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Parth Ghelani

Romance

3  

Parth Ghelani

Romance

हार्टबिट्स - चेप्टर-१

हार्टबिट्स - चेप्टर-१

25 mins
419

आरोही

आज मैं बहुत ही ज्यादा खुश थी, क्योंकि आज मेरा इंजिनयरिंग कॉलेज में पहला दिन था। मैं और मेरी सहेली प्रिया हम दोनों आज समय से पहले ही कॉलेज पर पहुँच गए। आज तक कॉलेज को सिर्फ फिल्म या सीरियल में देखा था तो आज हम असली कॉलेज देखने के लिए मर रहे थे, कॉलेज लाइफ को जीने के लिए मर रहे थे। कॉलेज में हम हमारे क्लास को ढूंढते हूँ ये पहुँच गए और जिस बेंच पे जगह थी वहां पे जाके बैठ गए। थोड़ी देर में क्लास में नए नए स्टूडन्ट आने लगे और अपने अपने दोस्तों के साथ जगह बनाकर बैठ गए। मैं और प्रिया अपनी जगह पे बैठकर सबको आते हूँ ये देख रहे थे,और उसको दस में से पॉइंट्स दे रहे थे। हम दोनों अभी भी बात ही कर रहे थे की अचानक से एक लड़का क्लास में आकर बोला, कम्प्यूटर st year का क्लास यही है?? तो हमारे क्लास में पहली बेंच पे बैठे हूँ ये लड़के ने कहा, हां जी यही है।

और वो आके अपनी एक जगह पसंद करके बैठ गया लेकिन मेरी नजर तो उसपे ही टिकी हुई थी तब अचानक से प्रिया बोली,

आरोही तुमने देखा उसको??

हां, वो क्लास में आया तभी से उसी को देख रही हूँ, मेरी ओर से उसको दस में से बारह पॉइंट मैंने प्रिया को कहा, मेरी और से पंद्रह पॉइंट,और आज से वो तुम्हारा जीजाजी तो अब से तुम उसकी साली बनने की कोशिश मत करना, समझी आरोही?? प्रिया मेरी और देख के बोली

ओय, पागल ये लाइन मेरी है, तू क्यों बोली?? मैने प्रिया को कहा

नहीं, आज से मैं उसपे ही लाइन मारूंगी तुम कोई और ले लो... प्रिया बोली

नहीं, तुम कोई दूसरा ढूंढो समझी... मैंने प्रिया से कहा

ओके, हम दोनों ही उसपे लाइन मारेंगे लेकिन वो किसे पसंद करेगा उसके पर हमारा अगला निर्णय रहेगा समझ गई??प्रि या ने मेरी और देख के बोला..

ओके, लेकिन उसका नाम क्या है?? मैंने प्रिया से पूछा

मुझे क्या पता?? प्रिया बोली

ओके, तो आज हम पता लगा लेंगे। मैंने प्रिया को कहा

हम दोनों बात ही कर रहे थे की हमारे क्लास में प्रोफ़ेसर आये और आते ही बोलना शुरू, जिसमे उन्होंने पहले उसका इंट्रोडक्शन दिया, उसकी डिग्री, उसका अनुभव...और फिर हमारी तरफ देख के बोले मैंने मेरा इंट्रोडक्शन दे दिया अब तुम लोगो की बारी, चलो एक एक करके अपना नाम और कहां से हो वो सब बताओ..

ये सुनते ही मेरे अंदर एक डर सा छा गया लेकिन अब तो ये करना ही था। धीरे धीरे सभी अपने बारे में अपनी बेंच पे खड़े होकर बोलने लगे।

मुझे तो किसी के भी नाम में कुछ इंटरेस्ट ही नहीं था क्योंकि मुझे तो सिर्फ एक ही लड़के का नाम जानने में इंटरेस्ट था और आखिर में उसकी बारी भी आ गई और वो खड़ा हूँ वा तो मेरी नजर बस उसपे ही टिकी हुई थी,

ब्लेक कलर फुल स्लीव टीशर्ट, क्लीन शेव, डेनिम के जींस में वो कुछ ज्यादा ही हेंडसम लग रहा था, मैं ये सब ही सोच रही थी की वो बोला,

मेरा नाम प्रेम है, प्रेम पटेल फ्रॉम सूरत। नाम सुनते ही में उसके आवाज़ पे फ्लेट हो गई। जैसे ही प्रेम अपना नाम बोला की मेरे पेट पे प्रिया ने मुझे मारा और बोली,

वावव..ज़ोरदार आवाज़ है यार इसकी तो।

हम्म, मैंने सिर्फ उतना ही जवाब दिया और उसी के बारे में सोचने लगी। उसके बारे में ही सोचते सोचते मेरी बारी कब आई वो मुझे पता ही नहीं चला। मैं अपनी बेंच पे खड़ी हुई और वो प्रेम अपना इंट्रोडक्शन दे के वापस अपनी जगह पे बैठ गया और दूसरे लोगो का इंट्रो सुनने लगा ये सोचकर की शायद मुझे क्लास में से कोई सूरत वाला मिल जाये तो कुछ बात बन जाये, और हुआ भी ऐसा क्योंकि मेरे पीछे वाली बेंच पे एक लड़का बैठा था जो सूरत से था और उसने अभी अभी उसका नाम आशीष बताया। में आशीष के साथ रिसेस में बात कर लूँगा ऐसा सोचा और वापस दूसरे लोगो को सुनने लगा।

अभी सब लड़कियाँ अपने बारे में इंट्रोडक्शन दे रही थी और मैं भी, सभी को अच्छी तरह से देख रहा था, क्योंकि किसको पता इनमें से ही मेरे दोस्तों को उसकी भाभी मिल जाये। आखिर बीस या इक्कीस लड़की के इंट्रो के बाद एक लड़की अपना इंट्रो देने के लिए अपनी जगह पे खड़ी हुई और मेरी नजर उसपे ही अड़ी रही..और मेरे पास में बैठा हूँ ये लड़के के मुँह से तो लिटरली वाव्व्व निकल गया...

जैसे ही वो खड़ी हुई तो मैंने उसी की और देखा क्योंकि क्या लग रही थी वो, करीबन 5’7” जितनी ऊंचाई थी, लाईट ब्लू कलर का फुल स्लीव सलवार, खुल्ले सिल्की बाल थे जिस पर खिड़की में से सूर्य की किरणें आके गिर रही थी जिसके कारण वो बाल बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे,उसके लेफ्ट हाथ में शायद टायटन रागा की घड़ी थी, उसके राइट हाथ पर एक ब्रेसलेट था जिसपे गणपती का पेंडल लगा हुआ था, उसके कपाल पर बिच मे एक ब्लू कलर की एकदम छोटी सी बिंदी थी, उसके कान में भी ब्लू कलर की एयरिंगस थी जो उसपे बिलकुल जज रही थी,और भी बहुत कुछ था लेकिन अब उसका कोई वर्णन नहीं है मेरे पास।

अब मैं उसका नाम जानने के लिए बेताब था इस लिए उसके आवाज़ की और कान लगाकर बैठ गया और वो बोली लेकिन मुझे तो नही क्लास में किसी को भी कुछ सुनाई नहीं दिया।

जरा जोर से बोलो किसी को नहीं सुनाई दिया, सर ने उसकी और देख के बोला...

जी, आरोही शर्मा फ्रॉम नवसारी...

हम्म, तो आरोही नाम है इसका..अच्छा नाम है मैं अकेले ही मेरे मन में बड़ बड़ कर रहा था। अभी तक मेरे पास कोई वजह नहीं थी क्लास में बैठने की लेकिन अब मेरे पास वजह थी। अभी तक मैं अपने आप को अकेला महसूस कर रहा था लेकिन अब मुझे इस नए क्लास में कोई अपना सा लगने लगा था।

आज पहला दिन था तो सर अपने हिसाब से हम सब को एक्जाम की मेथडस के बारे में समझा रहे थे लेकिन मैं तो अपनी अलग सी दुनिया में ही खो गया था। सब के इंट्रो में ही मेरा इंजिनयरिंग का पहला लेक्चर्स ख़त्म हो चुका और तुरंत ही दूसरे प्रोफेसर भी अंदर आ गए और अगले लेक्चर्स का पुनरावर्तन किया मतलब खुद का इंट्रो, हमारा इंट्रो, एक्जाम्स की मेथड वगेरा वगेरा... दूसरा लेक्चर्स भी इसे ही ख़तम हो चुका और अब वक्त था एक छोटे से ब्रेक का और मैं ब्रेक में भी बहार जाना नहीं चाहता था, मैं आरोही को जी भर के देखना चाहता था,उसकी आँखों में डूबना चाहता था लेकिन ये नहीं हो सका मेरे दोस्तों की वजह से..

दूसरी ब्रांच में मेरे साथ ही पढ़ते हूँ ये मेरे दोस्त का मेरे पे फोन आया की बहार आ हम खड़े है। आज पहला दिन था तो सोचा हम जो ग्रुप में आये है उसके आलावा कोई दोस्त नहीं है इस लिए में बहार जाता हूँ और मिलता हूँ और में क्लास से एक बार आरोही को देखकर बहार निकल रहा था की मेरे पीछे से आवाज आयी,

हे, प्रेम..

हम्म...क्या में?? मैंने उसकी और देख के बोला

या, हेल्लो मेरा नाम आशीष है और मैं भी सूरत से हूँ ,यहां पर अकेला था इसलिए सोचा के तुमसे बात करूँ आशीष ने मुझे कहा

ओके, मैं भी सोच रहा था की मुझे कोई सूरत का मिल जाये तो मज़ा आ जाये और तुम मिल गए। मैंने आशीष से कहा तो मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूँ ??आशीष ने मुझसे पूछा

हाँ ,क्यों नहीं?? चलो मैं मेरे दूसरे दोस्तों से मिलवाता हूँ । मैंने आशीष से कहा और हम दोनों बात करते करते बहार निकल गए


आरोही

जब मैं अपना इंट्रोडक्शन देने के लिए खड़ी हुई तो मेरा ह्रदय जोर जोर से धड़कने लगा। एक तरफ प्रेम और दूसरी और में पहेली बार इतने सारे लोगो के बिच खड़ी हुई थी अपने आप के बारे में बोलने के लिए।

हम इन्सान भी अजीब है क्योंकि जिसके बारे में हमें कुछ पता नहीं होता है उस पर तो हम बहुत ही गप्पे मारते है, लेकिन हमारे बारे में जब खुद के बारे में बोलने को कहो तो अपने मुँह से कुछ नहीं निकलता ऐसा क्यों??

जैसे तैसे करके मेरे मुँह से आवाज़ निकली और मैं अपना नाम बोली, लेकिन धत तेरी की किसी को भी नहीं सुनाई दि, तो सर मेरी और देख के बोले

जरा ज़ोर से बोलो किसी को नहीं सुनाई दिया।

जी, आरोही शर्मा फ्रॉम नवसारी। मुझ में जितनी ताकत थी वो लगाकर बोली और बैठ गई।

ये लेक्चर्स ख़त्म हुआ तो दुज्जा शुरू हुआ जिसमे भी वही करवाया जो अगले लेक्चर्स में किया और दूसरी बार भी जैसे तैसे कर के मैंने अपना इंट्रो दे दिया। अब वक्त था एक ब्रेक का तो प्रिया ने मुझसे कहा चल आरोही बहार जाके आते है।

नहीं, यार यहीं पर बैठना मुझे प्रेम को देखना है। मैंने प्रिया से कहा

और प्रिया ने प्रेम की तरफ देखा और बोले पर वो तुम्हें देखना ही नहीं चाहते उसका क्या?? प्रिया ने मुझसे कहा

तो क्या हुआ ??मैं तो देख सकती हूँ ना उसे,बस वो बहार ना जाये यहीं पर बैठा रहे। मैंने प्रिया की और देख के बोला

देखो, वो तो चले बहार। प्रिया ने प्रेम को बहार जाते हूँ ये देखा और मुझसे उसकी उसकी तरफ पॉइंट करते हूँ ये बोली

मैं उन्हें बहार जाते हुए नहीं देख सकती थी लेकिन उसको रोकू भी तो कैसे ?? ये सब सोच रही थी की अचानक हमारे क्लास के दूसरे लड़के ने उसे बुलाया तो मैंने मन में ही उसे थेंक यु बोल दिया और भगवान से प्रार्थना की के प्लीज़ वो बहार न जाये...लेकिन आखिर में दो मिनट के बाद वो दोनों ही बहार चले गए और मैं पीछे से सिर्फ उसकी पीठ को ताकती रही।

लेकिन मेरा मन ही नहीं भर रहा था, मतलब जितना उसको देखो उतना ज्यादा मन करता है उसको देखने का यही सोचकर मैंने प्रिया से कहा चलो प्रिया, बहार जाते है।

क्यों?? अभी तक तो बहार जाने से मना कर रही थी ना? अब ये अचानक क्या हो गया?? प्रिया ने मुझसे कहा

अरे, मेरी माँ मुझे वोशरुम जाना है। मैंने प्रिया से कहा

ओके,चलो वैसे इस बहाने में भी उसको देख लूंगी। प्रिया ने मुझसे हँसते हँसते कहा और हम दोनों क्लास से बहार निकल गए...

 

प्रेम

यार, कितनी देर लगा दी तुमने तो आने में। बहार खड़े हूँ ये अतुल ने मुझसे कहा

अरे, माफ़ कर दे मुझे बस,और इनसे मिलो ये हैं आशीष ये भी सूरत का ही रहने वाला है और मेरे ही क्लास में है। मैंने आशीष की और इशारा करके सभी को कहा

हेल्लो,आशीष ने सबसे कहा ये अतुल, जीतू, चेतन, पियूष(बापू), फ्रॉम सिविल, ये केयूर फ्रॉम ऑटोमोबाइल, ये रश्मीन फ्रॉम मेकेनिकल मैंने सबसे आशीष का इंट्रोडक्शन दिया और हम सब अब अपने पहले दिन के बारे में बातचीत कर रहे थे के तभी अचानक चेतन बोला,

माय गॉड!!! क्या माल है यार देख तो सही।

हाँ यार कसम से जोरदार है। अतुल बोला

सालों तुम दोनों चुप रहो, ये तुम्हारी भाभी है। जीतू उन दोनों को चुप कराते हूँ ये बोला

यार, तुम भी कमाल करते हो, पहले ही दिन से शुरू?? मैंने इन सबको कहा

यार, दिन पहला हो या आखिरी जो सही है वही बोल रहे है। क्यों यारो??जीतू ने सबसे पूछते हूँ ये कहा

हां, यार सही है। वैसे नही हमारे क्लास में तो कोई लड़की है ही नहीं। रश्मीन बोला

किसने कहा था मेकेनिकल रखने को?? चेतन बोला

हम्म, मैंने पहले ही कहा था सबसे ज्यादा स्कोप कम्प्यूटर में ही होता है,और मेरी सिक्स्सेंस की मानो तो ये लड़की कंप्यूटर से ही होनी चाहिए। केयूर बोला

हे, प्रेम पीछे देख के बता तो ये तेरे क्लास में है की नहीं??अतुल बोला

मैं इन सब में तुम्हारी कुछ भी मदद नहीं करने वाला समझे, और मैं देखना भी नहीं चाहता। मैंने साफ साफ अतुल को बोला

अरे, घोछु एक बार पीछे मुड़ के तो देख। अचानक से पियूष यानि बापू बोला

मैंने पीछे मुड़ के देखा तो वहां और कोई नहीं बल्कि आरोही थी। उसको देखते ही में उसमे खो गया और उसको ही देखने लगा। मैं उसे देख ही रहा था की उसकी नजर भी मेरी और हूँ यी, और बस में उसकी आँखों में ही खो गया..“Love can’t be Express with Lips, That’s why the reason that in Love,Eyes Become Lips. ”

जब मेरी आँखें उसकी आँखों से मिलती है तो मेरा हृदय जोर जोर से धड़कने लगता है, जैसे तैसे करके मैंने अपनी नजर उसकी आँख से हटाई और वापस अपने दोस्त की और मुड़ा तो,

देखा?? केसी है भाभी?? जीतू बोला

भाई, उस लड़की पे प्लीज़ नो कमेंट्स। मैंने जीतू को समझाते हूँ ये कहा

क्यों भाई?? जीतू बोला

बस, उसपे नहीं तू कहीं और कोशिश कर। मैंने जीतू से कहा

तो, मैं तो उसपे कोशिश करूं न ? अतुल बोला

चल आशीष, यहाँ से चलते है। ये सब ऐसे ही है। मैंने आशीष से कहा और हम क्लास की और आगे बढ़े।

अरे, रुक तो सही भाई। पियूष बोला

देखो, अगर तुम ऐसा करोगे तो में यहाँ नहीं रुकने वाला। मैंने साफ साफ उन सबको बोल दिया

तो जा क्लास में, यहां पर तेरा कोई काम नहीं है। जीतू ने बोला

ओके,में बोला और मेरे क्लास में जाके बैठ गया


आरोही

हम दोनों जब क्लास से बहार गई तो मेरी नजर बस उसको ही ढूंढ रही थी, तो अचानक प्रिया बोली

ओह्ह, मैडम आपको तो वोशरुम जाना था ना ??

हां, तो वोशरुम तो ढूंढ रही हूँ। मैंने प्रिया को बोला

ये, सामने तो है, चल जल्दी से अंदर। प्रिया ने मुझे खींचते हूँ ये कहा और हम दोनों वोशरुम में चली गई।

वोशरुम से जैसे ही बहार आऐ के, प्रेम जहां पर खड़ा था वही पर मेरी नजर गई और मेरी नजर अब तक उधर ही थी की वो अचानक मेरी तरफ मुड़ा और मेरी आँखें उसकी आँखों से टकराई...और I miss my heartbeats

हम दोनों की अभी भी एक दूसरे को ही देख रहे थे की प्रिया मुझे क्लास में अंदर ले गई तो मैंने उससे कहा,

अरे पागल इतनी भी क्या जल्दी है? थोड़ी देर रुकना।

मेरी माँ, ब्रेक ख़तम हो चुका है। प्रिया ने मुझसे कहा

तो क्या हुआ ?? अभी तक सर कहाँ आये है?? मैंने प्रिया से कहा

पागल हो चुकी है तू, बिलकुल पागल। प्रिया ने मुझे कहा और मुझे क्लास में खींचकर ले गई

अरे, यार दो मिनट वहां पर रुकते तो क्या जाता था तेरा?? मैंने प्रिया से कहा

हद कर दी तूने तो यारा... प्रिया ने मेरी आँखों में देख के बोला

हद तो उसने कर दी है, देख उस तरफ। प्रेम को क्लास में आते हूँ ये देखकर मैंने प्रिया को उसकी तरफ इशारा करके कहा

और उसके पीछे देख सर भी आ रहे है। प्रिया ने मुझसे कहा

ह्म्म्म,यार प्रिया ये प्रेम पीछे की बेंच पे क्यों जा रहा है?? मैंने प्रिया को कहा

मुझे क्या पता?? प्रिया ने मुझसे कहा

हां, वो भी सही है, तुझे कैसे पता होगा। मैंने प्रिया से कहा

पर, तुझे उससे क्या है ?? वो कहीं पर भी बैठ सकता है। प्रिया बोली

रे, तू समझ नहीं रही है मेरी बात, अगर वो आगे बैठता है तो मैं आराम से उसे देख सकती हूँ ,अब बार बार पीछे मुड़कर थोड़ी देख सकती हूँ ??। मैंने कहा

वो, काफी समझदार है,इसलिए वो पीछे बैठा है। प्रिया बोली

मैं कुछ बोलने गई के उससे पहले क्लास में हमारे नए सर आ गए और आते ही अगले दो लेक्चर्स की तरह पहले इंट्रोडक्शन लिया और दिया। जैसे ही इंट्रोडक्शन खत्म हुआ की सर ने मेथ्स की किताबें निकाली और पढ़ाना शुरू कर दिया।

पहले सिलेबस लिखवाया और उसके बाद तुरंत ही पहला चेप्टर शुरू भी कर दिया। पहले प्रॉब्लम में ही मुझे खड़ी कर दी और बोले इसका सोल्यूशन बताओ, ये तो t में आ चुका है। जैसे ही मैं खड़ी हुई के सभी क्लास वाले की नज़र मेरे पर थी। मैं भी मेथेमेथिक्स की टोपर थी तो मैंने भी उतनी ही जल्दी उसका सोलुशन बोल दिया और मैं अपनी जगह पर बैठ गई 

 

 प्रेम

जिस तरह आरोही ने मेथ्स के प्रॉब्लम का सोल्यूशन दिया था वो देखकर मुझे पता चल चुका था की ये लड़की इतनी आसानी से नहीं हाथ में आने वाली। हम लड़कों का भी अजीब होता है और शायद लड़की का भी, क्योंकि जब कभी भी ऐसा होता है तो हम सोचने लगते है की वो तो होशियार है तो उसी प्रकार के लड़के/लड़की के साथ प्यार करेगी,पर हमारी वो सोच एकदम गलत है क्योंकि वो भी एक नार्मल इन्सान ही है तो उसे जो चाहिए जो हर एक इंसान को जीने के लिए चाहिए।

मैं बैठे बैठे सब सोच रहा था की सर ने मुझे खड़ा किया और एक सम सोल्व करने को बोला और मुझसे सोल्व नहीं हो पाया तो सर ने क्लास में कहा जिसको आता हो वो सोल्व करे, फिर क्या??

फिर से आरोही ने अपना हाथ उठाया और बड़े आराम से सोल्व कर दिया। एक बार फिर से वो मेरे आगे निकल गई। इसके बाद धीरे धीरे हर लेक्चर्स में उसी तरह होता रहा और मेरा कॉलेज का पहला दिन खत्म हो गया|

जब हम सब कॉलेज से घर जा रहे थे तभी मेरे सारे दोस्त मेरे पास आकर बैठ गए और मुझसे आरोही के बारे में पूछने लगे और मैंने भी चिल्ला के बोल दिया, मुझे कुछ नहीं पता उसके बारे में जाओ तुम खुद जाकर पूछ लो।

भाई, इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो?? जीतू बस, ऐसे ही। मैंने कहा और अपने कान में हेंड्सफ्री लगाया और गाने सुनने लगा।

 

आरोही

यार, प्रिया तूने देखा?? मैंने प्रिया से घर जाते हूँ ये कहा

क्या?? प्रिया ने मुझसे पूछा

अरे, सर ने मुझे प्रॉब्लम सोल्व करने को कहा और मैंने कर दिया ना। मैंने प्रिया से कहा

हां, तो उसमे क्या नई बात है?? प्रिया ने मुझसे पूछा

प्रेम के सामने तो मेरा इम्प्रेशन अच्छा हो गया ना। मैंने प्रिया से कहा

पर, उसका मेथ्स कच्चा है, उसका क्या?? प्रिया ने मुझसे कहा

तो, क्या है?? पहला दिन ही तो है। मैंने प्रिया से कहा

ओके, देखते है,आगे क्या होता है। प्रिया ने मुझसे कहा

हम बातों बातों में ही कब घर पर पहुँच गए उसका पता ही नहीं चला तो मैंने प्रिया को अपने घर पे ड्रोप किया और में अपने घर चली गई।

आज रात तो मुझे नींद ही नही आनेवाली थी, वजह तो आप लोग जानते ही हो। जैसे ही में घर पर पहुंची के तुरंत ही मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा,

बेटा, आरोही कैसा रहा कॉलेज में पहला दिन??

बहुत ही अच्छा माँ। मैंने मेरी मम्मी से कहा

कोई नए दोस्त बनाये की नहीं?? मम्मी ने फिर से पूछा

ना, मम्मी प्रिया थी ना तो दूसरे के साथ बात करने का वक्त ही नहीं मिला। मैंने जवाब दिया और सोचने लगी की दोस्त तो नहीं बना लेकिन आपके लिए दामाद मिल गया है। मेरे मन के विचारों को तोड़ते हुई मेरी मम्मी बोली,

ज्यादा लड़के तो नहीं है ना, क्लास में??

नहीं, माँ। तू ब्रांच तो देख कोम्प्यूटर है जहां लड़के से ज्यादा लड़कियाँ होती है। मैंने मेरी मम्मी से कहा

हां, तो बेटा लड़कों से बातें कम करना। मम्मी ने ज़ोरदार सजेशन दिया

हां, माँ बिलकुल ही नहीं करुँगी। मैंने मम्मी से कहा

ओके, चल जल्दी से फ्रेश हो जा फिर में तुम्हारे लिए नाश्ता लगा देती हूँ । मेरी मम्मी ने मुझसे कहा

ओके, मम्मा। मैंने मेरी मम्मी से कहा और मेरी रूम में जाकर बैग को बेड पर रखकर तुरंत ही फेश्वोश के लिए बाथरूम में गई। फेश्वोश के लिए जैसे ही मैंने मेरी आँखें बंद की तो मेरे सामने प्रेम आकर खड़ा रह गया और बस..

रात को पापा घर पर आए तो उसने भी मम्मी की तरह मुझे मेरे कॉलेज के पहले दिन के बारे में पूछने लगे और कहा मन लगाकर पढ़ना बेटा।

डिनर खत्म करके मैंने मेरी मम्मी को हर रोज की तरह काम में मदद की और थोड़ी देर उसके साथ TV देखकर में मेरी रुम में चली गई। रूम में जाकर सबसे पहले मैं आईने के सामने खड़ी होकर अपने आप को देखकर सोचने लगी की इस चेहरे को प्रेम पसंद करेगा की नहीं?? और दूसरी तरफ से आवाज़ आइ अरे पागल प्यार चेहरा देखकर नहीं किया जाता, और कोम्प्यूटर की भाषा में कहूँ तो हार्डवेर के साथ साथ सोफ्टवेर भी अच्छा होना चाहिए। रात को बेड पे जाते ही मैंने जैसे ही आँखें बंद की तो मुझे चारों ओर बस प्रेम ही नजर आता था। इसके साथ ही मुझे ये ऐतराज फिल्म का गाना याद “आँखें बंद करके जो एक चेहरा नजर आया वो तुम्ही हो, ओ सनम”

क्या सच में पहली नजर का पहला प्यार हो सकता है?? ये सब आज तक सिर्फ फिल्मों में और सीरियलों में देखा था लेकिन आज उसे महसूस भी कर लिया। अब में भी मेरे सपनों के राजकुमार के साथ कही पे जाना चाहती थी, जहां हम दोनों के अलावा कोई ना हो,बस में ओर मेरा प्रेम...में भी खुले आसमान के नीचे प्रेम की बांहों पे अपना सर रखकर आसमान के तारों को देखना चाहती हूँ । ये सब सोच रही थी के अचानक मेरी दूसरी और से आवाज़ आई की ये पागल ये सब क्या सोच रही है ?? कही तू पागल तो नहीं हो गई है ना?? पर अब उस नादान मन को कौन समझाए की ये पागलपन ही था प्रेम के प्रेम का...

आज मुझे नींद ही नहीं आ रही थी,पता नहीं क्यों?

आज मेरी आँखें बंद होने को मानती ही नहीं थी,पता नहीं क्यों??

आज मेरा मन प्रेम के अलावा किसी के बारे में सोच ही नहीं रहा था,पता नहीं क्यों??

क्या, यही प्यार था?? शायद

हां, यही प्यार था।

जब हम किसी को सच्चे मन से पसंद करते है, जब हम किसी को सच्चे मन से प्यार करने लगते है ना, तभी उसके साथ साथ हमारे मन में डर भी आने लगता है। जैसे मुझे हो रहा था की अगर वो मुझसे पसंद नहीं करेगा तो?? अगर वो मुझसे प्यार नहीं करेगा तो?? अगर वो मुझसे दूर हो जायेगा तो?? उफ्फ्फ, ये डर तो खत्म ही नहीं होंगे, लेकिन अगर इस डर को भगाना है तो उसका सामना करना जी पड़ेगा लेकिन में जानती हूँ वो तो मुझसे होने वाला नहीं है इसलिए में सीधी चली गई भगवान के पास और उससे लिटरली छोटे बच्चे की तरह जिद करती हूँ उसी तरह से मन में ही प्रार्थना करने लगी के हे,भगवान प्लीज़ किसी भी तरह प्रेम को मेरा बना दो..प्लीज़ गॉड,प्लीज़..प्लीज़..अगर ये मिल गया ना तो मुझे और कुछ नहीं चाहिए मेरी जिन्दगी में,सो प्लीज़ गॉड हेल्प मी...प्लीज़..

मुझे अभी एक बार फिर से उससे देखना था,और बस देखते ही रहना था,लेकिन वो होने वाला नहीं था वो में जानती थी। अब तो कल सुबह ही मुझे प्रेम के दर्शन होने वाले थे, लेकिन ये रात..ये रात थी की कट ही नहीं रही थी, शायद मेरी जिन्दी की सबसे बड़ी लम्बी रात लग रही थी। ये सब सोचते सोचते मैंने मन मन ही निर्णय ले लिया की कल किसी भी तरह में प्रेम से बात करुँगी और उसको...

और उसको बोल दूंगी के मैं तुम को देखकर ही तुम्हारी दीवानी हो गई। नहीं ये सब बताने की इतनी भी क्या जल्दी है, आरोही?? मेरे अंदर की दूसरी आरोही ने जवाब दिया। ये सब सोचते सोचते ही मेरी आँखें कब लग गई वो पता ही नही प्रेम

घर पर पहुँचते ही मम्मी ने कॉलेज के पहले दिन के बारे में पूछा, तो मैंने भी जितना जरूरी था उतना जवाब दिया और अपने कमरे में चला गया। आज मैं अपने आप से बहुत ही नाराज था,आज मुझे अपने १२वीं के मेथ्स की कीमत पता चली,और मैं सोचने लगा की मुझसे एक प्रॉब्लम सोल्व नहीं हुआ ??

अरे जिस लड़की को इम्प्रेस करना चाहता हूँ उसी के सामने अपनी इज्ज़त उतार के चला आया??? अब तो उसके सामने जाने से भी डर लगेगा मुझे। ओ भाई, आज कॉलेज का पहला दिन था वो तो याद है ना?? मेरे अंदर से दूसरे प्रेम की आवाज़ आई और मुझे समझाने लगी।

हां, याद है, लेकिन फिर भी मुझे ये गलती नहीं करनी थी। सब सोचते सोचते में फेश्वोश करने चला गया, जैसे ही मैंने अपना चेहरा आईने में देखा तो में मन ही मन में बोला,सिर्फ अच्छे चेहरे से कुछ नहीं होता थोड़ा दिमाग भी चाहिए मेरे भाई।

मेरे अंदर के प्रेम ने फिर आके बोला के अब जो हो गया है उसे भूल जा और कल की सोच,क्योंकि जो हो गया उसे तुम बदल नहीं सकते लेकिन कल तुम्हारे हाथ में है तो उसे तू बदल सकता है। अब कैसे बदलना है वो तुम्हारे हाथ में है।

बात तो ये भी सही थी,फिर क्या मैंने भी सोच लिया के अब तो उसको कैसे भी इम्प्रेस करके ही रहूँगा,चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े, लेकिन ऐसा करूँ क्या???

आज मेरी बेईज्जती हुई मेथ्स की वजह से तो अब मुझे इज्जत वापस भी मेथ्स ही दिलाएगा, ऐसा सोच के रात को खाना खाने के बाद में अपने कमरे में गया और मेथ्स का सिलेबस लेकर देखा के अब कल के लेक्चर्स में सर क्या पढ़ाने वाले है। जो कल पढ़ाने वाले थे उसको मैंने अपने आप पढ़ना शुरू किया,और जितना समझ में आता था उतना अपने आप सिखा बाकी का अपने गूगल टीचर्स से इसके रिलेटेड वीडियोज देख के सिखा।

इसके लिए जितने भी फोर्मुलास थी वो सब एक छोटी सी पर्ची में लिखली ताकि में उसको में कभी भी पढ़ सकूँ और क्लास में अपना इम्प्रेशन जमा सकूँ।

अब कल के मेथ्स की तैयारी हो चुकी थी तो बस अब बाकी था तो कल क्लास में जाके ब्लास्ट करने का।

जैसे ही में रात को सोने गया तो मेरे दिमाग में एक तरफ आरोही ओर दूसरी ओर मेथ्स चल रहा था। सोते सोते में खुली आँखों से सपने देखने लगा की कल जाके क्लास में सब जवाब दे रहा हूँ, हर एक जवाब के बाद में चोरी चुपके आरोही को देख रहा हूँ । अब बस मुझे कल सुबह का इंतजार था की कब ये रात ख़त्म हो ओर में कब जाके उसको देखू...ये सब सोचते सोचते मेरी आँखें लग गयी ..

अगले दिन सुबह उठकर अच्छे से तैयार होकर जल्दी जल्दी कॉलेज जाने के लिए हमारे फिक्स की हुई जगह पे पहुंचा ओर अपने दोस्तों का इंतजार करने लगा। वहां खड़े खड़े सोच रहा था की ये सब जल्दी आए तो जल्दी से यहां से कॉलेज के लिए निकले,एक एक कर के सब आने लगे लेकिन एक कमीना था जो अब तक नहीं आया था ओर वो था केयूर। हर ग्रुप में एक ऐसा होता ही है जो कभी भी सही वक्त पे नहीं आता। यहां हम जितने भी खड़े थे वो सब की गालियाँ खा रहा था। थोड़ी देर बाद जैसे ही वो आया के सब बरस पड़े, ये सब देख के में सोचने लगा की इन सब को इतनी जल्दी क्या है?? कॉलेज जाने के लिए तो में मर रहा हूँ । ये सब केयूर के ऊपर चिल्ला रहे थे इसलिए केयूर बोला,

भाईयों, हुआ क्या है?? मुझपर क्यों चिल्ला रहे हो??

एक तो लेट आता है, ऊपर से हमें ही पूछता है की मैंने किया क्या है?? अतुल बोला

ओ, हेल्लो में इतना भी लेट नहीं हूँ ,समझे?? केयर बोला

तुम लेट नहीं हो लेकिन हमें तो जल्दी जाना है, उसका क्या???जीतू बोला

पर क्यों?? केयूर बोला

अरे, तुम्हारी होनेवाली भाभी को देखने के लिए। बापू बोला

कौन सी?? वो कोम्प्यूटर वाली?? नाम पता चला उसका?? केयूर बोला

नाम की फिकर क्यों कर रहा है,ये प्रेम है ना। जीतू मेरी और देख के बोला

चलो जल्दी अब लेट हो रहा है। मैंने उसकी बात को सुनी ही नहीं हो उसी तरह से..

कॉलेज पहुँचकर तुरंत ही मैं और आशीष अपने क्लास की तरफ निकल गए। क्लास में जाके मेरी आँखें सिर्फ और सिर्फ एक ही चेहरा ढूंढ रही थी ओर वो था आरोही का चेहरा। पूरे क्लास में मैंने चेक कर लिया पर मुझे कहीं पर भी उसका चेहरा नजर नहीं आया मतलब की वो अभी तक कॉलेज में नहीं थी।

में बैठे बैठे सोचने लगा की अगर वो आज कॉलेज नहीं आई तो?? नहीं आयेगी, भला कोई अपने कॉलेज के दुसरे ही दिन क्यों बंक करेगा??में अपने आप से ही बातें कर रहा था। वो सब सोच ही रहा था की आशीष ने मुझे कहा चल खड़ा हो सर क्लास में आ चुके है।

मेथ्स के सर को हमने गुड मोर्निग कहा और वापस अपनी जगह पे बैठ गए,ओर सर ने आते ही लेक्चर्स शुरू कर दिया। पूरे लेक्चर्स में मेरी नजर क्लास में कम दरवाज़े पे ज्यादा थी क्योंकि मैं अब भी आरोही के आने का इंतजार कार रहा था। मेरा ध्यान दरवाज़े पे ही था की सर ने मुझे देख लिया और कहा चल इस प्रोब्लेम्स का सोल्यूशन बोल। मैंने भी तुरंत ही उसका जवाब दे दिया।

आज के मेथ्स के लेक्चर्स में सभी प्रॉब्लम का सोल्यूशन मैंने ही दिया तो क्लास के सभी मित्रों ने लेक्चर्स के खत्म होते ही मुझे धन्यवाद देने लगे ओर बोलने लगे की भाई मुझे सिखाना। मेंने सभी को कहा ओके सबको सिखाऊंगा।

में वापस सोचने लगा की में आप सभी को तो सिखाऊंगा लेकिन में जिसको सिखाना चाहता हूँ वो तो मेरी भी टीचर्स है,ओर टीचर्स ने ही आज बंक कर दिया। अब तो दूसरा लेक्चर्स भी स्टार्ट हो चुका था ओर वो लेक्चर्स था “EEE(Elements Of Electrical Engineering)”। पता नहीं कॉलेज में सर को क्या हो जाता है आते ही पढ़ाना शुरू। EEE मेरा फेवरिट विषय था क्योंकि इस विषय का सब बैसिक मेरा क्लियर था। सर ने एक सवाल पूछा और कहा इसका जवाब जिसे आता हो वो खड़ा होकर बोले, ये सुनते ही मैं खड़ा हुआ जवाब देने के लिए, लेकिन जैसे ही जवाब देने के लिए खड़ा हुआ की क्लास में एक आवाज़ आई ,

May I come in sir???

ये सुनते ही मैंने दरवाज़े की तरफ देखा ओर देखते ही रह गया,क्योंकि वो आवाज़ किसी और की नहीं बल्कि आरोही की थी..

 

आरोही

आज कॉलेज जाने की बहुत ही जल्दी थी इसलिए सुबह जल्दी उठने की जगह पे उल्टा लेट उठी ओर तुरंत ही प्रिया को फोन करके कहा के मैं तुम्हारे घर पर पहुंचना तब तक तैयार हो जाना, आज टाइम नहीं बिगड़ना है क्योंकि हमें जल्द दे जल्द कॉलेज पहुंचना है, इतना बोल के तुरंत ही मैंने फोन रख दिया।

जल्दी जल्दी तैयार होकर में घर से नाश्ता किये बिना ही निकल गई ओर पीछे से मेरी मम्मी की आवाज़ गूंजती रही की बेटा नाश्ता तो करती जा, पर अब किसे सुनाई दे रहा था।

जल्द से जल्द में प्रिया के घर पर पहुँच गई। प्रिया के घर के बहार पहुँचकर मैंने हॉर्न बजाना शुरू कर दिया, ये सुनते ही प्रिया तुरंत ही बहार आ गई ओर आते ही बाइक पर बैठकर बोली,

इतनी जल्दी भी क्या है??

तुझे तो पता ही है ना की मुझे इतनी जल्दी क्यों है?? मैंने बाइक को कॉलेज की तरफ आगे बढ़ाते हूँ ये कहा।

हां, मुझे तो पता ही है, लेकिन इतनी भी जल्दी क्या है वो तो कॉलेज में पूरे दिन तो रहने वाला ही है। प्रिया ने मुझसे कहा

हां, बात सही है लेकिन पूरे दिन के साथ ये फ्री के दस मिनट भी देखने को मिलता है तो क्यों ये मौका हाथ से जाने दे??मैंने भी प्रिया से कहा

चल, अगर मान ले की आज वो कॉलेज नहीं आया तो?? प्रिया बोली

अरे, क्यों नहीं आयेगा?? कॉलेज के दूसरे दिन कोई बंक करता है, क्या?? मैंने प्रिया से कहा

कुछ कह नहीं सकते। प्रि या वापस बोली

थोड़ी देर चुप रहकर मैं बोली,

प्रिया, अगर सच में वो नहीं आया तो???

कुछ नहीं तो, कल देख लेना इसमें घबराना क्या। प्रिया बोली

ऐसा ,थोड़ी चलता है। मैंने प्रिया से कहा ओर बाइक की स्पीड वापस बढ़ाई

ओयी, मेरी माँ थोड़ी धीरे चला ना। प्रिया बोली

अरे, हम जल्दी पहुंचेंगे इतना बोली की गाड़ी का बैलेंसअपने आप बिगड़ने लगा और मैंने बाइक को साईड में लेकर व्हील की तरफ देखा तो पंक्चर नजर आ रहा था।

ले अब पहुँच जा जल्दी से कॉलेज, कब से बोल रही हूँ के शांति से चला पर मेरी तो सुनती ही नहीं है। प्रिया मुझपर जोर जोर से बोलने लगी

ये, पंक्चर को भी आज भी होना था ? मैं बोली

अब, चल जल्दी से आगे ही दुकान है,पंक्चर बनवा कर जाते है। प्रिया बोली

चलते चलते हम दुकान पर गए। वहां पर भी मुझसे रहा नहीं गया के में तुरंत ही दुकानवाले से बोली, भैया जितना हो सके उतना जल्दी बनाना प्लीज़...ये सुनते ही प्रिया मेरी ओर गुस्से भरी नजर से देखने लगी, कर मुझसे कहा के अब एक शब्द भी मत बोलना।

पंक्चर बनने तक में चुप चाप खड़ी रही। जैसे ही पंक्चर बना की में बाइक चलाने के लिए आगे बढ़ी लेकिन प्रिया ने मेरे पास से बाइक ले ली और बोली अब बाइक में...

जबतक हम कॉलेज पर पहुंचे की हमारा पहला लेक्चर्स ख़त्म हो चुका था , दूसरा शुरू होने की तैयारी में था। बाइक को पार्क करके हम दोनों जल्दी से जल्दी क्लास की तरफ आगे बढ़े। जाते जाते में मन में ही मन में भगवान से प्रार्थना करती रही है की है भगवान प्लीज़ वो क्लास में देखने को मिले आज में उनसे बात करना चाहती हूँ वो तो आपको पता ही है ना?? सो प्लीज़...

ये सब सोचते सोचते हम क्लास तक पहुँच गए और जैसे ही मैंने क्लास में देखा की मेरी नजर खड़े हूँ ये प्रेम पर पड़ी, उसको देखते ही में अपने मन में जोर से बोल पड़ी Yesss...


To Be Continue..



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