Ashfia Parvin

Children Stories Inspirational

4.7  

Ashfia Parvin

Children Stories Inspirational

पढ़ाई

पढ़ाई

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क्या आपके भी मन में सवाल उठता हैं कि हम पढ़ते क्यूँ हैं? हम पढ़ते हैं ताकि हमें अच्छी नौकरी मिले और समाज के नज़र में ऊँचा उठ जायेंगे इसलिए हम पढ़ते हैं? क्या आप भी स्कूल, कॉलेज कि पढ़ाई करते करते बोर हो चुके हो? व्हाट इस दी रियल मीनिंग ऑफ़ एजुकेशन? व्हाई वी स्टडी?और क्या आप को भी अपनी किसी गलती के लिए ये समाज आपको दोष देता हैं या मज़ाक बनाते हैं? अरे! भाई!गलती सबसे होती हैं। इट्स ओके। गलती से हमें सिखने को मिलता हैं।और हाँ, सबसे बड़ी प्रॉब्लम जिस सब्जेक्ट में हमें इंट्रेस्ट हैं वो तो हम पढ़ ही नहीं पाते हैं और जो सब्जेक्ट में हमें कोई दिलचस्पी नहीं उस सब्जेक्ट को हमें जबरदस्ती पढ़ाया जाता हैं और एग्जाम में ख़राब मार्क्स लाने पर हमें लूज़र, गधा और जीरो और ना जाने क्या क्या नाम से पुकारा जाता हैं। यह सोसाइटी समझने को तैयार ही नहीं होते कि सब लोग अलग हैं और सबमे कोई ना कोई बात होती हैं। एसई ऊपरवाला किसी को नहीं बनाता हैं। सब कोई खास होते हैं बस उनके असल टैलेंट्स को पहचानना हैं। गलती एजुकेशन सिस्टम कि हैं लेकिन अभी न्यू पालिसी आया हैं 5 3 3 4 जो बहुत ही अच्छा हैं। पर पता नहीं यह लागु कब होगा? दुख कि बात यह हैं कि हम बच्चो के नसीब में यह नहीं हुआ।


हाँ, तो अब यह काहानी शुरु करते हैं।


यह काहानी एक स्कूल स्टूडेंट कि हैं जिसका नाम आयशा हैं। आयशा 16 वर्ष की लड़की हैं जो कक्षा -12 वी में आर्ट्स ले कर पढ़ती हैं। आयशा के परिवार में आयशा, आयशा के माता -पिता, भईया और भाभी रहते हैं। आयशा को ज़्यादा दोस्त बनाना पसंद नहीं, आयशा को सिर्फ सच्चे दोस्त चाहिए और इसलिए आयशा के दो ही सच्चे दोस्त थे। आयशा एक इंट्रोवर्ट थी जिसके कारण वो किसी से ठीक से घुल मिल नहीं पाती थी।


आयशा का ज्यादातर वक़्त किताबों के बिच ही गुजर जाता था। आयशा को कभी परीक्षा में अच्छा मार्क्स मिलता था और कभी एवरेज मार्क्स लाया करती थी। ऐसा करते करते 12वी तक पोहुंच गई। बाकि बच्चो के जैसे आयशा भी बहुत सपने देखा करती थी। आयशा को पहला सपना था कि वो बड़ी हो कर डॉक्टर बनेगी फिर एस्ट्रोनाट बनने का सपना फिर लॉयर, फिर एक सोल्जर बनने का सपना फिर आई. ए. एस,आई. पी. एस फिर    सी.आई.डी ना जाने क्या क्या। खैर।

एक दिन कि बात हैं जब आयशा शाम में बैठी स्कूल होमवर्क कर रही थी तब आयशा के बेस्ट फ्रेंड नेहा का कॉल आता हैं।

नेहा :-" हेलो!आयशा"

आयशा :-" हाँ, बोलो नेहा "

नेहा :-" तुम आज स्कूल क्यूँ नहीं आये? एक बेड न्यूज़ हैं।"

आयशा :-" हाँ, पता हैं, इकोनॉमिक्स के टेस्ट में 4/20 मार्क्स मिला। यही तो? "

नेहा :-" ओ माय गॉड! आयशा तुम इतना रिलैक्स हो के कैसे बोल सकती हो? अब तक के सारे टेस्ट में यह सबसे ख़राब आया तुम्हारा। वैसे तुम्हे पता कैसे चला? एस्ट्रोलॉजीस्ट हो क्या!"

आयशा :-" हाँ, ओबीवियसली, मेरा टेस्ट पेपर हैं, मैंने टेस्ट दिए हैं तो मुझे पता होगा कितने सही अंसवेरस दिए हैं और कितने तुक्का मार के दिए हैं। वैसे तुम्हारा कितना आया? "

नेहा :-" मेरा 15/20। मुझे ड़र लग रहा हैं मैं बोर्ड एग्जाम में पास भी हो पाऊँगी या नहीं।"

आयशा :-" कोई बात नहीं। ट्राय करो हो जायेगा।ओके बाय। "

नेहा :-" हो क्या गया तुम्हे आयशा? तुम ऐसे बहकी बहकी बात क्यूँ कर रही हो? "


आयशा :-" तुम बताओ तुम्हे क्या हो गया? तुम ही ने तो बताया था कि तुम्हे इकोनॉमिक्स पढ़ने में कोई रूचि नहीं। तुम्हारा फेवरेट सब्जेक्ट तो बायोलॉजी हैं। तुमने ही तो बताया था कि तुम्हे गायनोलॉजीस्ट बनना हैं और तुम्हारा फेवरट सब्जेक्ट बायोलॉजी हैं। तो फिर जो सब्जेक्ट में तुम्हे इंट्रेस्ट नहीं उसे जबरदस्ती क्यूँ पढ़ रहे हो? जिसमे इंट्रेस्ट नहीं उसमे ओबवियसली गन्दा मार्क्स ही तो आएगा।"

नेहा कुछ देर तक चुप रही फिर उदास स्वर में बोली :-" तुम्हे घाव में नमक छिड़कना अच्छा लगता हैं क्या? अब मैं आर्ट्स ले चुकी हुँ, मैं नहीं बन सकती। अभी प्रेजेंट में जो हैं उसमे फोकस करो। कल फिर से इकोनॉमिक्स का लेसन 3 प्रोडक्शन फूल चैप्टर का टेस्ट हैं, सर बोले। प्रीपेर कर आना "।

आयशा :-" अब ना लगने से भी करना पड़ेगा। अब यह इन सब्जेक्ट्स के बुक से तो हम दोनों कि अरेंज मैरिज हुआ हैं। हमने थोड़ी ना इसे चुना। "


नेहा हँसते हुए सवाल उठाई :-" अरेंज मैरिज?"

आयशा :-" और नहीं तो क्या? यह सब्जेक्ट्स हमने थोड़ी ना प्यार से चुना। मुझे तो बायोलॉजी,साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी, फ़िलोसॉपी और रिलिजस स्टडीज में इंटेस्ट हैं। यदि यह पढ़ती तो पक्का टॉप करती। गारंटी सक्सेस। लेकिन अब जिसमे रूचि नहीं वो जो मम्मी पापा का चुना हुआ हैं यह समाज का चुना हुआ सब्जेक्ट हैं वो तो अरेंज मैरिज हुई ना । समझे!"

यह सुन नेहा अपना हंसी रोक नहीं पाई और बोली :-" वाह! व्हाट ए डिस्कवरी। अरेंज मैरिज और लव मैरिज अब अरेंज स्टडी और लव स्टडी। "


आयशा :-" वैसे मेरे मन में सवाल उठ रहा है। हम पढ़ते क्यूँ हैं?"

नेहा :-" क्यूंकि एक अच्छा नौकरी करनी है और समाज के नज़र में अच्छा उठ ना है। "

आयशा :-" स्वामी विवेकान्द का एक छोटी सी किताब है जिसमे उनके विचार लिखे हैं वो किताब का नाम है एजुकेशन फॉर करैक्टर। उनके नहीं बल्कि बहुत लोगो का कहना है हमारा एजुकेशन का असली मतलब लर्निंग है यानि कुछ सीखना और अपना और समाज का भला करना। एजुकेशन से हम कंटिन्यू कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं। सिर्फ डिग्री और नौकरी नहीं। "

नेहा :-" हाँ, वो तो सही बात हैं। अच्छा, फिलहाल के लिए ये टॉपिक क्लोज करते हैं और कल टेस्ट हैं उसके लिए पढ़ना हैं। बाय "

आयशा :-"ओके बाय "।


कॉल रखने के बाद आयशा अपना होम स्क्रीन के वालापपर को देखती हैं और कुछ उदासी से मुस्कान के साथ उस कोट्को पढ़ती हैं -" एजुकेशन इस दी मानिफेस्टोशन ऑफ़ दी परफेक्शन व्हिच इस आलरेडी इन मैन "।



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