मेरी कहानी
मेरी कहानी
बैंगनी रंग के पुराने से घिसे सूट पर गुलाबी दुपट्टा लिए वो बला की खूबसूरत लग रही थी। गोरी तो नहीं थी, साफ़ गेहुंआ रंग, सुराहीदार गर्दन, बड़ी / बड़ी पलकों वाली हिरणी सी आँखें। गोलाई लिए छोटी सी नाक, होंठ उसके चेहरे का सबसे सुन्दर हिस्सा थे। गुलाबी रस भरे। उसकी चाल में एक अजीब सी फूहड़ता थी, जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं। उसका पैर पटक / पटक कर चलना मुझे बिलकुल पसन्द नहीं। जब वो पैर पटक कर चलती तो उसका पूरा बदन हिल जाता, लड़कों की नज़र उसके आँचल पर जमी रहती। मैं बड़ी सफ़ाई से चोरी / चोरी उसको देखता। चोरी / चोरी बग़ल से उसके बाल और एक गाल ही नज़र आते, बाक़ी अक्स में अपनी इमैजिनेशन से पूरा कर लेता। उसकी आवाज़ थोड़ी भारी सी थी, एक खनक़ लिए। मैंने उसकी आवाज़ में यस सर / यस मेम ही सुना है वो भी दैनिक हाज़िरी के समय। वो क्लास में आते ही रजनी को ढूँढती और उसकी बग़ल में बैठ जाती। बोलती तो वो यकीनन थी क्योंकि उसके होंठ हिलते दिखते, पर आवाज़ शायद बहुत धीमी रहती हो। मेरे सपनों पर उसका एकाधिकार हो चुका था। नींद के सपनों से ज़्यादा जागती आँखों के सपनों पर उसका पूरा क़ब्ज़ा हो चुका था। वो अक्सर मेरे ख़्यालों में खुली आँख के ख़्वाबों में सरक आती, फिर बस हम दोनों, दुनिया से दूर अपनी हसीन दुनिया में।
“कल तुम कितनी सुन्दर लग रही थी, बंद गले के नारंगी स्वेटर में ” मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा। “ बुददु हो तुम, वो हाई नेक का स्वेटर था ” उसने प्यार से मेरे सिर पर एक टीप लगाई। हाँ वही हाई नेक में तुम्हारी गर्दन बहुत सुन्दर लग रही थी। तुम जाड़े भर हाई नेक स्वेटर ही पहना करो। “वो ज़्यादा ठण्ड में पहना जाता है, रोज़ पहनूँगी तो उबल जाऊँगी, तुम मुझे उबालना चाहते हो। वो हँस रही थी और मैं एकटक उसको देख रहा था। “ यूँ ही हंसती रहा करो, अच्छी लगती हो ” मैंने उसके गालों पर आयी लट को हटाते हुए बोला। उसने मेरा सिर सहला दिया, अरे वाह ! तुम्हारे बाल तो बहुत सिल्की / सिल्की हैं। “आओ मेरी गोद में सिर रख कर लेट जाओ।" कोई देखेगा तो क्या सोचेगा ? दिखावे के लिए मैंने बोला, वैसे मन ही मन लड्डू फूट रहे थे।“ तो मत रखो, मैं सारी दुनिया की परवाह छोड़ तुम्हारे पास आ जाती हूँ, और तुम हो कि —-” उसकी आँखों में आँसू थे। सॉरी !! मैं घबरा गया, मैंने रूमाल से उसकी आँखों के किनारे आ गयी नमी को पोंछा। “जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करूँगा” मैंने उसके नर्म हाथ को पकड़ते हुए कहा। “ठीक ! फिर रखो अपना सिर मेरी गोद में।" उसकी आँखें ख़ुशी से चमक उठी। रखो ! वो अपने पैर फैलाते हुए बोली। मैंने अपना सर उसकी गोद में टिका दिया, वो मेरे बालों से खेलने लगी। मैं जन्नत सा सुख पा रहा था। आँखें बंद किए उसकी बातों के जवाब में हूँ / हाँ करते कितना समय बीत गया पता ही नहीं चला। ”अब मुझे जाना होगा, बहुत देर हो गयी है।" अभी से ! मैं नहीं चाहता था वो जाए। फिर आओगी ना ? मैंने पूछा। ज़रूर, यदि तुम दिल से बुलाओगे तो मैं ज़रूर आऊँगी। “वादा”! मैंने उसकी आँखों में झांका। ”पक्का वादा” पर एक शर्त है, यह सारी बातें सिर्फ हम दोनों के बीच रहेंगी, किसी भी दिन यदि हमारी कहानी किसी तीसरे को पता लगी तो मैं नहीं आऊँगी। यह तेरी / मेरी कहानी है। मैं चलती हूँ। हम दोनों ने आज तक अपना वादा निभाया मैंने किसी को नहीं बताया हमारी कहानी के बारे में। पर आज जब यह सब लिख चुका हूँ, तो वो शायद अब कभी न आए। हमारी कहानी, अब सिर्फ मेरी कहानी है। ।