Keyurika gangwar

Abstract Tragedy Classics

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Keyurika gangwar

Abstract Tragedy Classics

सौत (भाग १०)

सौत (भाग १०)

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लक्ष्य तलाक के लिए अपने मित्र के पास जाता है तो वह उसने मीनल का नाम सुझाया।

मीनल ने पारिवारिक कारणों को अलग रखकर दोनों को समझाया पर दोनों में से कोई साथ रहने को तैयार नहीं हुआ।मीनल ने केस अपने गुरू संदीप को सौप दिया।

संदीप ने उन दोनों को समझाया कि विवाह सृजन ,नवनिर्माणऔर संसार के विकास का अत्यावश्यक अंग है और तुम्हारे पुत्र को भी तुम दोनों की आवश्यकता है ,तुम्हारे अलग होने पर उस अबोध के मन पर जो छाप पड़ेगी वह जीवन भर के लिए रह जायेगी।"पर सोहना पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

उल्टा बोली"वैवाहिक जीवन के लिए धन की भी आवश्यकता होती है"।इसके माँ-बाप ने इससे सब कुछ ले लिया,अब इसके थोड़े से रूपये से मेरा गुजारा नहीं होने वाला और वैसे भी मुझे न इसके बच्चे में और न इसमें कोई इंटरेस्ट है ।"

मैने अपने लिये दूसरा घर-वर ढूँढ लिया है बड़ी बेशर्मी से उसने संदीप को जबाव दिया।

"संदीप ने एक बार फिर समझाने  की कोशिश की।"

पति-पत्नि का आधार ही एक दूसरे का उन हालातों में साथ देना जब उन्हें अपने साथी की सबसे ज्याद जरूरत होती है और यह तो चंद रूपये की बात है।"

"सोहना मुस्कुराते हुए कहती है यहभी तो पता हो यह विपरीत समय रहेगा कब तक, मुझे तो लगता नहीं कभी सही समय आयेगा भी।"

"मैं अपना जीवन अपनी मर्जी से जीना चाहती हूँ,आपको क्या मतलब है।"

संदीप कड़वा घूँट पीकर भी समझाता है पर वह नहीं मानती।"

आखिरकार दोनों का तलाक हो जाता है । बेटों को लक्ष्य पास रखा ,और उसकी परवरिश के लिए उन दोनों को अपने घर ले आता है।

पर लक्ष्य की माँ ने साफ कर दिया कि जब तक मीनल घर नहीं आ जाती वो उसे वो माफ नहीं करेगी ,आखिर वो एक दादी थी अपने पोते को बेसहारा कैसे छोड़ सकती है सो दोनों दादा-दादी घर आ गये।

इधर लक्ष्य मीनल के घर का पताकर उसके घर पहुँच जाता है।

लक्ष्य सिर झुकाये बैठा है ,उसे समझ ही नहीं आ रहा कि वह क्या कहे?

मीनल ही बात की शुरूआत करते हुए पूछती है ," मिस्टर लक्ष्य कैसे आना हुआ।"

लक्ष्य भावुक होकर मीनल के पैरों में बैठ जाता और कहता है-"मैं तुम्हारा अपराधी हूँ"।


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