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Keyurika gangwar

Abstract Romance

3  

Keyurika gangwar

Abstract Romance

वो तस्वीर वाली लड़की

वो तस्वीर वाली लड़की

3 mins
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 से आकर स्टेशन पर पानी पीते ही अचानक उसकी नज़र । एक तस्वीर पर टिक गई। उसकी सादगी ,सुंदरता नितेश के दिल में उतर गई। नितेश सरकारी नौकरी का पेपर देने यहाँ आया।पेपर पूरा होने के बाद जब वह बाहर निकला। थकान और भूख के कारण वह बेहाल हो रहाथा। इसलिए पहले उसने खाना खाया फिर वहीं लेट गया । उसके होंठों पर मुस्कुराहट फैल गई।अभी वह उस तस्वीर वाली लड़की के बारे में सोच रहाथा। जल्दी ही उसे नींद आगई। आँख खुलने पर वह फिर अपने घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए निकल पड़ा। अभी ट्रेन को आने में दस मिनट थे। इसलिए उसने स्टेशन से अपने खाने के लिए नमकीन और बिस्किट के पैकेट खरीदें। " अरे! सुनो ,दो नमकीन और दो बिस्किट के पैकेट देदो।" "अभी लाता हूँ। दुकीन वाले ने फटाफट समान पकड़ाया। ट्रेन अपने रफ्तार से दौड़ रही ,और उतनी रफ्तार से नितेश के विचार।"" कभी वो तस्वीर वाली लड़की से उसकी शादी हो जाती ,कभी वह शरमा के उससे दूर हो जाती। इन सपनों के साथ ही वह अपने शहर आ जाता है फिर निकल पड़ता है अपने गाँव में। "आ गया बेटा।" थक गया होगा । चल हाथ ,मुँह धुल लें ,खाना खा। नितेश खाना खाकर आराम करने चला जाता है। छ:महीने हो गये पर नितेश के मन से वह तस्वीर निकलती ही नहीं। उन्हीं दिनों उसकी शादी की बात चल निकलती है। पर शादी की बात पर वह चिड़चिड़ा उठता है। "बेटा समय पर शादी हो जाये तो अच्छा है।" अगर तुम्हें कोई पसंद हो तो बता दो। "नहीं पापा ऐसी कोई बात नहीं।"" फिर----पिता ने पूछा। " रिजल्ट एक दो -दिन मे आ जायेगा तब देखेंगें। कोई नहीं कौन सी शादी हो रही है।घर परिवार अच्छा है ,लड़की भी सलीकेदार सुंदर और सभ्य है। अगर तुम हाँ करो, तो हम बात आगे बढ़ाये। जैसी आप सबकी मर्जी।। हथियार डालते हुए नितेश ने कहा। इतने दिनों में कहीं सेभी उसकी लड़की कोई खबर,बात या तस्वीर नहीं मिली सो नितेश ने शादी के लिए हाँ कर दी। लड़की घर वालों की पहले की देखी -भाली थी । नितेश ने भी देखने की कोई इच्छा न जताई। इस वजह से उसके माता-पिता ने उसकी शादी तय कर दी। शादी का दिन भी आ गया हँसते-हँसाते ,मजाक करते शादी के सारे कार्य भी निबट गये। नितेश भी उस तस्वीर को भूल गया। भाँवरे पड गई ,दुल्हन घर आ गई पर नितेश ने एक बार भी लड़की की तरफ देखा तक नहीं। वह बस सारे रिवाज निभाता रहा। रात को बहनों ने जबरदस्तीं उसे कमरें में ढकेल दिया । "वो बहने बहुत शरारती हैं, आप परेशान न हो। आराम से सो जाईयें। "पर देवर जी दुल्हन की मुँ ह दिखाई तो कीजिए। वहाँ कोने में छिपी भाभी ने कहा। नितेश आँखे फाड़कर भाभी आप यहाँ। क्यों अपन बहन से बाते भी नहीं कर सकते । "चलिए देखकर बताइए ,कैसी है हमारी देवरानी जी। "मन में तो लड्डू फूट रहे होंगें ,तब से । भाभी ने नितेश का चेहरा घुमाया । जैसे ही नितेश की नज़र समाने नज़र झुकाए बैठी दुल्हन पर पड़ती है वह भौच्चका रह जाता है। "अरे!यही तो है वह तस्वीर वाली लड़की। मन ही मन कहता है। "ख्वाहिश पूरी हो गई--भाभी यह कहते निकल जाती है पर नितेश के कानों ने सुना या नहीं पता नहीं।


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