दो फुट
दो फुट
धीरज के सिर पर पट्टी बँधी थी , एक अधूरी पगड़ी की तरह , माथे के दाएँ हिस्से की पट्टी पर दवा का काला सा धब्बा बन गया था ।दायीं आँख के चारों और कालापन और सूजन दोनों आ गए थे । “ पानी दे देना , दवा खानी है ” धीरज ने स्मिता को आवाज़ दी । साड़ी का पल्लू सम्भालती स्मिता ने पानी का गिलास धीरज को पकड़ाते हुए पूछा “ दर्द हो रहा है ना ? क्या झगड़ा ज़रूरी था ? ज्ञान को भी चोट आयी है , मिल बैठ कर बातचीत से भी तो कोई रास्ता निकल सकता था ।
क्या मुझे लड़ाईझगड़ा पसंद है ? धीरज ने गोली खाकर गिलास ज़मीन पर रख दिया । वो क्या सुनने को तैयार था ।जानती हो मैंने गोद में खिलाया है उसे , उसको चोट लगी तो उसका दर्द भी मुझे ही हुआ । पर आज इतना बड़ा हो गया कि छोटेबड़े का फ़र्क़ भूल गया है ।
“ खाना लगा दूँ ?" बात बदलने के लिए स्मिता ने पूछ लिया ।
ज्ञान और धीरज का घर अग़ल बग़ल था । अग़ल बग़ल क्या एक ही आँगन के दो हिस्से । कभी छोटे से मकान का बड़ा सा आँगन था । धीरज सबसे बड़ा , उसके बाद रेवती और नंदा , सबसे छोटा ज्ञान । चारों दिन भर आँगन में लगे आम के पेड़ की छाँव में धम्मा चौकड़ी करते । डाँट सबसे ज़्यादा धीरज को ही पड़ती , सबसे बड़ा जो था । कमला के चारों बच्चे आपस में ही खेल लेते । कमला अक्सर धीरज को समझाती “ देख धीरज तू सबसे बड़ा है , सबका ध्यान रखना है तुझे , ख़ास करके ज्ञानू का , वो सबसे छोटा है । रेवती और नन्दा तो अपनी ससुराल चली जाएँगी । ज्ञान और तू प्रेम से रहना । “ मैं ज्ञान का ध्यान रखूँगा माँ , आप बस उसको समझा दो मुझे बड़ा भाई ही माना करे , कभीकभी फ़ालतू रोने लगता है । धीरज नाराज़गी से बोला । “ मैं उसको समझा दूँगी ” कमला धीरे से मुस्कुरा दी ।
सुनो जी , कमला ने चतुर सिंह से कहा । “ बेटियाँ बड़ी हो रही हैं , आपको इनके हाथ पीले करने की चिंता है कि नहीं ? रेवती अठारह की हो गयी है और नन्दा सत्रह की ।
"चलाई है रेवती की बात मैंने" , चतरु हाथ धोते हुए बोला ।
दो साल के भीतर कमला की दोनो बेटियाँ अपनेअपने ससुराल चली गई । धीरज के लिए कमला स्मिता जैसी प्यारी बहू ले आई । सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक दिन घर वापिस आते चतुर सिंह की अचानक मौत हो गई । शायद दिल का दौरा पड़ा था , सभी लोगों का यही अंदाज़ा था , आख़िर एक स्वस्थ आदमी के अचानक मरने का और क्या कारण हो सकता था
।चतुर सिंह की मौत का ग़म कमला को भीतरभीतर खा गया और साल भर के भीतर वो भी दुनिया से चली गई ।अब धीरजस्मिता ज्ञान का ज़्यादा ध्यान रखने लगे ।
ज्ञान को धीरज ने शहर के कॉलेज में दाख़िला दिला दिया । कॉलेज में ही ज्ञान को रानी से प्यार हो गया । ज्ञान की ज़िद पर धीरज ने रानी से उसकी शादी करा दी । एक साल तो किसी तरह बीत गया । रानी के व्यवहार से तंग आकर आख़िर में आँगन और घर दो हिस्सों में बँट गये ।पश्चिम का हिस्सा धीरज को मिला और पूरब का ज्ञान को । ज्ञान के ससुराल वालों की लगातार धखल से दोनों परिवारों में झगड़ा होने लगा । हफ़्ते भर पहले ज्ञान के सालों ने धीरज के आँगन से आने वाली नाली को बंद कर दिया । धीरज जब बातचीत के लिए गया तो दोनो मार पीट करने लगे । धीरज की तरफ़ से पड़ोसी आ गये। चारपाँच लोगों को चोट आ गई । पुलिस को बुलाना पड़ा । समझौते के बाद पंचायत में मामला चला गया ।
सरपंच राम सिंह ने ज्ञान से पूछा “ बेटा तुम छोटे हो , पहले तुम बताओ ” ?
"जी सरपंच जी , इनका पानी मेरे आँगन से निकलता है , इनको अपने पानी की निकासी दूसरी तरफ़ से करनी चाहिए । ज्ञान ने हकलाते हुए बोला । वो जानता था उसके तर्क में दम नहीं है , पर घर से रानी और साले सिखा कर भेजे थे , “ दबना नहीं , अपनी बात पर अड़े रहना ।
“ पर बेटा , नाली , रास्ता जो पहले से बना हो उसको रोका नहीं जा सकता ।यही नियम है । सरपंच ने ज्ञान को समझाया ।
“ पर सरपंच जी मेरे आँगन की एक फ़ुट जगह तो इनकी नाली में चली गई , आँगन छोटा हो गया है मेरा ”।ज्ञान ने कुतर्क किया ।
सरपंच ने बेबसी से पंचों और धीरज की तरफ़ देखा ।फिर ज्ञान से बोले “ बेटा आधा बीघे के आँगन में एक फ़ुट की जगह होती ही कितनी है ?
“ पर मेरा आँगन छोटा हो जायेगा , यह मुझे दीवार के साथ लगी एक फ़ुट की ज़मीन अपने हिस्से से दे दे , तो ही मैं इनकी नाली अपने आँगन से जाने दूँगा ।
” ठीक है सरपंच जी ” धीरज तुरंत बोला , मैं अपने छोटे भाई को दीवार से लगी दो फ़ुट की जगह देता हूँ । ज्ञान तुम्हें मंज़ूर है ? और हाथ का दर्द कैसा है तेरा ? धीरज की आँख में आँसू आ गये ।
ज्ञान भी सिर झुकाए रोता रहा । उसकी कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं हुई ।दो फ़ुट ज़मीन के बोझ से ज्ञान दब गया , अभिमान दब गया । धीरज का प्यार एक बार फिर जीत गया , दो फ़ुट ज़मीन हार कर ।।