की तभी फिर से प्रिया बोली, बिना, बात किये तुमसे ना हो पायेगा... की तभी फिर से प्रिया बोली, बिना, बात किये तुमसे ना हो पायेगा...
जिस प्रकार तेरे लिए पुरानी फोटो अमूल्य धरोहर हैं उसी प्रकार मेरे लिए ये पेड़ अमूल्य धरोहर हैं। जिस प्रकार तेरे लिए पुरानी फोटो अमूल्य धरोहर हैं उसी प्रकार मेरे लिए ये पेड़ अमू...
गहरे आत्मसंतोष के साथ ठाकुर साहब ने सबको देखा जो हाथ जोड़े चुपचाप खड़े थे। गहरे आत्मसंतोष के साथ ठाकुर साहब ने सबको देखा जो हाथ जोड़े चुपचाप खड़े थे।
साड़ी के लिए जुगाड़ करती थी। मेरे जुगाड़ कुछ भिन्न अवश्य है किंतु आत्मा वही है। साड़ी के लिए जुगाड़ करती थी। मेरे जुगाड़ कुछ भिन्न अवश्य है किंतु आत्मा वही है।
लेखक: मिखाईल ज़ोशेन्का अनु. : आ. चारुमति रामदास। लेखक: मिखाईल ज़ोशेन्का अनु. : आ. चारुमति रामदास।
एक पल के लिए दोनों एक दूसरे की आँखों में खो गये। एक पल के लिए दोनों एक दूसरे की आँखों में खो गये।