रुबीना
रुबीना


रयान को प्लेस्टेशन पर खेलता देख, माला उन्नीदी सी हो गई। ना जाने कब आंख लग गई। दोपहर के तीन बज चुके थे। दुर्गा बर्तन धो कर जा चुकी थी। रयान की ट्यूशन 6बजे से थी। सुबह 5बजे से उठ कर माला चक्करघिन्नी की तरह काम करते/ करते थक जाती।
आज रयान के स्कूल की छुट्टी थी, नहीं तो 3बजे उसके स्कूल से वापिस आने का समय होता था। उसको खाना खिलाते, होमवर्क कराते 5 बज जाते, फिर रात के खाने की तैयारी।
वैसे तो खाना बनाने वाली नंदा भी थी, परंतु माला को लगातार उसके साथ लगे रहना पड़ता था।
रोटी राजेश को गर्मागर्म पसंद है, इसलिए माला अपने हाथ से राजेश के लिए रोटियां सेकती। राजेश अमूमन 6बजे तक ऑफिस से आते, पर रात का खाना 9बजे के बाद ही खाते। नंदा 7बजे तक चली जाती, सो रोटी माला ही सेकती है।थक जाती हूं, पर क्या करूं? सोचते/ सोचते माला की आंख लग गई।
"सुनो रूबीना जरा पैर दबा दो"
"यस मेम", रुबीना अपने कोमल स्पंजी हाथों से माला के पैर दबाने लगी।
स्वर्ग यही
है, माला ने आनंद से आंखे बंद कर ली।तभी डोरबेल बजी,
"जस्ट ए मिनट मेम", रुबीना ने जाकर दरवाजा खोला। राजेश आ गए।
"रूबीना सर के लिए चाय बना दो" , माला धीमे से बोली।
राजेश ने थोड़ी हैरानी से रुबीना को देखा," नंदा की छुट्टी है क्या? यह कौन है ?"
"नंदा अब नहीं आएगी, माला मुस्कुराई। अब रुबीना हम लोगों के साथ ही रहेगी,24 घंटे।"
"पागल हो गई है क्या आप? 24 घंटे की मैड हम लोग अफोर्ड नहीं कर सकते, जानती हो ना?"
"बिलकुल अफोर्ड कर सकते हैं, माला मुस्कुराई , एकदम फ्री।"
"फ्री? कैसे?" राजेश हैरान था।
"रयान के प्लेस्टेशन से मिली है, यह एक एलियन है,एलियन विद सुपरपावर", माला ने गर्व से बताया।राजेश ने शक भरी निगाहों से रुबीना को देखा।
"रयान कहां है? दिखाई नहीं दे रहा?"
"मैं यहां हूं डैड", रयान सोफे पर बैठा था।राजेश को तसल्ली हो गई।रुबीना तीनों की नजर बचा कर मुस्कुरा रही थी।एक रहस्य से भरी मुस्कुराहट।।