Keyurika gangwar

Abstract Inspirational

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Keyurika gangwar

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सौत भाग ९

सौत भाग ९

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लक्ष्य- "कैसी बात कर रहा हो तुम भी, काम होगा ,इसलिए कर दिया होगा।" नजरें चुरा रहा था लक्ष्य मीनल से।

मीनल-"कल को अगर मुझे पता चला इससे तुम्हारा कोई रिश्ता है तो समझना तुम्हारे लिए मीनल मर चुकी है।"

पैर पटकती मीनल वहाँ से चली जाती है।

सच कब तक छुपता ,आखिर मीनल को लक्ष्य के अवैध संबंधों के बारे में पता चल ही जाता है और वह घर छोड़कर चली जाती है। परिवार वाले उसे रोकने की कोशिश करते है ,वह कहती है-"मेरे मान सम्मान को ठेस लगी है ,मेरा अपना भी स्वाभिमान है जिसको मैं नहीं छोड़ सकती।" समस्या यह थी कि वह जाये तो जाये कहाँ घर पर वह रह नहीं सकती ,मायके जाना नहीं चाहती। अपनी दो साल की बच्ची के साथ जब वह घर से निकलती है तो उसे सबसे ज्यादा चिंता अपनी बेटी की थी जिसे बिना छत के वह कहाँ रखें?

सबसे पहले वह शहर जाकर किराये कमरा तलाश करती है ,आखिरकार दिन भर ढूँढने बाद उसे एक छोटा सा कमरा मिल जाता है ,जिसमें सीलन की बदबू थी, चारों तरफ धूल ,मकड़ी के जाले बाहर बहता नाला पर सुकून था कि छत तो मिली। मीनल अपनी बच्ची को लेकर उस कमरे में रहने लगी । अगले दिन ससुर जी के दिये रूपयों से उसने हस्तशिल्प का काम शुरू कर दिया। हस्तशिल्प की वजह से उसे ज्यादा तंगी झेलनी नहीं पड़ी व बच्ची का ध्यान भी आराम से रख लेती।

मीनल के जाने के बाद लक्ष्य के माता-पिता ने उससे भी दूरी बना ली ,वे लक्ष्य से बहुत कम ही बात किया करते। की सौत सोहना अब उस घर में रहने लगी। वो सब कुछ अपने मन -मुताबिक करती ,यहाँ तक लक्ष्य भी उसके अनुसार चलता। लक्ष्य और सोहना का एक बेटा भी है जो अब तीन साल का हो गया। चाय पाते हुए लक्ष्य की नज़र एक फोटो पर पड़ जाती है जहाँ मीनल का नाम मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा होता है। मीनल अब एक सफल अधिवक्ता है ,वह सदैव सही का साथ देती है जरूरत पड़ने पर वह अपने क्लाईन्ट से पैसे भी नहीं लेती। 

वक्त गुजरता रहा कभी ठंडी सर्द हवाओं की तरह ,कभी कड़क गर्मी की तरह। लक्ष्य और सोहना के संबंध पहले की तरह नहीं रहे, धीरे-धीरे उनमें कटुता आ गई। सोहना की असीमित इच्छाओं ने न केवल लक्ष्य के माता-पिता को दुख पहुँचाया बल्कि लक्ष्य के जीवन में जहर घोल दिया। उसकी मनमानी के कारण लक्ष्य के माता -पिता पहले ही अलग रहने लगे। तीन साल के मासूम से भी उसे विशेष लगाव न था, उसे तो सिर्फ अपने ऐशो -आराम से मतलब था ,जहाँ पैसा देखा उस ओर उसने अपनी राह पकड़ ली। इसी कारण दोनों के मध्य कलह ने विकराल रूप ले लिया और झगड़ा कोर्ट -कचहरी तक पहुँच गया।


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