उस समय की शिक्षा की आज के समय में कल्पना कर पाना भी व्यर्थ है उस समय की शिक्षा की आज के समय में कल्पना कर पाना भी व्यर्थ है
इसी तरह जब ज़िंदगी में हमें धक्के लगते हैं लोगों के व्यवहार से~! इसी तरह जब ज़िंदगी में हमें धक्के लगते हैं लोगों के व्यवहार से~!
कुछ महीनों बाद वह भिखारी रोहन और रोहन की माँ से मिलने आया। उसने रोहन की माँ को धन्यवाद दिया। रोहन को... कुछ महीनों बाद वह भिखारी रोहन और रोहन की माँ से मिलने आया। उसने रोहन की माँ को ध...
हमेशा की तरह, समस्याओं से जूझती, मज़बूत सी दीवार बनी अपनी दीदी की पुरानी सूरत आज कुछ जानी पहचानी सी ल... हमेशा की तरह, समस्याओं से जूझती, मज़बूत सी दीवार बनी अपनी दीदी की पुरानी सूरत आज ...
इन्हें कहाँ से पराई लगती हूँ अभी तक समझ नहीं आया इन्हें कहाँ से पराई लगती हूँ अभी तक समझ नहीं आया
सदा एक नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना तथा दुखी होते रहना...पता नहीं कैसा शौक बन गया था सदा एक नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना तथा दुखी होते रहना...पता नहीं कैसा शौक बन गया ...