Keyurika gangwar

Tragedy Inspirational

3  

Keyurika gangwar

Tragedy Inspirational

मैं लौट के आऊँगा

मैं लौट के आऊँगा

3 mins
15


घर में कोहराम मच गया ,अजय की माँ तो अपने होश खो बैठी । नाते -रिश्तेदारों आना शुरू हो गया गाँव भर में खबर आग की तरह फैल गई। बीस वर्षीय अजय जो अब इस दुनिया में न रहा । अचानक समाने से आते वाहन को देख वह गाड़ी संभाल न सका और ट्रैक्टर के नीचे आ गया । उसका पार्थिव शरीर धरती पर रखा है ,ऐसा लग रहा है जैसे वो अभी नींद में हैं और थोड़ी देर में अपनी माँ से लिपट खाने को कहेगा। पर हाय !विधाता को यह सब अच्छा न लगा  वह फिर कभी न उठ सका। सभी जन मानस के आँखों आँसू थे ।बहन का चीत्कार तो कलेजे को चीर रहा था । जैसे -तैसे कर माँ ,बहन को समझा बुझाकर अंतिम क्रिया पूरी की गई। धीरे-धीरे सभी रिश्तेदार चले गये । घर में बहन और माँ ही रह गये । बहन ने न केवल खुद को संभाला बल्कि माँ को संभाल जीवन की ओर ले आई। जीवन की गाड़ी फिर से चल पड़ी वह पुरानी हंसी कहीं खो सी गई। कभी -कभी माँ अपने बेटे को याद कर अकेले में बहुत रोती पर किसी को इसकी भनक न लगने देती । कुछ वर्षों बाद उन्होंने अपनी बेटी का विवाह कर दिया । बेटी अपनी घर गृहस्थी में रम गई । उसे भी अपने माता -पिता की चिंता सताती रहती इसलिए अधिकतर समय वह अपने मायके रहती।

माँ कितने दिन हो गये अब आप अपने आप के संभालो।"

अच्छा बताओ क्या खाओ गी"

जो तुझे अच्छा लगे ,बना ले । यह सब तो लगा रहेगा।"

दोनों के बीच क्या बाते चल रही है घर में प्रवेश करते हुए पिता ने पूछा।

कुछ नहीं चाय बना दूँ आपको ।

हाँ-हाँ । बैसे भी बहुत थक गया हूँ।

सब चाय की चुस्कियों के साथ बाते करते हैं तो घर का माहौल हल्का होजाता है। कुछ दिन रूककर श्रेया चली जाती है। 

यूँ ही धीरे-धीरे समय गुजरता रहता है और श्रेया एक बेटे की माँ बन जाती सब बड़ा हँसी खुशी चलता है।नानी अपने दुहित पर प्रेम बरसाती है । इसी प्रकार समय गुजरता जाता है श्रेया पुन: माँ बनती है इस बार भी वह बेटे को जन्म देती है।

इधर अस्पताल के बेड पर वह अपने बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश करती है पर उसके आँचल में इस बार ईश्वर ने बच्चे का आहार दिया ही नहीं। छुट्टी होकर वह घर आ गई पर अचानक ससुर जी की तबीयत खराब हो गई और उसे सास के साथ ससुरजी को लेकर बाहर जाना पड़ा । समस्या यह थी कि इतने छोटे बच्चे को संभालेगा कौन ?इधर बेटी के आँचल में दूध नहीं उधर माँ के आँचल में स्वत: दूध की धार चलने लगी। कई गाँव की स्त्रियों से उन्होंने पता किया तो उन्होंने उस दूध को वृक्षों को सींचने का सुझाव दिया ।पर जब बेटी का छोटा बेटा संभालने की बात आई तो उन्होंने उस अपने पास रखा और अपना दूध पिलाया बच्चे ने सहर्ष दूध पिया और चुप कर सो गया उसके बाद से वह अपनी नानी के पास रहने लगा । जब वह बड़ा हुआ तो उसे अपने पिछले जन्म के घटना के बारे में याद था। इसलिए वह अपनी नानी को मम्मी और माँ को बहन कहता है अगर कोई भी बहन को माँ कहने के लिए बोलता है तो वह उससे लड़ जाता है । आज वह पंद्रह वर्ष का है पर नानी को ही माँ कहता है। बहन को बहन।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy