हार्टबिट्स चेप्टर-०३

हार्टबिट्स चेप्टर-०३

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आगे देखा,

ब्रेक के बाद प्रेम अपने दोस्तों से बाय बोलकर क्लास में जाके बैठ जाता है। ब्रेक के बाद तुरंत ही मेथ्स का लेक्चर्स आता है, जिसमें प्रोफेसर आरोही को एक प्रोब्लेम्स को सोल्व करने को कहते है और वो बड़ी आरामसे कर देती है। उसके बाद प्रेम को पूछते है लेकिन वो सोल्व नहीं कर पाता, तो वही प्रॉब्लम फिर से आरोही सोल्व कर देती है। इन सब से प्रेम सोचता है की उसकी इम्प्रेशन आरोही के सामने चूर हो गई। आरोही घर पर जाती है तो उसकी मम्मी उसको कोलेज के पहले दिन के बारे में पूछती है। आरोही पूरी रात भर प्रेम के बारे में सोच रही है और कल प्रेम से बात करने का पक्का मन बना लेती है और उसीकी याद में सो जाती है।

अब आगे,


और उसको बोल दूंगी के मैं तुम को देखकर ही तुम्हारी दीवानी हो गई। नहीं ये सब बताने की इतनी भी क्या जल्दी है, आरोही?? मेरे अंदर की दूसरी आरोही ने जवाब दिया। ये सब सोचते सोचते ही मेरी आँखें कब लग गई वो पता ही नहीं चला।


प्रेम


घर पर पहुंचते ही मम्मी ने कोलेज के पहेले दिन के बारे में पूछा, तो मैंने भी जितना जरुरी था उतना जवाब दिया और अपने कमरे में चला गया। आज मैं अपने आप से बहुत ही नाराज था, आज मुझे अपने १२वीं के मेथ्स की कीमत पता चली, और मैं सोचने लगा की मुझसे एक प्रॉब्लम सोल्व नहीं हुवा??


अरे जिस लड़की को इम्प्रेस करना चाहता हूं उसी के सामने अपनी इज्ज़त उतार के चला आया??? अब तो उसके सामने जाने से भी डर लगेगा मुझे। ओ भाई, आज कोलेज का पहला दिन था वो तो याद है ना?? मेरे अंदर से दुसरे प्रेम की आवाज आई और मुझे समजाने लगी।


हां, याद है, लेकिन फिर भी मुझे यह गलती नहीं करनी थी। सब सोचते सोचते मैं फेसवाॅश करने चला गया, जैसे ही मैंने अपना चेहरा आइने में देखा तो मैं मन ही मन में बोला, सिर्फ अच्छे चेहरे से कुछ नहीं होता थोडा दिमाग भी चाहिए मेरे भाई।


मेरे अंदर के प्रेम ने फिर आके बोला के, अब जो हो गया है उसे भूल जा और कल की सोच, क्योंकि जो हो गया उसे तुम बदल नहीं सकते लेकिन कल तुम्हारे हाथ में है तो उसे तू बदल सकता है। अब कैसे बदलना है वो तुम्हारे हाथ में है।


बात तो ये भी सही थी, फिर क्या मैंने भी सोच लिया के अब तो उसको कैसे भी इम्प्रेस करके ही रहूँगा, चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े, लेकिन एेसा करू क्या???


आज मेरी बइज्जती हुई मेथ्स की वजह से तो अब मुझे इज्जत वापस भी मेथ्स ही दिलाएगा, एेसा सोच के रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में गया और मेथ्स का सिलेबस लेकर देखा के अब कल के लेक्चर्स में सर क्या पढ़ाने वाले है।


जो कल पढ़ाने वाले थे उसको मैंने अपने आप पढना शुरू किया, और जितना समझ में आता था उतना अपने आप सिखा बाकि का अपने गूगल टीचर्स से इसके रिलेटेड वीडियोज देख के सिखा।


इसके लिए जितने भी फोर्मुलास थी वो सब एक छोटी सी पर्ची में लिख ली ताकि में उसको मैं कभी भी पढ़ सकू और क्लास में अपना इम्प्रेशन जमा सकू।


अब कल के मेथ्स की तैयारी हो चुकी थी तो बस अब बाकि था तो कल क्लास में जाके ब्लास्ट करने का।


जेसे ही मैं रात को सोने गया तो मेरे दिमाग में एक तरफ आरोही और दूसरी ओर मेथ्स चल रहा था। सोते सोते मैं खुली आँखों से सपने देखने लगा की कल जाके क्लास में सब जवाब दे रहा हूं, हर एक जवाब के बाद मैं चोरी चुपके आरोही को देख रहा हूं। अब बस मुझे कल सुबह का इंतजार था की कब ये रात ख़त्म हो और मैं कब जाके उसको देखू...ये सब सोचते सोचते मेरी आँखे लगी.!


अगले दिन सुबह उठकर अच्छे से तैयार होकर जल्दी जल्दी कोलेज जाने के लिए हमारे फिक्स की हुयी जगह पे पहुंचा और अपने दोस्तों का इंतजार करने लगा। वहां खड़े खड़े सोच रहा था की ये सब जल्दी आए तो जल्दी से यहां से कोलेज के लिए निकले, एक एक कर के सब आने लगे लेकिन एक कमीना था जो अबतक नहीं आया था और वो था केयूर। हर ग्रुप में एक एेसा होता ही है जो कभी भी सही वक्त पे नहीं आता। यहां हम जितने भी खड़े थे वो सब की गालियाँ खा रहा था। थोड़ी देर बाद जैसे ही वो आया के सब बरस पड़े, ये सब देख के मैं सोचने लगा की इन सब को इतनी जल्दी क्या है?? कोलेज जाने के लिए तो मैं मर रहा हूं। ये सब केयूर के ऊपर चिल्ला रहे थे इसलिए केयूर बोला,

भाईयों, हुआ क्या है?? मुझपर क्यों चिल्ला रहे हो??


एक तो लेट आता है, ऊपर से हमें ही पूछता है की मैंने किया क्या है??अतुल बोला।


ओ, हेल्लो मैं इतना भी लेट नहीं हूं, समझे?? केयूर बोला।


तुम लेट नहीं हो लेकिन हमें तो जल्दी जाना है, उसका क्या??? जीतू बोला।


पर क्यों?? केयूर बोला।


अरे, तुम्हारी होनेवाली भाभी को देखने के लिए। बापू बोला।


कौन सी?? वो कम्प्यूटर वाली?? नाम पता चला उसका?? केयूर बोला।


नाम की फिकर क्यों कर रहा है, ये प्रेम है ना। जीतू मेरी ओर देख के बोला। चलो जल्दी अब लेट हो रहा है। मैंने उसकी बात को सुनी ही नहीं हो उसी तरह से।


कोलेज पहुंचकर तुरंत ही मैं और आशीष अपने क्लास की तरफ निकल गए। क्लास में जाके मेरी आँखें सिर्फ और सिर्फ एक ही चेहरा ढूंढ रही थी और वह था आरोही का चेहरा। पुरे क्लास में मैंने चेक कर लिया पर मुझे कही पर भी उसका चेहरा नजर नहीं आया मतलब की वो अभी तक कोलेज में नहीं थी।


मैं बैठे बैठे सोचने लगा की अगर वो आज कोलेज नहीं आई तो?? नहीं आयेगी, भला कोई अपने कोलेज के दुसरे ही दिन क्यों बंक करेगा?? मैं अपने आप से ही बाते कर रहा था। वो सब सोच ही रहा था की आशीष ने मुझे कहा चल खड़ा हो सर क्लास में आ चुके है।


मेथ्स के सर को हमने ‘गुड मोर्निंग’ कहा और वापस अपनी जगह पे बैठ गए, और सर ने आते ही लेक्चर्स शुरू कर दिया। पुरे लेक्चर्स में मेरी नजर क्लास में कम दरवाजे पे ज्यादा थी क्योंकि मैं अब भी आरोही के आने का इंतजार कर रहा था। मेरा ध्यान दरवाजे पे ही था की सर ने मुझे देख लिया और कहा चल इस प्रोब्लेम्स का सोल्यूशन बोल। मैंने भी तुरंत ही उसका जवाब दे दिया।


आज के मेथ्स के लेक्चर में सभी प्रॉब्लम का सोल्यूशन मैंने ही दिया तो क्लास के सभी मित्र लेक्चर्स के खत्म होते ही मुझे धन्यवाद देने लगे और बोलने लगे की भाई मुझे सिखाना। मैंने सभी को कहा, ओके सबको सिखाऊंगा।


मैं वापस सोचने लगा की मैं आप सभी को तो सिखाऊंगा लेकिन मैं जिसको सिखाना चाहता हूं वह तो मेरी भी टीचर है, और टीचर ने ही आज बंक कर दिया। अब तो दूसरा लेक्चर भी स्टार्ट हो चूका था और वह लेक्चर था “EEE(Elements Of Electrical Engineering)”।


पता नहीं कोलेज में सर को क्या हो जाता है आते ही पढाना शुरू। EEE मेरा फेवरिट विषय था क्योंकि इस विषय का सब बेसिक मेरा क्लियर था। सर ने एक सवाल पूछा और कहा इसका जवाब जिसे आता हो वो खड़ा होकर बोले, ये सुनते ही मैं खड़ा हुआ जवाब देने के लिए, लेकिन जैसे ही जवाब देने के लिए खड़ा हुआ की क्लास में एक आवाज आई ,

May I come in sir???


ये सुनते ही मैंने दरवाजे की तरफ देखा और देखते ही रह गया, क्योंकि वो आवाज किसी और की नहीं बल्कि आरोही की थी!


आरोही


आज कोलेज जाने की बहुत ही जल्दी थी इसलिए सुबह जल्दी उठने की जगह पे उल्टा लेट उठी और तुरंत ही प्रिया को फोन करके कहा के मैं तुम्हारे घर पर पहुंचती हूं तब तक तैयार हो जाना, आज टाइम नहीं बिगड़ना है क्योंकि हमें जल्द से जल्द कोलेज पहुंचना है, इतना बोलके तुरंत ही मैंने फोन रख दिया।


जल्दी जल्दी तैयार होकर मैं घर से नास्ता किये बिना ही निकल गई ओर पीछेसे मेरी मम्मी की आवाज गूंजती रही की बेटा नास्ता तो करती जा, पर अब किसे सुनाई दे रहा था।


जल्द से जल्द मैं प्रिया के घर पर पहुंच गई। प्रिया के घर के बाहर पहुंचकर मैंने हॉर्न बजाना शुरू कर दिया, ये सुनते ही प्रिया तुरंत ही बाहर आ गई और आते ही बाइक पर बैठकर बोली,

इतनी जल्दी भी क्या है??


तुझे तो पता ही है ना की मुझे इतनी जल्दी क्यों है?? मैंने बाइक को कोलेज की तरफ आगे बढ़ाते हुये कहा।


हां, मुझे तो पता ही है, लेकिन इतनी भी जल्दी क्या है वो तो कोलेज में पुरे दिन तो रहने वाला ही है, प्रिया ने मुझसे कहा।


हां, बात सही है लेकिन पुरे दिन के साथ ये फ्री के दस मिनिट भी देखने को मिलता है तो क्यों ये मौका हाथ से जाने दे?? मैंने भी प्रिया से कहा।


चल, अगर मान ले की आज वह कोलेज नहीं आया तो?? प्रिया बोली।


अरे, क्यों नहीं आयेगा?? कोलेज के दुसरे दिन कोई बंक करता है, क्या??मैंने प्रिया से कहा।


कुछ कह नहीं सकते। प्रिया वापस बोली।


थोड़ी देर चुप रहकर मैं बोली,

प्रिया, अगर सच में वह नहीं आया तो???


कुछ नहीं तो, कल देख लेना इसमें घबराना क्या? प्रिया बोली।


एेसा, थोड़ी चलता है! मैने प्रिया से कहा ओर बाइक की स्पीड वापस बढाई।


ओयी, मेरी माँ थोड़ी धीरे चला ना। प्रिया बोली।


अरे, हम जल्दी पहुचेंगे, इतना बोली की गाड़ी का बेलेंस अपने आप बिगड़ने लगा और मैंने बाइक को साईड में लेकर व्हील की तरफ देखा तो पंक्चर नजर आ रहा था।


ले अब पहुंच जा जल्दी से कोलेज, कब से बोल रही हूं के शांति से चला पर मेरी तो सुनती ही नहीं है। प्रिया मुझपर जोर जोर से बोलने लगी।


ये, पंक्चर को भी आज ही होना था? मैं बोली।


अब, चल जल्दी से आगे ही दुकान है, पंक्चर बनवाकर जाते है, प्रिया बोली।


चलते चलते हम दुकान पर गए। वहां पर भी मुझसे रहा नहीं गया के मैं तुरंत ही दुकानवाले से बोली, भैया जितना हो सके उतना जल्दी बनाना प्लीज़... ये सुनते ही प्रिया मेरी ओर गुस्से भरी नजर से देखने लगी, और मुझसे कहा के अब एक शब्द भी मत बोलना।


पंक्चर बनने तक मैं चुप चाप खड़ी रही। जैसे ही पंक्चर बना की मैं बाइक चलाने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन प्रिया ने मेरे पास से बाइक ले ली और बोली अब बाइक में ***


जबतक हम कोलेज पर पहुंचे की हमारा पहला लेक्चर ख़त्म हो चूका था, दूसरा शुरू होने की तैयारी में था। बाइक को पार्क करके हम दोनों जल्दी से जल्दी क्लास की तरफ आगे बढे। जाते जाते मैं मन ही मन में भगवान से प्रार्थना करती रही की, हे भगवान प्लीज़ वह क्लास में देखने को मिले, आज मैं उससे बात करना चाहती हूं। वो तो आपको पता ही है ना?? सो प्लीज़...


ये सब सोचते सोचते हम क्लास तक पहुंच गए और जैसे ही मैंने क्लास में देखा की मेरी नजर खड़े हुये प्रेम पर पड़ी, उसको देखते ही मैं अपने मन में जोर से बोल पड़ी Yessssssssssssssss...


To be continue……


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