हार्टबिट्स चेप्टर-४

हार्टबिट्स चेप्टर-४

10 mins
504


आगे देखा,

प्रेम आरोही को इम्प्रेस करने के चक्कर में पूरी रात जागकर मेथ्स के प्रॉब्लम सोल्व करता है। दुसरे दिन प्रेम जल्दी जल्दी उठकर कोलेज पहोंचता है पर वहाँ जाके उसको पता चलता है की आज तो कोलेज में आरोही तो नहीं है, जिसके कारण उसका मुड ऑफ़ हो जाता है। दुसरि ओर आरोहि भी प्रेम को मिलना चाहती है, प्रेम से बात करना चाहती है इस लिए जल्दी जल्दी कोलेज की ओर बाइक भागके आती है लेकिन बिचमे बाइक पंक्चर हो जाती है जिसके कारण वो मेथ्स का पहेला लेक्चर्स मिस कर देती है। क्लास के दरवाजे के पास जाकर आरोही की नजर प्रेम को ढूंढने लगती है और जब प्रेम दिख जाता है तो मन में ही जोर से बोलती है...yessssssssss……..,

अब आगे,

May I come in sir ?

प्रेम की ओर नजर रखते हुये में बोली, जैसे ही ये सर ने सुना की सर की नजर पहेले उसकी घडी की तरफ फिर वहाँ से हमारी ओर देखकर बोले,

कोलेज का टाइम क्या है ?

सर, 8:50 AM। प्रिया बोली

और अभी कितने बजे ? फिर से सर ने पूछा

सर, 9:59 AM। मैंने कहा

तो अबतक कहाँ पर थे ?

सर, वो बाइक में पंक्चर हो गया था, इस लिए...अभी प्रिया बोल रही थी के सर बिच में बोले,

ओह्ह, तो दूसरे ही दिन से बहाने भी बनाने लगे ?

नहीं, सर सच में बाइक का पंक्चर हुवा था। मैंने कहा

बस, मैंने सफाई नहीं मांगी। पहेली बार है इसलिए छोड़ रहा हु अगली बार कोई बहाना नहीं समजे ?

हां, सर। हम दोनों साथ में बोले

ओके, प्लीज़ सिट।

थेंक यु, सर। मैंने कहा और हम दोनों फर्स्ट बेंच खाली थी वहाँ पर जाके बैठ गए।

हमें फर्स्ट बेंच पे बैठने का कोई शोख नहीं था लेकिन कोलेज में यही होता है, मतलब के जो लेट आए वो फर्स्ट बेंच पे और जो क्लास में पहेले आए वो लास्ट बेंच पे।

हमदोनो जैसे ही बैठ गये कि सर वापस प्रेम की ओर मुड़कर बोले,

चलो अब बताओ इसका सोल्यूशन।

फिर क्या ? प्रेम ने तो बड़ी आसानी से उसको सोल्व कर दिया।

वेरी गुड। जैसे ही प्रेम ने सोल्व किया की सर बोले और प्रेम को पूछा क्या नाम है तुम्हारा ? ये सुनते ही तुरंत ही में अपने मन में बोली “प्रेम”।

जी, सर प्रेम। प्रेम ने अपना नाम बताया।

कहाँ से ?

सर, सूरत से।

ओके, प्लीज़ सिट।

आज प्रेम भी पहेली बेंच पर ही बैठा हुवा था, लेकिन फिर भी में उसे आराम से नहीं देख पा रही थी क्योंकि उसके दायें आशीष और मेरी बायीं तरफ प्रिया थी मतलब हमारी पोजीशन कुछ इस तरह सी ”AAROHI – PRIYA – ASHISH - PREM”।

प्रिया को तो में संभाल सकती हूँ, लेकिन आशीष का क्या करू ? जब भी प्रेम की और देखती हूँ तब हमेंशा वो बिच में आ जाता है, दस बार देखती हु तब एक बार जाके मुझे उसका चेहरा दिखाई दे रहा था।

प्रेम को देखने के चक्कर में सर ने मुझे देख लिया और मुझे कहा,

एक तो क्लास में लेट आना है, ऊपर से क्लास में ध्यान भी नहीं देना। चल, जल्दी से मुझे इस सवाल का जवाब दो,

ये विषय मेथ्स जितना पावरफुल नहीं था मेरा, सो मुझसे ऐ सोल्व नहीं हो पाया तो सर ने प्रिया को पूछा लेकिन वो भी मेरी बहेन ही थी इसलिए उससे भी नहीं हुवा। आखिर में सर प्रेम की तरफ देख के बोले,

चलो, प्रेम अब तुम्ही उसको सोल्व कर दो। फिर क्या उसने तो फटाफट सोल्व कर दिया, जैसे ही प्रेम ने सोल्व किया की सर ने उसे फीर से वेरी गुड बोलके बिठा दिया और हम दोनों को फिर से पुरे क्लास के बिच में सुनाया।

मुझे बुरा इस बात का नही लगा की सर ने पुरे क्लास के सामने मुझे सुनाया बल्कि उस बात का ज्यादा बुरा लगा की प्रेम सामने मुझे सुनाया। आज में उससे बात करने का प्लान बनाकर घर से आई थी, लेकिन उस प्लान की तो बेंड बजादी इस सर ने। अब क्या करू ?बात करने जाऊ के नहीं ??

बात करने तो जाना ही होगा पर किस मुह से जाऊ ?अगर उसने मुझसे बात नहीं की तो ?उसने भी मुझे EEE को लेकर भला-बुरा सुनाया तो ?? अगर सुनाया तो मुझे सबसे ज्यादा बुरा लगेगा, क्योंकि आप जिससे पसंद करती हो वो आपको सुनाये तब सबसे ज्यादा hurt होता है। ये सब सोच के अब बात करने का प्लान पोस्टपोन कर दिया।

प्रेम

जैसे ही मेने आरोही को दरवाजे पे देखा तो में मन ही मन बोल पड़ा “Thank GOD”। इस बार फिर से हमारी नजर एक हो गई और फिर से “I Miss MyHeartBeats”। क्लास में लेट आने की वजह से सर ने उन दोनों को भला बुरा सुनाया जिससे मुझे अच्छा नहीं लगा, लेकिन गलती थी इसलिए तो सर ने बोला एसा सोच के मेने अपने मन को समजा लिया। थोड़ी देर में वो एकजेट मेरे पेरेलल की जो पहेली बेंच थी उस पर जाके वो बैठ गई जहाँ से वो मुझे आसानी से दिखाई दे रही थी, लेकिन कभी कभी प्रिया बिच में आ जाती थी जो मुझे अच्छा नहीं लगता था।

अब सर मेरी तरफ मुड़ कर बोले , चलो अब बताओ इसका सोल्यूशन।

फिर क्या मैंने भी जल्द से जल्द बड़ी आसानी से सोल्व कर दिया इसलिए सर ने मुझे वेरी गुड कहा। मुझे इस बात की ख़ुशी नहीं थी की सर ने मुझे सबके सामने अच्छा कोम्प्लिमेंट दिया बल्कि इस बात की सबसे ज्यादा ख़ुशी थी की आरोही के सामने मुझे कोम्प्लिमेंट दिया।

कल जो मैंने मेथ्स के लेक्चर्स में अपनी इज्ज़त खोई थी वो आज वापस मुझे EEE में मिल चुकी थी, मतलब में ओर आरोही वापस इक्वल्स लेवल पे आ गए, इस के कारण मेरा आत्मविश्वास वापस थोडा बढ़ गया।

थोड़ी देर बाद सर ने आरोही को खड़ा किया प्रॉब्लम सोल्व करने के लिए लेकिन उससे नहीं हुवा, और नहीं उसकी फ्रेंड्स से हुवा तो सर ने वापस मुझे अपने नाम से बुलाकर खड़ा किया प्रॉब्लम सोल्व करने को ओर एक बार फिर से मैंने बड़ी आसानी से सोल्व कर दिया, एक बार फिर से में हीरो बन गया आरोही के सामने।

आज का दिन मेरे लिए अच्छा था, लेकिन आरोही के लिए ख़राब। मै अभी तक कन्फ्यूज था की आरोही से प्रॉब्लम सोल्व नहीं हुवा तो ये मेरे लिए अच्छी बात है, की बुरी ? एक तरफ अच्छी लग रही थी क्योकिं इससे मेरे पास एक बहाना था उससे बात करने का, और बाद में मुझे लगा की नहीं ऐ ख़राब है, अरे मै इतना भी सेल्फिश कैसे हो सकता हु की जिसको में पसंद करता हु उसका ही बुरा सोचु ? अगर में उससे पसंद करता हु तो इसका मतलब उसकी ख़ुशी मेरी ख़ुशी, उसका दुःख मेरा दुःख...

में ऐ सब सोच रहा था की लेक्चर्स खत्म होने की घंटी बजी, जैसे ही लेक्चर्स ख़त्म हुवा की सर जाते जाते बोले आज के क्लास में अगर आपको कुछ समज में नहीं आया हो तो मेरे ऑफिस में आकर मुझे बताना में आपको सिखाऊंगा, अगर मेरे पास ना आ सको, और में आपको नही मिलु तो आप प्रेम से सिख सकते है।

आपको खास बोल रहा हु आज जो सिखाया वो कल में तुमसे पहेले पूछ ने वाला हु तो आप तो सीखकर ही आना। सर आरोही की तरफ देख के बोले

प्रेम, इस पर थोडा ध्यान रखना और सिखाना सर ने मेरी तरफ देख के बोला के तुरंत ही मेरे मुह से निकल गया.

हां, सर उसपे ही ध्यान है...इतना बोला की सर बोले,

मतलब..!

मतलब, कुछ नहीं सर जैसे आपने कहा वैसे ही करूँगा। मैंने सर को कहा

गुड, इतना बोलके सर क्लास से बहार निकल गए।

आज मेरा दिन कुछ ज्यादा ही अच्छा था, आज EEE के लेक्चर्स नतो मेरी दुनिया ही बदल दि, क्योंकि सर ने जाते जाते भी जेक्पोट लगा दिया, पर एक बार फिर से सर ने जाते जाते आरोही की इंसल्ट कर दि..

EEE की भाषा में कहा जाये तो आज का मेरा और आरोही का कुछ इस तरह का था,

प्रेम आरोही

अब वक्त था ब्रेक का तो आशीष ने मुझसे कहा की चल प्रेम बहार जाते है तो मैंने भी कहा की ओके चलो...

जैसे ही हम दोनों बहार जाने के लिए दरवाजे के पास पहोंचे के हमारा पूरा ग्रुप यानि जीतू, रश्मीन, केयूर, बापू, चेतन, पियूष सब एक साथ क्लास के अंदर घुसे हां, इसे घुसना ही बोलते है आना नहीं..घुस के मुझे और आशीष को वापस अपनी जगह पे बिठा दिया।

वापस कल की तरह उलटी-सीधी बाते बोलने लगे आरोहि के बारे में...मुझे सोचते हुये देखकर रश्मीन बोला,

क्या हुआ ?

कुछ नहीं।

तो फिर इस तरह चुप क्यों बैठा है ? वापस रश्मीन बोला

भाई, प्रेम इस के साथ कुछ सेटिंग करवा देना अपना। बापू बोला

मेरी तरह आशीष भी चुप-चाप बैठ के ऐ तमाशा देख रहा था। आशीष कुछ नास्ता लेकर आया था तो वो निकालके बिच में रख कर बोला,

पहेले नास्ता करलो बाद में वो सब सोचते है।

हम सब बातें ही कर रहे थे की अचानक आरोही की बेंच पर हुये मोबाइल में से “इश्क वाला लव...” ये गाने की आवाज आते ही चेतन बिच में बोला,

देखा प्रेम, मेरे क्लास में आते ही उसने रोमेंटिक गाना प्ले किया।

ओ, भाई तुजे देखके नहीं मुझे देख के..| बिच में केयूर बोला

हां, मै तो यहाँ पर शोख से खड़ा हु, क्यों ? रश्मीन बोला

सालो, यहाँ पे SRK के होते हुये तुम सोच भी कैसे सकते हो के ये गाना तुम लोगो के लिए प्ले हुवा है ?हमारे बापू बोले

तुजे, हम प्यार SRK बुलाते है, इसका मतलब वो नहीं की हर रोमेंटिक गाना तुजे देख के प्ले होता है। जीतू बापू की और मुड के बोला

सही, है जीतू। अतुल उसकी हां में हां मिलाते हुये बोला

इन सब की बकवास सुन के में और आशीष पाक चुके थे इसलिए मैंने अपना चाइना का फोन निकला और उसमे “मुग़ल-ऐ-आजम” फिल्म का “प्यार किया तो डरना क्या” प्ले कर दिया, ओर आपको तो पता ही होगा की चाइना के फोन का स्पीकर मतलब 1500w के स्पीकर जितना आवाज देती है।

जैसे ही मैंने ऐ गाना प्ले किया की आरोही ने उसके फोन पे लगाया हुवा गाना बंद किया और प्रिया के साथ क्लास से बहार चली गई।

ये, साले प्रेम ये तूने क्या किया ?क्यों एसा गाना बजाया ?नाराज कर दिया उसको, चली गई ना बहार। जीतू चिल्लाते हुये बोला

वो मेरे गाने की वजह से नहीं तुमलोगों की वजह से क्लास के बहार चली गई। मैंने जीतू की तरफ देख के बोला

चले, जीतू अब बहार चलते है। चेतन बोला

हां, चलो अब यहाँ क्या काम है। जीतू बोला

सालों, कैसे दोस्त हो तुम, जो एक लड़की के लिए क्लास में आते है दोस्त के लिए नहीं..| मैंने उन सब की तरफ देख के बोला

बस, ओय्य ..ये मेलोड्रामा बंद कर अपना तेरे साथ तो पुरे दिन हमारे साथ होता है..लेकिन ऐ सिर्फ पुरे दिन में १ घंटे के लिए ही दिखती है तो ये समय तेरे साथ बैठ के थोड़ी वेस्ट करेंगे। बापू बोला

ये, भगवान कैसे दोस्त दिए है आपने मुझे ?मैंने ऊपर की तरफ देख के बोला

दोस्त, ऐसे ही होते है मेरे लाल। मेरे मन में छुपे हुये भगवान ने मुझसे आरोही

जैसे ही सर ने मुझे कहा की प्रेम के पास से सिखले ना तभी मै सोचने लगी की एक तरफ सर मेरी इंसल्ट कर रहा है और दूसरी तरफ प्रेम से बात करने का मौका भी दे रहे है। इन सब के बाद तो मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी की में प्रेम से जाके बात करू।

हेल्लो, आरोही क्या सोच रही है ?

कुछ नहीं प्रिया...

ये सर ने तो वाट लगादी अपुन दोनों की, साले ने पुरे क्लास के सामने बोले तो अपुन को मामू बना डाला।

मामू, नहीं बुद्धू मामी बना डाला। मैंने प्रिया को कहा

हां, वो जो भी हो लेकिन इंसल्ट तो जी भर के कर ली ना।

इससे तो अच्छे हमारे स्कुल के टीचर्स और उसकी एकथप्पड़ ही अच्छी थी।

हां, आरोही आज पता चली एकथप्पड़ की कीमत।

ह्म्म्म...|

तो, आज प्रेम के पास से लंच ब्रेक में सिख लेंगे EEE का, क्या बोलती हो आरोही ?

नहीं, बाबा मे अब उनसे बात नहीं कर सकती।

ओके, तो सर के पास जाके सिखलेंगे।

हट्ट..तू ही जाना उस खडूस के पास।

तुजे सीखना है की नहीं ?नाही तू प्रेम के पास जाना चाहती है और नाही सर के पास..इरादा क्या है तेरा ?

इश्क वाला लव...मैंने प्रिया की बातों पे ध्यान ही नहीं दिया और सोंग प्ले कर के उसके साथ गुनगुनाने लगी...की तभी फिर से प्रिया बोली,

बिना, बात किये तुमसे ना हो पायेगा...

To be Continue…


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama