खींदड़ा
खींदड़ा


चूने से पुती दीवारों पर बेतरतीब खींची लाल/ भूरी लकीरों को देख कालू हैरान था। कौन रात में आकर अच्छी / भली पुताई को ख़राब कर गया। कितनी मेहनत से उसने और माँ ने मिलकर पूरे दिन हलकान होकर कमरे को पोता था। सुन्दर सा दो फ़ीट का निचला हिस्सा हरा बनाया था, गोबर से। चारों कोनों पर माँ ने गोबर से कितनी प्यारी डिज़ाइन बनाई थी। घास की कूची को माँ कितनी सफ़ाई से चलाती है। घास के बड़े लकड़ी के हैंडल वाले ब्रश से चूना पोता, फिर माँ ने गोबर घोला था। उसने भी पूरी मदद की थी। चूने से माँ के हाथ कट गए थे। चूना क्या पत्थर थे, सफ़ेद पानी छोड़ते पत्थर। माँ ने रात भर लोहे की बाल्टी में भिगोया, फिर सुबह हाथ चला कर घोल तैयार किया था। बेचारी की एक उँगली और अँगूठे से खून निकलने लगा था।
“ चल नहा ले, माँ ने आवाज़ दी। स्कूल नहीं जाना है क्या ?
अभी आता हूँ। कालू चुन्नी की ओट से बनाये बाथरूम में नहाने चला गया। लाइफ़ब्याय साबुन की लाल बट्टी से कालू रगड़/ रगड़ कर नहाया।
बाहर आते ही माँ ने ढेर सारा सरसों का तेल उसके सिर पर लगा दिया।
कितना तेल लगाती हो माँ ? पसीने के साथ गालों पर बहने लगता है, सारे लड़के मज़ाक़ बनाते हैं। थोड़ा सा लगाया करो।
रहने दे, सब लड़के फ़र्स्ट आते है क्या? मेरा कालू ही फ़र्स्ट आता है, माँ ने प्यार से कालू के सिर पर हाथ फिराया। चल रोटी खा ले। माँ ने मक्के की बासी रोटी और दूध का गिलास कालू को पकड़ा दिया।
माँ एक बात तो बताओ, यह दीवार किसने ख़राब कर दी।
कालू आ चल, ,किशन ने आवाज़ दी।
माँ, मैं जा रहा हूँ। कालू बस्ता टाँग कर किशन के साथ निकल पड़ा।
माँ, आज तो मज़ा आ गया, कालू जोश से बोला।
क्या हो गया ? कमला ने लाड़ से पूछा।
माँ, शिप्रा मैडम ने दाँत की सफ़ाई के लिए एक नोट दिया था, सिर्फ़ पाँच मिनट में याद करके लिखना था। मैंने दस के दस उत्तर एकदम सही लिखे, सिर्फ़ मैंने माँ। बाक़ी कोई भी चार से ज़्यादा नहीं लिख पाया। कालू आँखें चमकाते हुए बोला।
शाबाश, कमला ने उसकी पीठ थपथपाई। चल खाना खा ले।
एक बात बताओ माँ, वो पुताई किसने ख़राब कर दी ?
अरे बूद्दु, खटमल मारे है रात को मैंने, तेरा खून पीकर भाग रहे थे। मैंने खींदड़े ( खींदड़ा = कपड़े के कई टुकड़ों को हाथ सिल कर बनाया हुआ बीछोना)को कई बार पलट कर उसके नीचे बैठे खटमलों को मारा।
हम लोग खींदड़े पर क्यों सोते है ? रुई वाला ग़द्दा क्यों नहीं ले लेते ?
बेटा तू बड़ा आदमी बन जा, फिर तू अच्छा सा रुई वाला नर्म ग़द्दा ले आना।
और तब ना होगा खींदड़ा ना होंगे खटमल, तू भी आराम से सोना माँ। कालू की आँखें ख़ुशी से चमक रही थी।