Nikita Vishnoi

Others

5.0  

Nikita Vishnoi

Others

दर्द

दर्द

1 min
213


एक पल भी देर नहीं लगी बाऊजी को मुझे पराया कहते हुए....मैंने कौन सी कसर रखी अपनापन जताने में, हर समय सबका सहयोग किया, उनकी एक आवाज़ में हाज़िर हो जाया करती थी मैं। इनकी दवाई का प्रबंध भी कर दिया करती थी, माँ की अनुपस्थिति में भी दोनों घर की जिम्मेदारी को निभाया करती हूं। सासू माँ के लाख विरोध करने पर भी जान छिड़कती हूँ दोनों जगह एक जैसा ही व्यवहार प्रदर्शित करती हूं। इन्हें कहाँ से पराई लगती हूँ अभी तक समझ नहीं आया।

आज कन्धा भी मेरा बहुत दर्द कर रहा है सुबह से स्कूल, ट्यूशन बच्चों को पढ़ाना, सिर दर्द भी बहुत हो रहा है थोड़ी देर सो जाऊँ, मगर पल भर के विचार ने दर्द को दरकिनार कर दिया। माँ के गुजर जाने के बाद बाबूजी को समय समय पर दवाई देनी होती है बाबूजी डायबिटीज़ के मरीज है, भैया विदेश चले गए है, वो अपनी गृहस्थी में व्यस्त है तब से आज तक उन्होंने यह जानना आवश्यक नहीं समझा कि मेरे माँ- बाबूजी कैसे है जिंदा भी है या नहीं। चलना चाहिए सुमन उठो अब बाबूजी तुम्हारी प्रतीक्षा में होंगे।

लेकिन मैं सुमन प्रयास करूँगी की मुझसे ये परायापन का टैग हट जाए।


Rate this content
Log in