Ashfia Parvin

Children Stories Inspirational Children

4.5  

Ashfia Parvin

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ए परिंदे ! जा जला सूरज को जाके

ए परिंदे ! जा जला सूरज को जाके

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ए परिंदे! जा जला सूरज को जा के आसमान में तू

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क्या आप भी परेशान हो चुके हैं लोगो के तानो से ? क्या आप को भी लगता हैं कि आप अपना सपना पूरा नहीं कर सकते हैं ? क्या आप भी अपने आप पर भरोसा करना बंद कर रहे हैं क्यूंकि लोग आपको और आपके सपनो पर भरोसा नहीं करते ? क्या आपको भी लग रहा हैं मैं कुछ और करने के लिए पैदा हुआ हुँ, मैं यह दुनिया, यह समाज के सिस्टम में फिट नहीं हो पा रहा हूँ ?

तो यह कहानी आपको जरूर पढ़नी चाहिए।

यह कहानी एक नार्मल सी लड़की कि हैं जिसका नाम अफ़रोज़ा हैं। अफ़रोज़ा 15 वर्ष कि लड़की हैं और वो 10 वी कक्षा में पढ़ती हैं। अफ़रोज़ा बाकि लोगो जैसे ही नार्मल हैं लेकिन उसका एक प्रॉब्लम हैं कि वो इस समाज के सिस्टम में कभी फिट हो जाती हैं और कभी फिट नहीं हो पाती हैं। अफ़रोज़ा अपने परिवार में अपने मम्मी पापा के साथ रहती हैं और उसका एक ही बेस्ट फ्रेंड हैं जिसका नाम हैं प्रियंका। अफ़रोज़ा के माता पिता हमेशा एक बात से चिंतित रहते थे लेकिन कभी अफ़रोज़ा से बताते नहीं थे लेकिन अफ़रोज़ा को जानना ही था कि उसके पेरेंट्स इतना चिंतित क्यों रहते हैं। तो एक दिन अफ़रोज़ा अपने पेरेंट्स के पास गई और जा के अपने मम्मी पापा से सवाल करने लग गई।

अफ़रोज़ा :- " मम्मी मुझे पाता हैं आप लोग मुझसे कुछ छुपा रहे हो। क्या आप प्लीज बता सकते हैं, वो क्या बात हैं ?"

लेकिन अफ़रोज़ा के माता पिता नहीं बोल रहे थे और हमेशा कि तरह डाँट डपट कर अफ़रोज़ा को अपने रूम में भेज दिए। अफ़रोज़ा दुखी और गुस्से से अपने रूम कि और जाने लगी लेकिन तभी फिर क्या हुआ उसके मन में कि वो पीछे मुड़ी और अपने मम्मी -पापा के आँखों में ऑंखें डाल के बोली -" नहीं, में कही नहीं जाउंगी। पहले बताओ आप लोग किस बात का इतना टेंशन लेते हो ? "

लास्ट में हार मान अफ़रोज़ा के मम्मी बताने लगे :-" देखो, बेटा तुम जब जन्म हुए थे तब डॉक्टर बोले थे... "

अफ़रोज़ा :-" हाँ, क्या ? "

अफ़रोज़ा के मम्मा :-" देखो, यह नार्मल बात हैं, बहुत सारे बच्चो का ही ऐसा होता हैं। "

अफ़रोज़ा :-" बात को जलेबी कि तरह ना घुमा कर सीधे सीधे बोलिये ना प्लीज "।

अफ़रोज़ा के मम्मा :-" तुम्हे पता हैं ना बेटा तुम हमें बहुत मुश्किल से मिले हो। उपरवाले से कितना माँगा तुम्हे फिर जाके तुम्हारे भैया के 12 वर्ष बाद तुम मिले हो हमें " इतना कह कर अफ़रोज़ा के मम्मा थोड़ा इमोशनल हो गए।

अफ़रोज़ा हँसते हुए बोली :-" हाँ, तो इसमें इमोशनल होने कि क्या बात हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा हैं। "

अफ़रोज़ा के मम्मा :-"डॉक्टर बोले कि तुम हर एक बात को माइंड कर लोगी और तुम अच्छा पढ़ाई नहीं कर पाओगी इसलिए हमें कभी भी किसी भी तरह के पढ़ाई में जोर जबरदस्ती करने माना किये हैं। और यह बेटा नार्मल बात हैं, तुम्हे पता हैं तुम्हारे पापा के दोस्त अजगर अंकल को उनका भी एक छोटा बेटा हैं उन्हें भी तुम्हारे जैसे ही प्रॉब्लम हैं, यह नार्मल हैं। " फिर कुछ टाइम बाद अफ़रोज़ा के मम्मा हँसते है बोले :-" देखो बेटा, डॉक्टर का बाद पूरी तरह से सच नहीं हैं क्यूंकि तुमने तो कक्षा-2 से 4 तक टॉप किया। मुझे तो डॉक्टर का बात में यकीन भी नहीं हैं, वो जो भी बोले कुछ भी नहीं सही हैं ।"

यह सुन के अफ़रोज़ा नोर्मल्ली अपने मम्मा से बोली :-" हाँ, तो एक इतना छोटा सा बात का पतंगड़ क्यों बना रहे हैं, इतनी सी तो बात हैं। वैसे मम्मी इसका कारण क्या हैं जिससे डॉक्टर ऐसे बोले ? "

अफ़रोज़ा के पापा अफ़रोज़ा के मम्मी के तरफ इशारो में कुछ बोले जो अफ़रोज़ा समझ चुकी थी इसलिए भोली बनने का नाटक करते हुए वहा से चली गई। अफ़रोज़ा को पता हैं कि अफ़रोज़ा के मम्मी पापा क्लेअर्ली नहीं बता रहे हैं।

2 वर्ष बीत गए। अफ़रोज़ा अब 17 वर्ष कि हैं और 2(2nd year ) में पढ़ती हैं।

एक दिन कि बात हैं ज़ब अफ़रोज़ा के पड़ोसन मिसेस रितु मिठाई लेकर अफ़रोज़ा के घर आये थे।

अफ़रोज़ा मिसेस रितु को घर के अंदर बुलाते हुए :-" आंटी अंदर आये। "

अफ़रोज़ा के मम्मी :-" कैसे आना हुआ ? "

मिसेस रितु :-" यह लीजिये मिठाई "।

अफ़रोज़ा के मम्मी :-" किस बात का ? "

मिसेस रितु :-" वो 10वी बोर्ड आई. सी. एस. इ में मेरी बेटी कशिश का 83% आया, इसलिए। " - यह कह कर मिसेस रितु एक बार अफ़रोज़ा का शक्ल गौर से देखते हैं तो एक बार अफ़रोज़ा के मम्मी का। 

अफ़रोज़ा के मम्मी खुशी जताते हुए :-" यह तो बहुत अच्छी बात हैं। "

मिसेस रितु :-" और नहीं तो क्या ? हमारे खानदान में यह पहली बार हुआ। " फिर कुछ देर तक दोनों के बिच कशिश का तारीफ चलता रहा। और फिर कुछ श्रण बाद मिसेस रितु बोले :-" वैसे आपकी बेटी का कितना क्लास हुआ

और कोनसे स्कूल में पढ़ती हैं अभी ?"

अफ़रोज़ा :-" 2(2nd year) आर्ट्स में, गवर्नमेंट स्कूल "

यह सुन मिसेस रितु कुछ अजीब सा एक्सप्रेशन दिए जो कि शब्द में बया ना होगा फिर बोले :-" क्यों ? बेटा ? तुम्हारा तो 70% हाँ, माना एवरेज हैं लेकिन फिर भी तुम आर्ट्स में क्यों पढ़ रहे हो ? साइंस लेनी चाहिए ? और गवर्नमेंट स्कूल में क्यों पहले तो कही और पढ़ते थे ना ? " फिर अफ़रोज़ा के मम्मी के तरफ देख कर :-" उसको गवर्नमेंट स्कूल में भेजने का क्या जरुरत थी, वहा पे वैसे भी अच्छे से पढ़ाई नहीं होता, लौफर लोग जाते हैं वहा पे। मेरी बेटी का एडमिशन Abc कॉलेज में करा रही हुँ, आखिर मिशन स्कूल से पढ़ी हैं वो सरकारी स्कूल में थोड़ी ही पड़ेगी। वो साइंस ले के पड़ेगी। अफ़रोज़ा, यह कैसे बात हुई आर्ट्स में कोई पढता हैं ? तुम राजनीती में जाना चाहती हो क्या ? वैसे भी राजनीती में अनपढ़ गवार नेता भी आ जाते हैं। क्या तुम राजनीती करना चाहते हो।" यह कह कर अपना घटिया से पान से भरे लाल लाल दाँत निकल कर ठहके मार के हँसने लगी।

इससे अफ़रोज़ा का खून खोल उठा और वो कुछ कहने ही वाली थी कि उसके मम्मी इशारो में आँख दिखाते हुए मना कर दिए।

फिर बात को काट ते हुए अफ़रोज़ा के मम्मी बोले :-" आप चाय लेंगे ? "

मिसेस रितु :-" नहीं, फिलाल तो मुझे और भी जगह मिठाई बाँट ना हैं। मैं चलती हुँ "।

अफ़रोज़ा :-" आये में छोड़ देती हुँ। वैसे आंटी पढ़ने और डिग्री ला ने से कुछ नहीं होता जब तक वो सब रियल लाइफ में इस्तेमाल ना करें। " फिर अपने साइड में एक बुक क़ो उठाते हुए अफ़रोज़ा स्माइल करते हुए बोली :-" एजुकेशन फॉर करैक्टर, आंटी जी। वैसे, मैं बहुत खुश हुँ कशिश के सफलता पर, उसको मेरे तरफ से बधाई जरूर बोल देना, आंटी । "

मिसेस रितु :-" हाँ, जरूर बेटा। "

अफ़रोज़ा :-" वैसे, आंटी, जरा रुकिए तो प्लीज। सॉरी, आपको इस तरह से रोकते हुए लेकिन क्या आप कशिश का रिजल्ट दिखा सकते हैं ? अरे! भाई! कशिश 83% लाई हैं आपके लिए बहुत खुशी कि बात हैं, सबके लिए ही खुशी कि बात हैं लेकिन उसका रिजल्ट भी तो दिखाना चाहिए ना। आपको खुशी खुशी दिखाना चाहिए, उसका रिजल्ट कहा हैं ?"

मिसेस रितु क़ो अफ़रोज़ा का यह बात थोड़ा अच्छा नहीं लगा जिससे बोले :-" हाँ, जरूर दिखाउंगी, पहले मिठाई तो दे आउ " फिर हँसते हुए अफ़रोज़ा के मम्मी के तरफ देखते हुए बोले :-" चलती हुँ।"

अफ़रोज़ा के मम्मी :-" फिर आएगा।"

उनके जाते ही अफ़रोज़ा अपने मम्मी से बोली :-" मम्मी, यह क्या आंटी साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स का भेदभाव कर रहे हैं, जिसको जिसमे इंट्रेस्ट हैं उसको उसमे ही पढ़ना चाहिए। स्माल माइंडेड लोग हैं, वो,सब गवर्नमेंट के बच्चे क़ो लौफर बोल रहे थे ? पढ़ाई लिखाय हमारे खुद के इम्प्रूवमेंट के लिए होता हैं और मम्मी एक बात बताये क्या हम सूरज और चाँद क़ो compare कर सकते हैं ? दोनों अपने अपने जगह पे ठीक हैं तो वो आंटी क्यों साइंस, कॉमर्स, आर्ट्स कर रही हैं ?"।

अफ़रोज़ा के मम्मी :-" क्या हो गया तुझे ? अपने काम से मतलब रख।"

अफ़रोज़ा :-" अरे! देश का बात हैं यह। छोटी छोटी बातो से ही यों हम भारत क़ो बदल सकते हैं। अभी भी वही मेंटालिटी!आर्ट्स क़ो निचे क्यू दिखाया जाता हैं ? आप लीओनर्डो वेंसी क़ो जानते हो ? वो साइंस और आर्ट्स दोनों पढ़े थे। और जिसको जिस सब्जेक्ट में रूचि हैं उसे वही पढ़ना चाहिए। यदि किसी क़ो सिर्फ और सिर्फ सोशियोलॉजी पढ़ने में इंट्रेस्ट तो उसे वो ही पढ़नी चाहिए। पता नहीं कशिश क़ो साइंस में इंट्रेस्ट भी हैं या नहीं। और मम्मी वो डिग्री का कोई फायदा नहीं जब हम उस डिग्री से समाज का कोई भला नहीं कर पाए और उस क़ो रियल लाइफ में यूज़ नहीं कर सके। "

अफ़रोज़ा के मम्मी :-" तू जेलस फील कर रही हैं ? "

अफ़रोज़ा :-" नहीं मम्मा, में सच में बहुत खुश हुँ कि कशिश हमारे देश कि बेटी इतना अच्छा मार्क्स लाई हैं लेकिन आंटी का माइंडसेट देखे आप ? पढ़ाई इम्पोर्टेन्ट हैं लेकिन बहुत लोग ऐसे हैं जो पढ़ाई नहीं किये लेकिन आज देखो उन लोगो क़ो । खैर, में बहुत खिंच रही हुँ बात क़ो। यही पे टॉपिक क्लोज करते हैं। लेकिन मम्मी आज में आप से एक बात कहती हुँ कि मैं ऐसे जो समाज में लोगो का माइंडसेट हैं इससे में बदलूंगी। खैर।"

उस दिन का बात अफ़रोज़ा के दिल में चुभ गई। वो आंटी का वो बात भूल नहीं सकी, कैसे भूलती, आखिर अफ़रोज़ा का एक प्रॉब्लम हैं और वो यह हैं को वो हर एक बात को पर्सनली ले लेती हैं और हर एक शब्द को माइंड कर लेती हैं, डॉक्टर भी यही बोले थे। एक तरीके से अच्छा हैं, एक कहावत हैं जो होता हैं अच्छे के लिए होता हैं।वो इंसिडेंट अफ़रोज़ा के अंदर आग जला रहा था लेकिन वो किसी से कुछ नहीं बोलती।

5 वर्ष बाद।

अफ़रोज़ा अब 22 वर्ष कि हैं और अपना एक अच्छा टीम के साथ एक   न. जी. ओ बनायीं जिसका नाम हैं 'सीखना ' जिसमे बहुत सारे बच्चे जिनका मन स्कूल पढ़ाई में नहीं थी बल्कि अपना पैशन फॉलो करने में था उनको पैशन ढूंढ़ने में मदद करना और आगे का रास्ता बनाना था। ' सीखना' का लक्ष्य था कि वो गरीब बच्चो का स्कूल पढ़ाय के साथ साथ उनके पैशन फॉलो करने में मदद करना वो भी फ्री में । जैसे कि किसी को सिंगर बनना हैं तो किसी को आर्ट्सस्ट, किसी को बॉक्सर बनना हैं तो किसी को लेखक या किसी को बहुत सारे चीज़ो को सिखने का इच्छा हैं जैसे कि स्विमिंग सीखना, बॉक्सिंग सीखना, सिंगिंग, डांसिंग, लेखक बनना, हॉर्स राइडिंग सीखना, धनुष चलाना या ड्राइंग सीखना किसी भी तरीके से कुछ भी सिखने का इच्छा हैं वो चाहे छोटी हो या बड़ी वो सब सिख पाएंगे पुरे फ्री में। इसका उद्देश्य हैं कि स्कूल पढ़ाई सब कुछ नहीं होता मतलब हाँ, पढ़ाई जरुरी हैं लेकिन उसके साथ साथ बच्चो के अंदर का जो टैलेंट हैं, जो पैशन हैं उसे भी बाहर निकलना हैं।

और जैसे कि इस कहानी का शिर्षक हैं -' ए परिंदे! जा जला सूरज को जा के आसमान में तू ' यह उन लोगो के लिए कहा गया हैं जिनके मन में कुछ ना कुछ करने का जज्बा हैं।


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