रामराज्य से वसुधैव कुटुंबकम्
रामराज्य से वसुधैव कुटुंबकम्
नवरात्रि के प्रथम दिन की माता शैलपुत्री की उपासना और दुर्गा माता की आरती करने के बाद जैसे ही मैं ड्राइंग रूम में आया उसी समय 'आर्ट ऑफ लिविंग ' की सक्रिय सदस्य श्रीमती गायत्री गुप्ता की ओर से मेरे मोबाइल पर कॉल आई।
फोन उठाते ही गायत्री जी चिर परिचित चहकती आवाज सुनाई दी-" जय गुरुदेव भाई साहब। कैसे हैं आप और कैसे हैं परिवार के सभी लोग""जय गुरुदेव मैडम , हम सपरिवार सकुशल हैं और आप बताइए । कैसी हैं आप और परिवार के सब लोग ?आशा और विश्वास है कि गुरुदेव और ईश्वर की कृपा से परिवार में सब कुशल मंगल ही होगा।"
"बिल्कुल आप लोगों की शुभकामनाएं, गुरुदेव और ईश्वर का आशीर्वाद है। परिवार में सभी लोग कुशल से हैं। लगता है आज के दिन आप बहुत अधिक व्यस्त रहे हैं। मैंने अपने ग्रुप की रामलीला से संदेश भेजा था लेकिन शायद बहुत अधिक व्यस्तता के कारण अभी तक आप उसे नहीं देख पाए हैं। अभी भी स्कॉर्पियो प्राइस मैं आपको पॉंच बार कॉल कर चुकी हूं। आपने छठवीं बार में कॉल रिसीव की है।"
"क्षमा चाहूंगा मैडम, जैसा कि आप जानती है कि आज नवरात्रि का पहला दिन था तो घट स्थापना आदि कुछ विशिष्ट कार्यक्रमों के कारण बाकी दिनों की तुलना में आज अधिक व्यस्तता रहती है इसलिए मैं आपका संदेश नहीं देख पाया। अभी तो हम सब लोग आरती कर रहे थे इसलिए आपका फोन रिसीव करने में विलंब हुआ जिसके लिए मैं हृदय से क्षमा प्रार्थी हूं।"
"कोई बात नहीं, मैं भी यही सोच रही थी कि नवरात्रि का आज पहला दिन है इसलिए आप अधिक व्यस्त होंगे। आपने संदेश नहीं देख पाया इसलिए ही तो मैंने सीधे आपको कॉल करके सूचना देने के उद्देश्य से कष्ट दिया है जैसा कि इसके हम सब लोगों को मालूम ही है कि इस बार रंगमंच पर तो रामलीला का आयोजन बहुत कम स्थानों पर हो पा रहा है। कुछ दूसरे रामलीला लोगों की तरह हमारा रामलीला समूह भी जूम क्लाउड एप के माध्यम से ऑनलाइन रामलीला का आयोजन करेगा। हम सब पूर्व निर्धारित समय पर, जिसकी सूचना संदेश में दी जा चुकी है, अपने-अपने घर पर रहते हुए आयोजन के लिए घर के कामों से निवृत्त होकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए रामलीला के सफल आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। समूह के कार्यकर्ताओं समिति यह तय किया है कि आपकी आवाज का हम उपयोग इस रामलीला कार्यक्रम में करना चाहेंगे। प्रतिदिन आपको बता दिया जाएगा कि उस दिन आपको किन-किन पात्रों के संवादों को बोलना है। इसमें जो साथी जिस पात्र का अभिनय कर रहा होगा वह उसी की वेशभूषा में स्क्रीन पर उस समय नजर आएगा और उसी के साथ आपने उसके संवाद बोलने हैं। उसके साथ थोड़ा सा समय देकर उसके अभिनय और आप के संवादों में तालमेल हो सके इसके लिए आप उनसे कार्यक्रम शुरू होने के कुछ समय पहले अपने रिहर्सल का कार्य पूरा कर लीजिएगा।"
मैंने नतमस्तक होते हुए अपनी स्वीकृति प्रदान करते हुए कहा- "जैसी आप लोगों की इच्छा मैडम। समिति का निर्णय शिरोधार्य है। इसके अतिरिक्त और क्या आदेश है?"
"आपके पुत्र और पुत्रवधू को राम और सीता की भूमिका निभाने का निर्णय की समिति ने निर्धारित किया है तो उन दोनों को भी तैयार रहना है। उनके अभिनय के अनुसार उनकी वेशभूषा का प्रबंध भी आपको करना है जैसे विवाह के समय वर-वधू के समान' महलों में रहने के समय राजसी वस्त्र और वनवास के समय तपस्वी की वेशभूषा। हम सबका अपनी ओर से यही भरसक प्रयत्न है कि रामलीला में यथासंभव अधिकाधिक सजीवता लाने के हमारे प्रयास सार्थक हो सकें। इसके लिए बेटे बहू को भी इसी तरह तैयार होने के लिए फायदे वेशभूषा का प्रबंध अग्रिम रूप से कर लें।"-गायत्री जी ने पूरे विश्वास और भरोसे के साथ अपनी बात रखी।
"आपके आदेश का अक्षरशः पालन किया जाएगा।"- मैंने अपनी ओर से गायत्री मैडम को आश्वस्त करते हुए कहा।
"धन्यवाद। आपसे ऐसी ही आशा थी। आप की ओर से कोई विचार, सुझाव या संशोधन हो तो अवश्य बताइएगा।"-गायत्री जी ने कहा।
मैंने कहा -"अभी तो कुछ भी नहीं। आगे आने वाले समय में यदि कुछ होगा तो मैं आपको सूचित करूंगा। ठीक है, बाकी बातें अगली मीटिंग में होंगी। जय गुरुदेव।"
"जय गुरुदेव, भाई साहब"-गायत्री जी ने कहा।
इस बार कोरोना वायरस ने जनजीवन के सभी क्रियाकलापों को प्रभावित किया है। हमें अपनी पुरानी परंपरा से हटकर इन क्रियाकलापों को एक नए रूप में क्रियान्वित करने की बाध्यता थी। इस बाध्यता ने हमें कुछ नए प्रयोग - अनुसन्धान करने का अवसर प्रदान किया है। जिस प्रकार बहुत से लोगों का ऑफिसों का काम ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम, विद्यार्थियों शिक्षकों का अध्ययन-अध्यापन अध्यापन का कार्य , बहुत से मरीजों का अपने डॉक्टरों से टेलीपैथी विधि से ही संपर्क और उसी विधि से उनकी दवाइयों का प्रिसक्रिप्शन ऑनलाइन ही चल रहा है। बहुत सारे तीर्थ स्थलों उसे देवी देवताओं के दर्शन का ऐप के माध्यम से भी कार्यक्रम चलता रहा है ठीक उसी प्रकार लोगों के कुछ समूहों ने रंगमंच पर खेली जाने वाली रामलीला के लिए भी ऑनलाइन कार्यक्रम एक बेहतर प्रयास के साथ शुरू किए।
मैंने अपनी बेटे और बहू से बात की। पहले तो वे थोड़ा हिचकिचाए लेकिन मेरे द्वारा उत्साहित किए जाने पर मैं तैयार हो गए। गायत्री मैडम द्वारा भेजी गई पी डी एफ जिसमें रामलीला मंचन की स्क्रिप्ट लिखी हुई थी और उसी के अनुरूप संवाद बोलते हुए अभिनय भी करना था। वह पीडीएफ मैंने उन्हें शेयर कर दी ताकि वे अच्छी तरह अपनी तैयारी कर सकें वे अपनी निभाई जाने वाली भूमिका के साथ न्याय कर सकें। उन्होंने बीच-बीच में परामर्श प्राप्त करने या मन में कोई जिज्ञासा आशंका होती है तो उसका समाधान करने के लिए परामर्श प्राप्त करने की बात कही। मैंने उन्हें कहा कि मैं तो हर हर उपलब्ध ही हूं मेरे अलावा समूह में जो साथी निर्देशन का कार्य संभाल रहे हैं । समय लेकर तुम वार्तालाप करके अपनी हर शंका दूर कर सकते हो और जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ अपने भी सुझाव दे सकते हो। जिससे कि तुम अपने पात्र के साथ न्याय कर सको और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भूमिका भी निभा सकते हो।
हम सभी के घरों में सभी लोग इस आभासी अर्थात वर्चुअल रामलीला के मंचन को लेकर काफी उत्साहित थे। अपने द्वारा निभाए जाने वाले पात्र के अभिनय में यथासंभव अधिकाधिक उत्कृष्टता लाने के लिए बातचीत, खानपान ,आचरण- व्यवहार में भी बदलाव का यथासंभव अधिकाधिक प्रयास करने लगे। इसका प्रभाव हम सब की वास्तविक जिंदगी में भी स्वयं को और दूसरों को भी परिलक्षित होने लगा।
इस समय शारदीय नवरात्रों में सुबह-सुबह दुर्गा सप्तशती का पाठ, सात्विक भोजन और भक्ति भावना से ओतप्रोत दिनचर्या। इसके साथ ही साथ रामलीला में अपने पात्र के संवादों को पढ़ने के साथ-साथ पूरी स्क्रिप्ट को भी पढ़ा गया। मन में कुछ जिज्ञासाएं भी जागीं। एक दूसरे के व्यवहार में होते हुए परिवर्तन को देखकर आपसी बातचीत में कुछ जिज्ञासाओं को उनके समाधान के लिए भी प्रस्तुत किया गया। इस बीच सोशल मीडिया पर भी प्राप्त विभिन्न प्रकार के संदेश पढ़े गए और उनमें रामायण से संबंधित प्रसंग वाले संदेशों को पढ़कर घरों में बैठकर चर्चाएं हुई। कई बार एक घर में हुई चर्चा को ग्रुप पर संदेशों के माध्यम से शेयर किया गया ।जिससे ग्रुप के सभी सदस्यों के घरों में यह संदेश पहुंचे, पढ़े गए और उन पर विचार- मंथन हुआ।
मेरे अपने घर में भी कहीं न कहीं आपसी संबंधों के बेहतर होते दिखाई दिए। संबंधों में कुछ शिथिलता सी महसूस हो रही थी उसमें अब उत्तरोत्तर उत्कृष्टता नजर आ रही थी। अब दूसरों की क्या बात है ? मुझे अपने ही व्यवहार में सुधार दृष्टिगोचर हुआ। अपने पुत्र , पुत्रवधू और पत्नी के साथ संबंधों में एक नयापन देते हुए सुधार करने का प्रयास किया जिसका पत्नी, बच्चों व बहू की ओर से भी प्रतिफल देखने को मिला। मेरे बड़े पुत्र और छोटे पुत्र के बीच में भ्रातृत्व भाव और अधिक प्रगाढ़ हुआ। छोटे पुत्र की अपने बड़े भाई के प्रति सम्मान की भावना अधिक बलवती हुई और उसका अपनी भाभी के प्रति आदर और सम्मान मातृवत हो गया। हम सबके व्यवहार में परिवर्तन स्पष्ट नजर आने लगा। लॉकडाउन में सुबह देर तक सोने की बुरी आदत छूट गई।
जहां पहले बाहर का काम करने के लिए दूसरे भेजने की आंतरिक भावना झलकती थी। अब यह स्थिति थी कि बड़े बड़ा बेटा किसी काम के लिए यदि जाने के लिए मन कर रहा होता और छोटे बेटे को जानकारी होती।
छोटा बेटा तुरंत कहता-" भ्राता श्री, आपका अनुज घर में बैठा रहे और आपको किसी काम के लिए बाहर निकलना पड़े तो यह मेरे लिए शर्म का विषय होगा। आप घर में बैठिए और अपने अनुज को यह कार्य संपन्न करने का सौभाग्य प्रदान कीजिए। लक्ष्मण का रामलीला में मुझे इस बार अवसर नहीं मिला तो क्या हुआ मैं घर में ही इस पात्र को जीवंत करूंगा।"
बड़ा बेटा कहता-" अरे पगले, छोटों का काम बड़ों का स्नेह और प्यार पाना है। किसी काम के लिए अपने को बचा कर छोटे भाई को किसी समस्या से जूझने के लिए भेजना बिल्कुल ही न्यायोचित नहीं है।"
किसी काम को करने से रोकना हो छोटा कहता-" बड़ों को छोटों की जिद पूरी करनी ही होती है इसलिए यह काम मैं ही करूंगा।"
ऐसी स्थिति आने पर बड़ा कहता- "यह बड़े भाई की आज्ञा है इसलिए तुम वही करोगे जो मैं कह रहा हूं ।अपनी जिद छोड़ दो।"
केवल अभिनय मात्र से विचार परिवर्तन हो जाता है जब कुंभकर्ण रावण से कहता है कि भ्राता श्री आप तो बड़े मायावी हो यदि आप सीता का स्नेह पाना ही चाहते थे तो आप राम का रूप बनाकर सीता के पास जाते। तो यह समस्या तो स्वयं सुलझ जाती। तो रावण कहता है कि मैंने ऐसा करके देखा लेकिन मैं जब - जब राम का रूप धारण करता हूं तब- तब मेरे अंदर काम, क्रोध ,मोह, लोभ आदि समस्त दुषृप्रवृत्तयां और दुर्भावनाएं समाप्त हो जाती हैं मन में वैराग्य जाग जाता है। हर प्राणी के प्रति मुझे स्नेह हो जाता है। उस स्थिति में सीता जो दूसरे की पत्नी होने के कारण मां के समान प्रतीत होती है इसलिए मुझे माया का सहारा लेकर के भी कोई लाभ नहीं हुआ। मैंने तुम्हें राम की सेना का संहार करने लिए जगाया है अब तुम यह उपदेश देने की वजह अपने भाई की आज्ञा मानकर युद्धक्षेत्र में प्रस्थान करो।
राम का अभिनय निभाने वाला बड़ा पुत्र व्हाट्सएप पर संदेश को दिखा कर मुझे कहता है कि रावण भी नीति के मार्ग पर था ।समुद्र पर सेतु बनाने के पश्चात शिवलिंग की स्थापना करके उसके राम ने उस पूजन को करने के लिए रावण को आचार्य के रूप में आमंत्रित किया। रावण ने यह प्रस्ताव स्वीकार करना अपना सौभाग्य समझा। यज्ञ विधि - विधान में पारंगत होने के कारण रावण भली भांति जानता था कि कोई भी यज्ञ पत्नी के बिना पूरा नहीं होता इसलिए रावण सीता जी को अपने साथ लाता है यज्ञ पूरा करवाता है। दक्षिणा मांगने के लिए जब उसे कहा जाता है तो वह अपनी मुक्ति मांगता है ।रामायण के पात्रों की यह विशेषता संपूर्ण मानव जाति को एक उत्कष्ट समाज स्थापित करने का संदेश देती है। यही तो है रामराज। जिसमें जीने का स्वप्न हर कोई संजोता है। हर कोई अपनी शासन व्यवस्था में रामराज लाने का सपना समाज को दिखाता है ।आज के परिप्रेक्ष्य में हमें इन सब बातों को ध्यान में रखना होगा ।तभी तो 'सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया 'की भावना जागेगी और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की स्थापना हो सकेगी।