मैं देखता हूं बड़ी उम्मीद से उन आंखों को, करती है क्या क्या कमाल तेरी आंखें। मैं देखता हूं बड़ी उम्मीद से उन आंखों को, करती है क्या क्या कमाल तेरी आंखें।
रेल अपनी पूरी रफ्तार से चल रही है, शरद की यादो की रेल भी। दोनो को त्रिवेंद्रम पहुंचने की जल्दी है, र... रेल अपनी पूरी रफ्तार से चल रही है, शरद की यादो की रेल भी। दोनो को त्रिवेंद्रम पह...
मेरा काँटों से भरा स्टेशन से घर तक का सफ़र अभी भी बाकी था। मेरा काँटों से भरा स्टेशन से घर तक का सफ़र अभी भी बाकी था।
मंजिल तो आ गयी थी लेकिन सफर ज़िंदगी का अभी बाकी था आगे की कहानी अगले अंक में --- मंजिल तो आ गयी थी लेकिन सफर ज़िंदगी का अभी बाकी था आगे की कहानी अगले अंक में ---
एक आदमी आया जिसको मैं जानता ही नहीं और मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। एक आदमी आया जिसको मैं जानता ही नहीं और मेरे सामने आकर खड़ा हो गया।
साधारण व्यक्ति समस्याओं को हल करता हुआ कितना जटिल हो जाता है ? अगर उसकी माँ के पास एक कमरा और रहा हो... साधारण व्यक्ति समस्याओं को हल करता हुआ कितना जटिल हो जाता है ? अगर उसकी माँ के प...