Surendra kumar singh

Romance

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Surendra kumar singh

Romance

रोमांस चल रहा है

रोमांस चल रहा है

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अजनबी थे नजरें मिलीं और एक हो गये। तुम तो तो दिखते ही नहीं दिखते तो सिर्फ हम हैं लावारिस से भटकते हुये इस दर से उस दर तक अजनबी से तुम संग इस जीवन में। क्या है ये रोमांस जो भी नाम हो हमारी इस मुलाकात का, यहां जहाँ मिलकर बिछड़ने की कहानियां नहीं है कहानियां हैं भी तो मिलने की मिलकर पाने की तृप्त हो जाने की और इतनी है कि दुनिया ही खो गयी है इस मुलाकात की कहानी में। कहानी भी ऐसी जैसे हमीं सब कुछ हैं इस दुनिया के नियंता भी निर्धारक भी, एक एक आदमी के भाग्य का सौभाग्य का, कर्म का जीत का और जीत के ही सिलसिले का प्यार का और प्यार के बढ़ते जाने का रोमांस का और अभिभूत हो जाने का एक मुकम्मल होता हुआ सम्मोहन हों, हम जैसे कि। अजनबी थे, नजरें मिलीं एक हो गये क्या है ये रोमांस है जो भी हो हमारे चर्चे हैं यहाँ से वहाँ तक यकीनन रोमांस की सीमाएं टूट रही हैं अच्छा लग रहा है रोमांस को नये अंदाज में जीने का एक नयी परिभाषा देने का एक उदाहरण के साथ चलती हुई अनगिनत रोमांस की कहानियों के मध्य हमारा रोमांस चल रहा है।

मुझे याद है तुमसे पहली मुलाकात का नजारा तुम खोये हुये थे मेरी ही याद की किसी कहानी में और मुझसे रूबरू होने की कोशिश में याद तो तुम्हें भी होगा अपना वो पल मुझे भा गया तुम्हारा निच्छल चेहरा मैंने देखा समय को अपनी मुट्ठी में कैद रखने की महत्वाकांक्षा लिये लोग तुम्हारे जीवन काल से टकराने के मंसूबे बांध रहे हैं तुम्हारे अंदर की जलती हुयी रोशनी को अंधेरे के समुन्दर डुबो देने के सपने सक्रिय थे तुम्हारे आस पास मुझे तुम पर दया आ गयी और मैं खो गयी तुममें तुम सा कोई मिला नहीं मुझे तलाश में मैंने भी सदियां गुजारी थीं फिर मैं खो गयी तुममें मैं तुम हो गयी और तुम अजनबी हो गये अपनी दुनिया से जो मैं थी वो हो गये तुम जो तुममें था वो खो गया मुझमें कितनी दिलचस्प है घटना अविश्वसनीय भी अविस्मरणीय भी। अजनबी थे, नजरें मिलीं एक हो गये और रोमांस चल रहा है कविता में तो यही लिखा है सच भी है, हां ये सच इस रूप में भी है कि याद में थे मिल गये कितना दिलचस्प है ये मौसम भी नव रात्रि का चारों तरफ मेरी ही चर्चा है भजन हो रहे हैं, पाठ चल रहा है गन्ध उड़ रही है हवा भी महक रही है और इन सबसे बेखबर तुम मुझमें खोये हुये हो मुझे तुम्हारी कहानियां अच्छी लगती हैं वैसे ही जैसे लोगों को मेरी मुझे तुम्हारे गीत अच्छे लगते हैं वैसे ही जैसे कि लोगों को मेरे कभी कभी मैं गुनगुनाती भी हूँ तुम्हारे गीत जैसे कि माँ जब से दिल के मंदिर में रहने आयी हैं दिन हंसते हैं रातें मीठे बोल सुनाती हैं जीवन जन्म मृत्यु तक फैली एक अमिट रेखा है हर युग ने सपना देखा था हमने भी देखा है याद में थे, मिल गये रोमांस चल रहा है कितना अद्भुत है ये अब तक तो यही था आंखें मिलती थीं दिल मिलते थे, एक हो जाते थे कितने किस्से हैं रोमांस के जो हो गया वो रोमांस नहीं है रहा होगा है नहीं ये चल रहा है। हमारे दिल मिल गये है एक दूसरे में इरादा भी था रोमांस का है भी जीवन के आस पास चलते हुये इस भयानक युद्ध में जीवन की भागीदारी भी जरूरी है रोमांस भी जरूरी है रोमांस न होता तो ये युद्ध न होता होता भी तो हम बेखबर होते जैसे कि पूरी दुनिया ही है युद्ध टालने की कोशिश भी है युद्ध टालने की तैयारी भी है दुनिया बचाने की आवाज भी है दुनिया को छिन्न भिन्न करने के मंसूबे भी हैं। दुनिया हमारी है का उद्घोष भी है और ये पृथ्वी लावारिस भी है बुखार ग्रस्त है श्वांस अनियंत्रित है धड़कन असन्तुलित है और उसकी स्वभाविक सुरक्षा ओजोन परत में छेद भी है बिठा दिया गया है पृथ्वी को परमाणु हथियारों के ढेर पर पृथ्वी अपनी प्रारंभिक अवस्था मे आ सकती है एक बार फिर आग का धधकता हुआ गोला बन सकती है आदमी के विस्तार की आकांक्षा ने पृथ्वी को राख में बदल देने की सम्भावना में तबदील कर दिया है।

अजनबी थे, आंख मिली एक हो गये रोमांस का इरादा था चल भी रहा है धारणा बदल रही है रोमांस की मनुष्य का पृथ्वी से रोमांस जो हो सकता है यहाँ चल रहा है आदमी का स्त्री से रोमांस जो हो सकता है, यहॉं चल रहा है आदमी का प्रकृति से रोमांस जो हो सकता है यहाँ चल रहा है और तुम मुझमें खोये हुये हो आओ न थोड़ा सा रोमांस करें तुम चुप चाप बैठो मैं पीछे से तुम्हारी आंखें बंद करूँ और तुमसे पूछूं मैं कौन और तुम मेरे हाथ सहलाओ शरीर टटोलो बालों में अंगुलियां घुमाओ कोशिश करो मुझे पहचानने की और तुम मेरी याद में डूब जाओ खामोश, निरुत्तर, चैतन्य चलो मैं तुम्हें अपनी याद दिलाती हूँ। अजनबी थे ,मिले और एक हो गये अपना होना याद करो मैं याद आ जाऊंगी अपना जीना देखो मैं याद आ जाऊंगी अपने आस पास महकती हुयी हवा की गन्ध लो मैं याद आ जाऊंगी यह सब नहीं कर सकते तो पूछ लो समय से मेरा मुकम्मल पता है उसके पास सोरी डियर मैं ही गलत हूँ तुमसे अपनी अनभिज्ञता का विश्वास लिये बैठी हूँ तुमने तो आते ही मुझे पहचान लिया था चुप रहना तुम्हारी एक अदा है झिझक भी हो सकती है और सादगी तो है ही और ये सब मेरे सवाल पर तुम्हारी मुस्कराहट से झर रहा है और मुझे तुम्हारी वो कहानी याद आ रही है मैं थी साथ जब तुम एक रेस्ट्रोरेंट में घुसे थे भूखे थे, प्यासे थे तुमने चिल्लाकर वेटर से कहा था हाथ पैर हैं और उसने कहा था हां तुमने कहा एक फूल प्लेट लाओ तुमने उस चांदनी रात में डिनर किया वेटर को 100 रु टिप दिया और वो आदमी जो तुम्हें गौर से देख रहा था तुम पुरूष थे लेकिन स्त्री की भाषा बोल रहे थे। मैं खाऊँगी उसने तुम्हारी पूरी वीडियो बनायी इस डिनर की और आजकल अपने मित्रों को अपने ड्राइंग रूम में बुला दिखाता है। खूब मजे लेते हैं हंसते हैं ठहाके लगाते हैं और मैं समझती हूँ हाथ पैर तो नहीं रहे उनके भेजा है अभी उसी से चलते हैं उसी से देखते हैं उसी से दौड़ते हैं उसी से बोलते हैं उसी से इश्क करते हैं उसी से लिखते हैं और उसी से पुल की जगह दीवार बनाते है, बनाते जा रहे हैं और अब कैद हो गये हैं अपनी ही बनायी हुयी दीवार के कारगर में ठहाके लगाते लगाते आत्ममुग्ध हैं अपने ही कैदखाने में। अजनबी थे, आंख मिली, एक हो गए सारी याद में थे मिल गये एक नये रूप में रोमांस चल रहा है एक नए अंदाज में एक नये समय में एक नयी सभ्यता से एक नये मिजाज के साथ एक नया इरादा लिये हुये एक नई कहानी बुन रहे हैं यादों के सिलसिले में ही अतीत लौट आया है हममें भविष्य सिमट गया है। हममें और रोमांस चल रहा है मां बच्चे को अपना दूध पिला रही है बच्चा युद्ध के मैदान में दुश्मन पर निशाना साध रहा है और युद्ध के मैदान के बग़ल में कोई अघोषित युद्ध लड़ने की कला सिखा रहा है क्या नाम दें इस ट्रेनर को अरे भाई लड़ना है तो लड़ों बिना लड़े लड़ना क्या है छलावा है युद्ध का उन्माद है युद्ध का अंधेरे में बैठकर लड़ाने का हुनर है अभीष्ट है एक कल्पनाशील निजाम का प्रबन्ध है कुटिल दिमाग क़ा गजब का सम्मोहन है सत्ता जैसी सत्ता राजनीति जैसी राजनीति धर्म जैसा धर्म ब्रांडेड थॉट्स, विज्ञापित खबरें दिमाग से मीडिया तक मीडिया से हवा तक हवा से दिमाग तक दिमाग से हम तक हमसे दिल तक दिल से तुम तक तुमसे, हम तक इस भीड़ भरी दुनिया में नितांत अकेले, इस घने अंधेरे में दीवालों के गर्भ गृह में। अजनबी थे आंख मिली, एक हो गये घुल गये आपस में या याद में थे, मिल गये चलती हुयी कहानियों के मध्य रोमांस चल रहा है छू लो तो रोमांचित हो उठोगे देख लो तो रोमांस हो जायेगा सुन लो तो रोमांस मचल उठेगा पढ़ लो तो नींद खुल जाएगी महसूस कर लो तो खो जाओगे हममें हिस्सा बन जाओगे हमारे रोमांस का ये नये किस्म का रोमांस है बिल्कुल नये किस्म के आदमी का क्यों कि उसमें मैं हूँ मुझ में वो है खुली आंख से न दिखने वाली मैं और दर बदर भटकता हुआ बन्द आंख से सब कुछ देखता वो सांपो की सुरीली आवाज बिच्छुओं के नशीले डंक और निगल जाने की नियति से घात लगाए बैठे अजगरों के बीच इस विश्वास के अंधविश्वास में कि रचनाकार अपनी रचना को नष्ट नहीं होने देता, हमारा रोमांस चल रहा है यकीनन याद में थे फिर मिल गये हैं रूबरू हैं समय से दुनिया से, दुनिया के निजाम से प्रकृति से और उसके विधान से रोमांस करते हुये मुस्कराते हुए गिरते हुये उठते हुये एक दूसरे में खोये हुये।


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