नेकी व्यर्थ नहीं जाती
नेकी व्यर्थ नहीं जाती
जाती रोज की तरह अपनी टेबल पर काम कर रही थी। सामने के टेबल पर बार-बार उसकी नज़र चली जाती। इस टेबल पर व्योंम करता था। पर पिछले कई दिनों से अचानक वह गायब हो गया।। शुरू में तो लगा कि दो -चार दिन में आ जायेगा । लेकिन पन्द्रह दिन हो गये न तो वह खुद आया ,न ही उसका मैसेज या काॅल ही आया। कंपनी के मैनेजर ने इस बाबत श्वेता से कई बार पूछा कि "व्योंम तुम्हें कुछ बताया कर गया है।" "नहीं सर मैने कई बार नंबर लगाया पर उठा नहीं"। बिना छुट्टी लेकर वह कभी नहीं जाता।"" ठीक है" दोबारा फोन करों। श्वेता ने फोन तो नहीं किया पर बार-बार टेबल की ओर जरूर देख लेती। "श्वेता ,गरम-गरम काॅफी । थक गई हो न तुम इसलिए यह काॅफी तुम्हारें लिए।" थैंक यू व्योंम। श्वेता खुशी से मग थाम उसके साथ काॅफी पीने लगती।। "श्वेता बेटा कितने दिन हो गये व्योंम की को कोई खबर नहीं ,पता नहीं कहाँ है? चपरासी काका की आवाज से श्वेता की तंद्रा टूटी।। हाँ,काका । सब परेशान हैं यहाँ" पता नहीं कहाँ , क्या हुआ है।। आॅफिस के सब लोग उसकी ही बातें कर रहे थे क्योंकि व्योंम बहुत हँसमुख ,स्नेही और मिलनसार व्यक्ति है। उसकी बातों से सब हँसते-हँसाते रहते, सब का ध्यान भी वह खूब रखता।। दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता।।।। श्वेता ने पूरे दिन अपना काम किया। आज आॅफिस में गहमा-गहमी है सब तैयार बैठे हैं। "काका आप और दीप पीछे बैठ जाईए सर अपनी गाड़ी से जायेगें। " अच्छा श्वेता बेटा। बैठ गये सब लोग अब जल्दी चलो सब"। थोड़ी देर में उनकी गाड़ियाँ एक घर के सामने रूकती हैं। "सर ,आप । आप सब लोग यहाँ" कोई तुम्हारे घर आने के लिए टिकट लगता है- सर ने कहा। सब हँसने लगते हैं। "आप शर्मिंदा मत कीजिए व्योंम ने जबाव दिया। शर्मिंदा तो तुमने हमें किया है व्योंम ,क्या हम सब इस लायक भी नहीं कि तुम्हारे बारे में जान सकें।। सर वो----- श्वेता को तुम्हारें घर की जानकारी थी। वो यहाँ आई तो घर पर ताला था इधर -उधर से जब उसने पूछताछ की तो तुम्हारे बारे में पता चला। वरना हमें तो कभी तुम्हारें बारें में पता ही नहीं चलता। श्वेता----,। "जी सर" -श्वेता ने फटाफट एक कागज का टुकड़ा जल्दी से उन्हें दिया। यह चेक तुम्हारें लिए। हम सब की तरफ से। पर सर मैं--- तुम ना नहीं करोगे। तुम्हें यह लेना ही होगा हम सब का प्यार है। तुम चाहते हो कि हम तुम्हें भूल जायें। "नहीं ऐसा नहीं है ,व्योंम चेक ले लेता है। यह तो-- दो लाख का चैक है---वह हैरान -परेशान सबको देखता है। इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह सब तुम्हारा ही है। एक्सीडेन्ट में तुम्हारा एक पैर चला गया और हम तुम्हें नौकरी से निकाल देंगे।" -तुमने यह सोचा था, लेकिन सुनो जो पोस्ट तुम्हारी है वह तुम्हारी ही रहेगी। "जल्दी से ठीक होकर फिर से काम संभालो । बहुत परेशान हो गये हम तुम्हारे काम से -,और बहुत परेशान कर दिया तुमने हमें ---हाथ खड़े करते सर ने कहा।। सब ने उनका हँसते हुए समर्थन किया।। पीछे बैठे बूढ़े पिता की आँखें छलछला आई और बूढ़ी माई आँखों की नमीं अपने आँचल से पोंछने लगी।। सब व्योंम के गले लगकर विदा लेते हैं। दूर हाथ हिलाते व्योंम की आँखों एक बार फिर नमी तैर गई।
