहीं पर और कुछ कोई बोला उसका हेल्प करने में रेडी है। उसका होमवर्क करने के बाद, अश्विनी फिर से अपने आप से बोलने लगी -" क्या हो रहा है मेरे साथ? क्यूँ कर रही हूँ ऐसा? मुझे सच में अभी मुझे मम्मी से बात करना ही है । "

वो अपने कमरे से बाहर जा ही रही थी की फिर से कुछ सोच के रुक गई।


अश्विनी अपने आप को शांत कराते हुए, अपने आप को समझने का कोशिश कर रही थी -" देख, अश्विनी, शांत हो जा। क्या हुआ है तुझे? "


यह काहानी शायद समझ नहीं आ राहा होगा क्यूँकि इस कहानी का कहानी ही कुछ और है। इस कहानी को समझने से पहले हमें थोड़ा पीछे जाना होगा जब अश्विनी अपना 10 th बोर्ड एग्जाम खत्म कर 2(1st year ) में नये स्कूल ज्वाइन किया था।


 2(1st year ) में अश्विनी एक नये स्कूल में ज्वाइन किया था जो की रेलवे स्कूल था। वो नई नई सरकारी स्कूल में भर्ती हुई थी। अश्विनी अपने सपनों भरी आँखों से और दिल में नये नये छोटी छोटी आशा लेकर उस स्कूल में गई थी। अश्विनी ख़ुश थी की धीरे धीरे अपने मंज़िल के और आगे बढ़ रही थी। अश्विनी कक्षा -11 वी में पढ़ती थी और प्रथम दिन में ही उसने 3 सच्चे दोस्त बना ली थी क्यूँकि वो एक इंट्रोवर्ट है इसलिए उसे ज्यादा स्टूडेंट्स से बात नहीं कर पाई और अपने जैसे ही 3 दोस्त बना ली थी। एक का नाम रिया, दूसरा रितु और तीसरा रश्मि लेकिन उसे तब नहीं पता थी की उनमें से 

एक दोस्त नहीं है,बल्कि जासूस टाइप की थी जो की अश्विनी को जानना चाहती थी। उनमें से एक दोस्त जो अश्विनी का जासूसी करने के लिए उसे दोस्ती की थी, यह तो अश्विनी को पता भी नहीं था। वो जासूस और कोई नहीं बल्कि रिया थी।


रिया, रितु और रश्मि से अश्विनी का अब कॉल में बात होने लगा। उसमें से रिया ही ज्यादा अश्विनी से बात किया करती थी और सच में रिया इतनी अच्छी थी की उसने सच में अश्विनी का दिल जीत लिया और उसका बेस्ट फ्रेंड बन गई। अश्विनी और रिया दोनों का सोच कितना मिलता झूलाता था इसे अश्विनी भी हैरान थी। धीरे धीरे वो दोनों यानि रिया और अश्विनी बहुत ही ज्यादा अच्छे दोस्त बन गए थे और उनका बॉन्डिंग भी बहुत स्ट्रांग हो गया था। अश्विनी अब रिया को सब दोस्तों में से ज्यादा उसको बहुत प्यार करती थी। अश्विनी खुद भी हैरान थी की मतलब ऐसे कैसे हो सकता है? हाँ, माना सबका सोच मिलता झूलता है, पर इतना? अश्विनी को लगता था की रिया ही अश्विनी है और अश्विनी ही रिया है, मतलब इन दोनों का सोचने का तरीका पूरा सैम ही था। अश्विनी और रिया दोनों ही रोज व्हाट्सप्प पे या कॉल पे बात करते थे। ऐसा कोई भी दिन नहीं था जिस दिन वो लोग कभी बात ना किये हो।


अश्विनी को जब अपना सच्चा दोस्त रिया मिल गया तो वो भगवान को बहुत ज्यादा धन्यवाद बोली , कितनी ख़ुश थी। फिर कुछ दिन बाद अश्विनी का और एक नया फ्रेंड बना जिसका नाम स्वाति था, स्वाति दास था। स्वाति दास भी अश्विनी की अच्छी दोस्त बन गई और कुछ ही दिनों में स्वाति दास और अश्विनी खातून दोनों अच्छे बेस्ट फ्रेंड बन गए। जैसे ही स्वाति दास ने अश्विनी खातून के ज़िन्दगी में आई वैसे ही धीरे धीरे रिया अश्विनी से ठीक से बात नहीं करती थी लेकिन अश्विनी दोनों को ही बेस्ट फ्रेंड मानती थी।


स्वाति दास और अश्विनी खातून दोनों कक्षा के 1st बेंच पे बैठा करते थे। कक्षा में 4 ही स्टूडेंट्स थे जो अच्छे पढ़ते थे यानि की टॉपर थे और वह है राहुल, स्वाति, रिया और अश्विनी। अश्विनी ख़ुश थी की उसके दोस्त में से सच्चे दोस्त 2 ही थे और वह है रिया और स्वाति दास। स्वाति एक्स्ट्रावेर्ट थी और जिसके कारण वह बहुत ही जल्दी सबको दोस्त बना लेती थी। वैसे करते करते 11 वी का परीक्षा खत्म हुआ और 12 वी में आ गए।


12 वी तक आते आते रिया और अश्विनी की दोस्ती ज्यादा मजबूत नहीं रही शायद इसलिए क्यूँकि रिया को अश्विनी को स्वाति के साथ दोस्ती रखना पसंद नहीं था, हालांकि रिया ने कभी अश्विनी को नहीं बोला लेकिन आप लोग सोच रहे है रिया जासूस है इसका पता अश्विनी को कैसे चला? वो आगे आगे पता चलेगा।


अश्विनी का ध्यान कक्षा में सिर्फ पढ़ाई पर और टीचर पर रहता था इसलिए उसे नहीं पता था की सारे स्टूडेंट्स स्वाति दास और अश्विनी खातून इन दोनों को ब्यूटी विथ ब्रेन भी बुलाते थे। अश्विनी को यह बात कभी हजम नहीं होता था। स्वाति दास और अश्विनी खातून दोनों ही हमेशा कक्षा में प्रथम बेंच पर ही बैठा करते थे और दोनों बेस्ट फ्रेंड के आते ही कक्षा में सभी छात्र धीरे धीरे उन दोनों के बारे में बात करने लगते थे, ख़ैर। स्वाति दास सच में ही ब्यूटीफुल थी और पढ़ने में भी अच्छी थी पर यह बात अश्विनी को हजम नहीं होता की वो(अश्विनी )पढ़ाई में अच्छा है क्यूँकि अश्विनी पढ़ाई में एवरेज ही है, ऐसा अश्विनी को लगता है।


अश्विनी वहाँ पढ़ते पढ़ते और एक न्यू फ्रेंड बना ली थी जिसका नाम सोहेफ खान था। वो पढ़ने में अच्छा नहीं था इसलिए अश्विनी उसे सिर्फ पढ़ाई में मदद करती थी। अश्विनी, इतना जल्दी किसी को दोस्त नहीं बनाती है इसलिए वो उसको क्लासमेट की तरह ही देखती है और बस पढ़ाई में मदद करती है। फिर जब सोहेफ खान ने अश्विनी के दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाया तो अश्विनी माना नहीं कर पाई, और उसे दोस्त बना चुकी थी। सोहेफ खान पढ़ाई में अच्छा नहीं था लेकिन दिल का बहुत अच्छा था, यह सोच अश्विनी ने उसे दोस्त बना लिया लेकिन अश्विनी को पता नहीं था की सोहेफ खान उसे दोस्त नहीं बल्कि उसका प्लान कुछ और था।


अश्विनी को डाउट होता था रिया और सोहेफ के ऊपर क्यूँकि जब भी उन दोनों को अश्विनी एक दूसरे से मिलाने का कोशिश करती तब वो लोग उसके सामने मिलना नहीं चाहते थे।


एक दिन स्कूल के छुट्टी के बाद 

अश्विनी :-" यार, रिया। मैं तुम्हें कबसे मेरा नया दोस्त सोहेफ खान से मिलाने का कोशिश कर रही हूँ , पर तुम उसके बारे में जानना नहीं चाहती? "

रिया :-" नहीं, यार। देखो अब वो तुम जो भी करोगी क्या मुझे बता के करोगी? तुम उसे दोस्ती रखो, तुम्हारा मर्ज़ी, पर मैं उसे मिलना नहीं चाहती "।

अश्विनी :-" पर क्यूँ? कोई प्रोबलेम है क्या? "

रिया हँसते हुए :-" नहीं "

फिर जब वो दोनों बात करके स्कूल के बाहर जा रहे थे की तभी पीछे से सोहेफ का आवाज़ आया।


सोहेफ :-"अश्विनी "

अश्विनी और रिया वहाँ रुक गए और सोहेफ हिस्ट्री का बुक ले कर आया और अश्विनी से बोला :-" वो आज सर क्या बोल रहे थे? हिस्ट्री का क्या प्रोजेक्ट दिए थे? "

आश्विनी :-" हाँ, बता रही हूँ , बुक दो "।

जब अश्विनी सोहेफ को समझा रही थी तब अचानक से अश्विनी का आँख सोहेफ के तरफ गया। अश्विनी ने देखा की सोहेफ आँखों ही आँखों इशारो में रिया को वहाँ से जाने के लिए कहा। यह देख अश्विनी एक बार रिया के तरफ देखी तब वह भी इशारों में सोहेफ को कुछ बोली। जैसे ही अश्विनी ने यह देखा वैसे ही वो दोनों नज़रें चूरा लिए और रिया ने अश्विनी से ठीक से बात भी नहीं कर वो अपना साइकिल ले कर चली गई। यह सब जो था यह 2-3 सेकंड का बात था जो की अश्विनी ने नोटिस किया। अश्विनी को डाउट हुआ की वह लोगों को जब भी दोस्त बनाने का कोशिश करती हूँ तो कभी ठीक से बात भी नहीं करते तो फिर यह इशारो में जो बात किये, यह क्या था? अश्विनी मन ही मन सोच रही थी। आख़िर क्यूँ रिया और सोहेफ इशारो में दूर खड़े बात करते है लेकिन कभी सामने आकर खुल के बात नहीं करते? ऐसा क्यूँ? सोहेफ शायद और भी कुछ कहना चाहता था पर अश्विनी सिर्फ उसे डाउट क्लियर कर साईकल लेकर वह भी घर के तरफ निकाल गई। आश्विनी को यह बात अजीब लगता था की आख़िर क्यूँ रिया और सोहेफ कभी भी स्कूल में एक दूसरे से बात ही नहीं करते थे और करते भी थे तो इशारे में और जब भी अश्विनी यह देख लेती थी तब वो लोग मुँह घुमा लेते थे। आख़िर क्यूँ?


फिर कुछ दिन बीत गए।एक दिन अचानक से सोहेफ खान ने अश्विनी को प्रोपोज़ कर दिया जिससे अश्विनी ने माना कर दिया। उसके प्रोपोज़ करने से दोस्ती नहीं टूटा था, वो लोग दोस्त अभी भी थे लेकिन जब और 2 बार उसके माना करने के बाद भी सोहेफ ने उसे कहा की वह अश्विनी से सच में प्यार करता है, तब अश्विनी ने उसे माना कर उसे दोस्ती भी तोड़ दिया।


रिया और सोहेफ खान दोनों ही अश्विनी से झूठे दोस्ती का नाटक किये। वो दोनों का मकसद ही कुछ और था। अश्विनी को पता चला की उसका सच्चा दोस्त स्कूल में सिर्फ एक ही है और वो है स्वाती दास। माना की स्वाति दास और अश्विनी खातून दोनों कभी कभी एक दूसरे से जलते थे और लड़ाई भी करते थे पर वो दोनों सच्चे दोस्त थे ना की रिया और सोहेफ खान। यह सब क्या है समझ नहीं आ रहा होगा?


यह कहानी थोड़ा उलझा हुआ है।

अश्विनी खुद में क्लियर हो गई थी की रिया और सोहेफ खान यह दोनों ही झूठे है और इनका परिचय भी पूरा का पूरा झूठा है, बस कुछ एविडेंस चाहिए और फिर उन दोनों का सच वो सबके सामने लाएगी। जब अश्विनी को पता चला की वो लोग झूठे है तब उसको लगा की वह कोई जासूस होंगे, अच्छे वाले। पर अब उसे कुछ और लग रहा है जो वो ठीक से किसी से बोल भी नहीं पा रही है। आश्विनी को बस उन दोनों का सच जानना है आख़िर कौन है वो दोनों? क्या वाकई उन दोनों का पहचान असली है? अश्विनी जानना चाहती है की यह उसका वेह्म तो नहीं है या सच में सच है? अगर सच में यह उसका वेह्म है तो फिर उसको सबसे ज्यादा खुशी मिलेगी की एटलीस्ट वो लोग सच्चे है। आख़िर कौन है वो लोग? 



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