हार्टबिट्स चेप्टर-६

हार्टबिट्स चेप्टर-६

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आपने पढ़ा,,

आरोही,प्रेम के दोस्तो द्वारा प्ले किये हुये गाने से परेशान होकर प्रिया के साथ बाहर निकल जाती है बाहर जा के आरोही प्रेम के बारे में प्रिया से बातें करती है । दूसरे सेमेस्टर में चेस में पार्टिसिपेट करती है जिसमे आरोही जीत जाती है । सब लोग आरोही से आके मिलते हैं और शुभकामनाएं देते हैं पर उसको तो सिर्फ प्रेम का ही इंतज़ार होता है,आखिर में प्रेम आके प्रिया से बातें करता है ओर बेस्ट विशेष देकर वहाँ से चला जाता है । प्रिया की प्रेम के साथ बात हुई इस बात से बहुत ही ज्यादा खुश हो जाती है दूसरी और प्रेम भी बहुत खुश हो जाता है ओर कल आरोही से बात करने का तय करके सो जाता है ।

अब आगे,

आरोही


घर पहुंचकर मैं तो प्रेम में ही खो गई थी मुझे पता ही नहीं था की उसके साथ की दो मिनिट मेरी रातों की नींदे उड़ाने वाली थी। वेसे तो याद हरलरोज ही आती यही हालत होती है लेकिन आज की रात कुछ अलग सी थी मेरे लिए । अब मेरे अंदर भी एक नया जोश आ गया उसके साथ बात करने का ओर इसी जोश के साथ तय कर लिया की कल जाके उससे कैसे भी कर के बातें करुँगी,पर कैसे??

थोड़ी देर बाद सोचने के बाद मुझे बातें करने का बहाना मिल गया ओर तय किया कि कल सुबह जाते ही कहीं पर भी मुझे दिखता है तो सबसे पहले गुड मोर्निंग विश करुँगी ।

अगले दिन जल्दी जल्दी तैयार होकर कोलेज के लिए निकल गई,कोलेज पहुंचकर देखा तो प्रेम आ चुका था और अपने दोस्तों के साथ खड़ा था इसलिए मेने सोचा की अभी नहीं जब वो अकेला होगा तब मैं बात करने के लिए जाउंगी और ब्रेक में तय हुआ । ब्रेक में जैसे बात करने जा रही थी की फिर से वो अपने दोस्तों से घिरा हुआ था तो मेने सोचा लंच ब्रेक में जाउंगी । जैसे लंच ब्रेक हुआ की फिर से वो क्लास से बाहर निकल गया अपने दोस्तों के साथ लंच करने तो मैंने सोचा की जैसे ही वो लंच करके आ जाये तब बात करूंगी लेकिन फिर अपने दोस्तों के गप्पे लगाने बैठ गया था तो फिर से मैंने सोचा की अब छुट्टी के समय पे तो कैसे भी कर के बात कर लूंगी और आखिर वो वक्त भी आ गया,जैसे ही छुट्टी गिरी भाई अपना बेग लेके ऐसे भगा जैसे कोई रेस लगी हो और इसी के चक्कर में पूरा दिन चला गया पर बात नहीं हुई । लेकिन पूरे दिन में वो मुझे अकेला मिला ही नहीं। इसलिए हररोज की तरह सिर्फ आँखों आँखों से बातें की और उसी यादों को साथ लेकर घर चली गई । रात को फिर सोचा के कल बात करने जाउंगी लेकिन फिर से वही हुआ जो कल हुआ था । अब मेरा हर रोज का ये नियम बन चुका था रात को सोचने का ओर कोलेज में जाके बात नही करने का ये सिलसिले के आज ढाई साल पूरा हो चुका था तो, ये सब देख के प्रिया ने मुझसे कहा,

"कबतक चलेगा ये सब?? तुम उससे बात ही नहीं कर सकती हो तो फिर प्यार किया ही क्यों??

वो भी तो बात करने आ सकता है कि नहीं ??"

"अरे जब वो तुमसे प्यार नहीं करता,तो तुमसे बात करने क्यों आये??"

"वो भी मुझसे प्यार करता है,मैंने उसकी आँखों में साफ साफ देखा है ।"

"अरे,वो सब के साथ ऐसे ही बात करता है और ऐसे ही बिहेव करता है ।"

"सब के साथ बात तो करता है पर मेरे साथ बात ही नहीं करता पता है क्यों??"

"क्यों??"

"क्यों कि आप को जिससे प्यार होता है ना उसके साथ बात करने में ही सबसे ज्यादा डर लगता है और इसी वजह है की में आजतक उससे बात नही कर पाई ।"

"तो अब क्या??"

"अब कल मिलने जाना ही पड़ेगा चाहे कुछ भी हो जाये ।"

"कल क्यों??आज क्यों नही??"

"ओके,चल अभी जाते है इतना बोल के में प्रेम जहाँ पर खड़ा था वहाँ पर जाके में बोली,

प्रेम"


अगले दिन मैं कोलेज गया लेकिन बात मुझसे हो न सकी,हररोज सोचता था की कल बात करूँगा करूँगा लेकिन हर रोज उसको देख के मेरे अंदर एक डर सा पेस जाता ओर हर रोज बात नहीं हो पाती ।

दिन कैसे कट रहे थे पता ही नही चल रहा था थोड़े दिनों मे अगस्त आ गया ओर साथ ही साथ में फ्रेंडशिप डे । फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले रविवार को मनाते हैं और रविवार को कोलेज में छुट्टी होती है इसलिए हमने शनिवार को ही कोलेज में फ्रेंडशिप डे मनाने का तय किया और आखिर वो दिन भी आ गया ।

मैं आशीष के साथ जाके आरोही के लिए बेस्ट फ्रेंडशिप बेल्ट लेकर तो आ गया लेकिन उसको जाके विश कैसे करूं ??सउसको ये बेल्ट कैसे लगाऊं ??मैंने आशीष से कहा

"अरे,उसके पास जाके बांध दो और आपने मुह से बोलकर विश कर दो ।"

"अरे,उसके लिए भी तो हिम्मत चाहिए ना ।"

"हां,तो ।"

"वही नहीं है ।"

"सब के साथ तो बात करता है बस एक उसीके साथ क्यों नहीं कर सकता है तू??"

"क्योंकि,मै उससे प्यार करता हूँ इसी लिए ।"

"तो जाना "इतना बोलकर आशीष ने मुझे धक्का लगाया और में आरोही के पास पहुंचा और उसके पीछे आगे चला गया ।

आज पूरे दिन मैंने आरोही को फ्रेंडशिप डे विश करने की कोशिश की लेकिन हरबार नाकाम रहा ये सब देख के आशीष ने मुझसे कहा,

"भाई,बात करने की हिम्मत ही नहीं है तो प्यार क्यों करता है??"

बात,भी तो सही थी उसकी लेकिन तकलीफ भी वही थी के मेंरे में हिम्मत ही नही थी ।

ऐसे ही हमारे कोलेज के दिन कट रहे थे और कटते कटते ढाई साल कट गए पता ही नहीं चला । एक दिन में मेरे दोस्तों के साथ खड़ा था की अचानक पीछे से एक आवाज आयी,

प्रेम...

ये सुनते ही मैंने पीछे मुड़ के देखा तो पीछे आरोही ख़डी थी और मैं कुछ बोलूं उससे पहेले वो फिरसे बोली,

"मुझे कुछ तुमसे काम है तो आज लंच ब्रेक में केंटिन में आना ।"

इतना बोलकर वो निकल गई,पर मेरे साथ खड़े मेरे सभी दोस्तों मेरी और देख के कुछ अजब सी स्माइल करने लगे ओर शोर मचाने लगे ।

ये छोटा ब्रेक ख़त्म होते ही में क्लास में जाके अपनी जगह पे बैठ गया,पर मैं अब भी कन्फ्यूज था की आरोही को मुझसे एसा क्या काम है,कही मुझसे कोई गलती तो नहीं हुयी होगी न??ये लंच ब्रेक के बीचच के दोनों लेक्चर्स में आरोही की तरफ देखता रहा और ये सब सोचता रहा ।



हर रोज की तरह मैंने मेरा लंच अपने दोस्तों के साथ किया और थोड़ी देर बाद केंटिन में गया,जहाँ एक टेबल पर आरोही ओर प्रिया दोनों बैठी हुयी थी वहाँ पर जाके में जैसे बैठा की प्रिया बोली,

"हेल्लो,प्रेम कैसे हो??"

"मै एकदम ठीक हूं,और आप दोनों??"मैंने उससे कहा

"हम दोनों भी एकदम ठीक हैं ।" प्रिया बोली

ओके,धेट्स गुड,इतना बोल के में आरोही की और मुड़ के बोला,

"हां,पहले तुम ये बताो के तुम्हें मुझसे क्या काम है??"

"बताती हूँ ।"

"मुझसे कोई गलती हुयी है??"

"नहीं,कोई गलती नहीं है तुम्हारी ।"

"तो??"

"बस बात करनी थी तुमसे इसि लिए बुलाया था ।"

ये,सुनते ही में सोचने लगा की मुझसे क्या बात करनी होगी आरोही को??

प्रेम,ये बात मैंने अभीतक प्रिया को भी नहीं बताई है ।

"कौन सी बात??" मै ओर प्रिया एक ही साथ बोल पड़े

"जी बात ऐसी है ना ..."

"हां,आगे बोलो ।" प्रिया बोली

"कि,मेरी सगाई तय हो चुकी है ।"

"क्या??"प्रिया आरोही की तरफ देख के बोली ओर मेरे पैरों के नीचे से जमीं खिसक ने लगी,मेरे कानो को यकीं ही नही हो रहा था की आरोही की सगाई तय हो चुकी है और मेरे पास तो कोई शब्द ही नहीं था मैं क्या बोलू फिर भी एक शब्द था जो मैंने बड़ी शांति से कहा

"मुबारक हो"

"सच्ची??"प्रिया आरोही की तरफ देखके बोली

"हां,ओर बी ई ख़त्म होते ही मेरी शादी होने वाली है ।"

"कुछ जल्दी ही नही हो रहा है ??मैंने अपने दबते हुये आवाज से पूछा

"हां,वहीँ ना । " प्रिया बोली

"हाँ,जल्दी तो है पर मेरे पापा ने सब फिक्स कर दिया है ओर तुझे तो सब पता है ना प्रिया.."

"हां,मुझे सब पता है तो अब में क्या करू? " प्रिया बोली

"हां,तो तुम्हे पता ही है ना की हमारे में शादी जल्दी हो जाती है ।"

"हाँ..।

"लड़का क्या करता है??केसा दीखता है??क्या,तुम्हे वो पसंद है?? "मैंने एक साथ इतने सारे सवाल एक ही साथ पूछ लिए

'मुझे,लड़के के बारे में कुछ नही पता ओर नही आज तक देखा है मैंने उसे ।"

"क्या ?"

"हां,प्रेम हमारे में बचपन से ही सब फिक्स होता है ।" प्रिया बोली

"हमें पसंद न हो तो??"

"फिर भी करनी पड़ेगी ।" प्रिया ने कहा

हम लोग बातचीत ही कर रहे थे के हमारा लंच ब्रेक खत्म हो गया ओर हम तीनो साथ में ही अपने क्लास की और निकल पड़े । क्लास में पहुचते ही हम सब अपनी अपनी जगह पे बैठ गए और लेक्चर्स भरने लगे,लेकिन मेरा मन तो अभी भी आरोही में ही लगा हुआ था,में बार बार उसकी तरफ देख लिया करता था । में आरोही की एक बात से हेरान था की उसने अपनी शादी की बात मुझसे क्यों बताई??क्या वो मुझे कोई क्लू दे रही थी??क्या वो मुझसे पसंद करती है??अरे मुझे पसंद करती होगी तो मुझे सीधे सीधे ही


इस दिन के बाद आरोही हररोज मुझसे बातें करने लगी थी । मैं प्रिया,ओर आरोही हम तीनो अब पक्के दोस्त बन चुके थे,हम लोग साथ में मूवी देखने जाने लगे,साथ में घुमने लगे,फोन पे बाते करने लगे,.अब मेरा आरोही के लिए प्यार बढ़ने लगा था लेकिन में उससे इजहार करने के लिए डरता था क्योंकि एक तो उसकी शादी तय हो चुकी थी,ओर में उससे प्रपोज कर भी दूं ओर उसने ना बोल दिया और इसकी वजह से हमारी दोस्ती टूट गई तो....

आरोही


हमारी केंटिन की मीटिंग के बाद में प्रेम से हर रोज बात करने लगी थी,साथ में घूमना,हररोज वोत्सेप पे बातचीत करना,मूवी वगेरा वगेरा...में प्रेम से ज्यादा प्यार करने लगी थी लेकिन उसको बोलने से डरती थी क्योंकि मुझे डर था की अगर इसकी वजह से हमारी दोस्ती टूट गई तो ??इस लिए जैसा चल रहा था एसा चलने दिया और उसके साथ रहेने के बाद समय कुछ जल्दी से पसार हो रहा था और देखते देखते हमारे सेमेस्टर-8 की आखिरी एक्जाम भी आकर चली भी गई ओर हमारे बिछड़ने का वख्त आ गया ।जैसे ही मेरी कोलेज ख़त्म हुयी उसके तुरंत बाद तय हुये मुजब मेरे घर में मेरी शादी की तैयारियां चलने लगी । मेरे बारे में प्रिया सबकुछ जानकर भी कुछ नही कर सकती थी सिवाय मेरे शादी की तैयारियां । इन सब में शादी का दिन भी आ गया,शादी में मेरे रिश्तेदारी वाले सब लोग आए थे ओर मेरी कोलेज से मेरे कही दोस्तों जिसमे प्रेम भी शामिल था ।

आरोही की शादी


प्रेम


जब मैंने आरोही,

को शादी के जोड़े में देखा तो मेरी धड़कन रुक गई ुका हाथ किसी दूसरे के हाथ में रखते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई,को दूसरे के साथ फेरे लेते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई,

को किसी और के नाम का सिंदूर पुरते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई,को किसी और के नाम का मंगलसूत्र पहेनाते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई ,

ये सब के देखके मेरी धड़कन रुकने लगी तो मैं वहाँ नहीं रुक सका तो में वहाँ से निकल गया क्योंकि इन सब में मेरी ही तो गलती थी..।


आरोही,


जब में प्रेम के आलावा ,

किसी और की दुल्हन बनी तब मेरी धड़कन रुक गई,किसी और के हाथ में मेरा हाथ रखा तो मेरी धडकन रुक गई,किसी ओर के नाम का मंगलसूत्र पहेना तो मेरी धडकन रुक गई,

किसी और के साथ मैंने फेरे लिए तो मेरी धड़कन रुक गई, लेकिन इन सब के बावजूद भी मेरी शादी नहीं रुकी थी,रुका हुआ था तो मेरा प्रेम के साथ बिताया हुआ समय और मेरी शादी से बाहर जाते हुये प्रेम के पीठ में टिकी हुयी मेरी नजर्...











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