एक कहानी ऐसी भी
एक कहानी ऐसी भी
क्यों किसी को कोई हमसफर नहीं चाहिए ?
दुनिया के ज्यादातर लोग प्यार- व्यार, इश्क़ -विश्क़ करते हैं और कुछ लोग ऐसे होते हैं जिसको यह सब पसंद नहीं हैं और कुछ लोग ऐसे होते हैं जिसके मन में जब भी एसई कुछ मीठी मीठी ख्याल आने लगता हैं तब ही ऐसा कुछ ना कुछ हो ही जाता हैं या ऐसा कुछ ना कुछ यह यूनिवर्स उसे दिखाते हैं जिससे उसे यह सब चीज़ो से मन उठ जाता हैं।
मैं उन केटेगरी के लोगो के बारे में बात कर रही हुँ जिन्हे कभी प्यार व्यार करने का इच्छा तो हुआ था, इश्क़ विश्क़ करने का भी लेकिन फिर से यह दुनिया के कारण उन लोगो ने मन बदल लिया और लाइफटाइम के लिए सिंगल रहने का फैसला ले लिया। आखिर बहुत लोग उसको समझ नहीं पाते और उसे ही गलत ठहरा देते हैं।
यह बात शायद ही कोई समझ पायेगा।
एक छोटी सी कहानी से समझते हैं।
यह कहानी एक 17 वर्ष का लड़का हैं जिसका नाम आश्विन हैं। आश्विन कक्षा -12 वी का छात्र हैं। आश्विन के मन में सब के लिए प्यार ही प्यार भरा हुआ हैं। आश्विन का अच्छा परिवार हैं, अच्छे दोस्त भी हैं। उसके ज्यादातर दोस्त का बॉयफ्रेंड /गर्लफ्रेंड हैं लेकिन आश्विन का नहीं। आश्विन के दोस्त कहते थे कि आश्विन अभी तो कक्षा -5 के बच्चे का बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रेंड होते हैं तो तू क्यों नहीं बनता। इसमें आश्विन जवाब देता हैं -" उसे गर्लफ्रेंड बनाने में कोई रूचि नहीं हैं। " तो उसके दोस्त उसे फिर दुबारा कुछ नहीं बोले।आश्विन को दो - तीन बार लड़किया प्रोपोज़ भी किये लेकिन आश्विन ने साफ माना कर दिया इससे लड़किया उसे घमंडी बुलाते थे।
ऐसा नहीं हैं कि आश्विन के मन में कभी इच्छा नहीं हुआ। वह भी एक इंसान हैं लेकिन उसे सच्चे साथी का तलाश हैं या कहे तो था। आश्विन के मन में जब कभी प्यार व्यार करने का इच्छा होता था तब ही ऐसा कुछ ना कुछ हादसा हो जाता था जिसके बाद आश्विन का सारा इच्छा जल के राख हो जाता था।
आश्विन सबको इग्नोर करता था जिसके कारण उसे गलत समझा गया या फिर वह लड़कियों को सिर्फ दोस्त या बहन मान के बात करता था इसलिए उसे गलत समझा गया। पता नहीं क्या वजह हैं जिससे आश्विन को बहुत गलत समझा जाता था जिससे कि आश्विन के सेल्फ-रेस्पेक्ट को बहुत चोंट पोहोँचा जिसके बाद से आश्विन ने शपथ लिया कि वो और कभी भी नहीं सोचेगा कि उसे किसी भी हमसफर का जरुरत हैं।आश्विन को वैसे लोगो के बातो से फ़र्क़ नहीं पड़ता था लेकिन कभी कभी बातो को माइंड कर लेता था। खैर, आश्विन को पता हैं आश्विन कैसा हैं और उसके माता पिता उसे बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं, नो मैटर दुनिया वाले क्या सोचते हैं। खैर।
आश्विन ने लास्ट में अपना पूरा जीवन सिंगल रहने का फैसला किया और अपने माता पिता का सहारा बनेगा।
आश्विन का सारा इच्छा मिट गया बाकि रह गया था तो उसका एक लक्ष्य। और उसका लक्ष्य हैं कि वो अपने देश भारत के लिए कुछ करना चाहता हैं और अपने मम्मा पापा को नाम ऊँचा करना चाहता है।
और फिर दुबारा आश्विन ने ना ही इसके बारे में सोचा ना ही किसी से बात करता था। अब आश्विन अपना सारा फोकस सिर्फ और सिर्फ अपने लक्ष्य पे दे दिया था। एक तरह से कह सकते हैं जो भी हुआ अच्छे के लिए हुआ क्यूंकि वह एक ही चीज था जो आश्विन और उसके लक्ष्य में कभी कभी बाधा बन के खड़ा रहता था। परन्तु इस बार आश्विन ने खुद पे विजय पा लिया, खुद को जीत लिया और अपने लक्ष्य के प्रति काम करने लगा।