सौत भाग ११
सौत भाग ११
मुझे जो सजा दोगी वह मैं स्वीकार करूँगा । पर तुम घर चलो मेरा सब कुछ उजड़ गया है माँ भी तुम्हारे बिना मुझे क्षमा नहीं कर रही है । मीनल ने लक्ष्य को ऊपर बिठाया-" लक्ष्य मैं अपना आत्म सम्मान नहीं खो सकती, तुमने मेरा स्थान किसी और को दे दिया । अब तुम मुझसे कोई आशा नहीं करना और हाँ यह सब तो तुम्हें कई साल पहले सोचना चाहिए।"
मैं और मेरी बेटी दोनों बहुत खुश हैं, तुम जा सकते हो।"
लक्ष्य अपना सा मुँह लेकर बाहर की ओर चल पड़ता है।
और हाँ------- तुम्हारे बेटे को मैं अपने बेटे की तरह पाल लूँगी, उसे कभी माँ की कमी महसूस नहीं होने दूँगी।"
इसलिए दिन में एकबार तुम्हारे घर जरूर आ जाया करूँगी।
द्न में एक बार क्या वो बेटा भी अब मीनल के पास रहने लगा।
लक्ष्य ने हाथ जोड़ दिये फिर चला गया।" धीरे-धीरे कब बीस वर्ष पूर्ण हो गये पता ही नहीं चला।
मीनल के प्रेम से लक्ष्य के बेटे ने कभी गलत राह नहीं पकड़ी और आज वह एक कामयाब इंजीनियर है। बेटी डाॅक्टर है, माँ ही की तरह ही वह भी सदैव दूसरों की भलाई में लगी रहती।
बेटी-" माँ आज एक क्रिटिकल केस आया है।"
मीनल ने मुड़कर पूछा-"अच्छा क्या हुआ"।
बेटी तैयार होते-होते-"एक महिला आई है ,जिनका लास्ट स्टेज कैंसर हैं, वो बस एक ही बात बोल रही थी मुझे मेरे बेटे से मिला दो।"
मीनल ने पूछा-"उनका बेटा उनके पास नहीं रहता।"
बेटी ने बताया-"उनका कोई नहीं है ,सुना है बहुत साल पहले अपने पति से तलाक ले लिया और बेटे को पति के पास छोड़ दिया।"
ऐसे कैसे ? एक माँ अपने बच्चे को छोड़ सकती है, कैसे रहा होगा बिन माँ के बेचारा।"
मीनल को न जाने क्यों सोहना याद आ जाती है, उसने भी तो ऐसा ही किया था।"