गौरव जी का ग्रीष्मावकाश
गौरव जी का ग्रीष्मावकाश
आज की कक्षा में जिज्ञासा ने अपने अध्यापक गौरव जी से उनका एक ऐसा अनुभव साझा करने का आग्रह किया जिसमें उन्हें अपने फुरसत कुछ क्षणों का सदुपयोग करके सुख की अनुभूति हुई हो। जिज्ञासा के इस आग्रह का समर्थन सम्पूर्ण कक्षा ने समवेत स्वर में किया। गौरव जी ऐसे प्रेरणादायक प्रसंग अक्सर कक्षा में साझा करते ही रहते हैं लेकिन स्वयं को महिमा मंडित करने से सदा ही बचते रहते हैं। जिज्ञासा के आग्रह पर ग्रीष्मावकाश में उन्होंने अपने गांव में बिताए गए उनके अपने समय के बेहतर उपयोग का अवसर साझा किया।
उनके अपने गांव में उनके प्रवास के दौरान की गई गतिविधियों को साझा करते हुए उन्होंने बताया-"पिछले कई वर्षों से ग्रीष्मावकाश शिक्षा विभाग की ओर से हम सबके प्रशिक्षण कार्यक्रम होते रहे हैं इसलिए मैं भी पिछले कई वर्षों से मैं अपने गांव नहीं जा पाया था। इस वर्ष ग्रीष्मावकाश में गांव में समय बिताने का सौभाग्य मिला। मेरा गांव तहसील स्तर के कस्बे से करीब आठ किलोमीटर दूर है। सरकार के इतने प्रयासों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अभी तक जागरूकता की कमी है। लोग अभी भी अपने बच्चों का नियमित टीकाकरण नियत समय पर नहीं करा पाते हैं। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए वे गर्भवती मां की नियमित जांच उसके उचित पोषण कभी प्रबंधन ठीक से नहीं कर पाते। बच्चे के जन्म के बाद भी उसके स्वास्थ्य पर उचित ढंग से ध्यान नहीं दे पाते। अधिकांश बच्चे कुपोषित और विभिन्न रोगों से ग्रस्त मिलते हैं। ग्राम स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी को भी वे उचित सहयोग नहीं दे पाते।
उनके सहयोग की कमी और कुछ स्वास्थ्य कर्मियों की व्यक्तिगत लापरवाही से ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाती। मैंने गांव जाकर सुबह शाम लोगों से संपर्क किया क्योंकि ग्रीष्मावकाश के दौरान दोपहर में तेज धूप और लू का प्रकोप होता है। लोगों से संपर्क करने पर लोगों से संपर्क करने पर लोगों ने शिकायत की गांव में स्वास्थ्य कर्मी कर्मी प्राय: नहीं आते। कुछ लोगों ने जो बताया उसे यह भी पता लगा कि इस समय इस समय स्वास्थ्य कर्मी और गांव वालों दोनों की हीओर से शिथिलता है। गांव के स्वास्थ्य कर्मी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सा अधिकारी से संपर्क किया। गांव के लोगों से भी बात करके उनके मन में स्वास्थ्य से संबंधित जो कुछ भ्रांतियां उनके मन में थी उन्हें दूर किया। स्वास्थ्य कर्मी को भी विश्वास में लिया कि आप को गांव के हर व्यक्ति से पूरा सहयोग मिलेगा। अब आप अपनी दायित्व का निर्वहन बिना किसी बाधा के कर सकेंगे। इन प्रयासों से गांव के लोगों और स्वास्थ्य कर्मी के बीच जो संवाद हीनता के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनी हुई थी उन्हें दूर करने में काफी मदद मिली। गांव के आंगनवाड़ी केंद्र में आंगनवाड़ी कर्मचारियों से भी संपर्क किया आंगनवाड़ी में जाने वाले बच्चों के परिवारों से भी संपर्क किया आंगनवाड़ी केंद्र सुचारू रूप से चले ऐसा प्रबंधन करने का सफल प्रयास किया।अब लोगों के सहयोग और स्वस्थ कर्मियों की अपने कर्तव्य के प्रति जिम्मेदारी का बोध होने के कारण स्वास्थ्य संबंधी जो समस्या हमारे गांव में थी और मैं काफी हद तक सुधार हुआ था मुझे ऐसा लगा कि इस बार मेरी ग्रीष्मावकाश की छुट्टियों का भी उपयोग हमारे समाज के लिए हो सका।समय का ऐसा सदुपयोग जो हमारे समाज के विकास के लाभप्रद हो तो हमारा जीवन सार्थक होता है।
प्रकाश ने गौरव जी की प्रशंसा करते हुए कहा-" सर ,आप हमारे प्रेरणा स्रोत हैं।आपके कार्यों और अनुभवों से हम सब प्रेरित होते हैं। हम सबके मन में भी समाज के लिए हितकर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। हम लोग भी आपके निर्देशों के अनुसार अपने को अपने समाज और देश के उपयोग में स्वयं को लगा पाते हैं। आज के समय में यही तो देश भक्ति है 'देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें'।"
पूरी कक्षा ने स्पेशल बटरफ्लाई क्लैप के माध्यम से गौरव जी के इस प्रेरणादायक प्रसंग की भूरि-भूरि प्रशंसा की।