Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

4  

Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

खेल / खेल में

खेल / खेल में

6 mins
340


भागो बिना देखे दो कदम पीछे हटी, फिर कनखियों से देखा, यह क्या प्रीतम और पीछे चला गया। प्रीतम, शिवम् से बात कर रहा था। भागो यानी विमला, उस के पैदा होने के बाद ही उसके पापा भास्कर की नौकरी लगी थी, पक्की सरकारी। सो विमला का पहला नाम भाग्य वाली यानी भागो पड़ गया।पंडित जी ने जन्म पत्री देख कर विमला नाम रखा। भविष्य उज्जवल है कन्या का, सुन्दर होगी, बहुत अमीर घर में शादी होगी पर —— गहरी साँस लेते हुए पंडित जी ने कहा था “ पर सन्तान सुख में कमी रहेगी।

जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही भागो ग़ज़ब की खूबसूरत निकल आयी। चार भाई / बहनों में सबसे छोटी। भाइयों की लाड़ली, पापा की जान। 

भागो अनजान बन कर प्रीतम की तरफ़ पीठ किये और पीछे हटी। उसकी साँसें प्रीतम को छूने के ख़्याल से तेज चलने लगी, चेहरा लाल हो गया। गुलाबी होंठ लरज रहे थे।एक कदम और पीछे भागो किसी के बदन से टकरा गई। उसका दिल मानो सीने से बाहर आ जायेगा। “ भाग ! भागो, लाइन आ रही है, मीरा ने उसके कन्धे पर ज़ोर से हाथ मारा। पकड़म / पकड़ाई का खेल चल रहा था। धत तेरे की, यह तो मीरा थी भागो भागने लगी, पर बच्चों की लाइन ने उसे तुरंत पकड़ लिया। अब भागो लाइन में हाथ पकड़े बाक़ी बचे बच्चों को पकड़ने दौड़ने लगी। सनी के बाद प्रीतम को भी छू लिया गया। प्रीतम को लाइन के एक कोने पर रखा गया, तेज दौड़ता था न। तीन बच्चे और बचे थे। भागो लाइन के बीच में थी, जब भी कोई बच्चा लाइन के दायरे में आता भागो लाइन तोड़ देती और बच्चा भाग जाता। सब बच्चे भागो पर चिल्ला पड़ते। थक हार कर भागो को प्रीतम के साथ लगा दिया गया। भागो की मानो लॉटरी लग गई। प्रीतम का हाथ पकड़े भागो शर्म से लाल हुए जा रही थी। आख़िर में जुगनू पकड़ में आया। लाइन तोड़ दी गई, पर भागो प्रीतम का हाथ छोड़ ही नहीं रही थी। “ चल हाथ छोड़, प्रीतम हाथ छुड़ा कर भागा, जुगनू आ रहा है छूने। भागो भी भागी। जुगनू ने मैदान के उस पार राजू को छू लिया। दो लोगों की लाइन बन गई। मीरा और भागो साथ / साथ भाग कर घास के ढेर के पीछे छुप गई। “ तू बहुत चिपक रही है प्रीतम भैया से ? क्या बात है ? मीरा ने चुटकी ली। “ पागल हो गई क्या ? ऐसा कुछ नहीं है। भागो हकला गई।

रहने दे ! यह नाटक मेरे सामने मत कर, किस तरह तू बार / बार जान बूझ कर लाइन तोड़ रही थी, प्रीतम भाई का हाथ तो तूने एक बार भी नहीं छोड़ा। मीरा धीरे से हँसी। 

“ उसके हाथों में जान है, कस कर पकड़ा था उसने,इसलिए तो नहीं तोड़ी लाइन मैंने। 

“ रहने दे !! मैं इतनी भोली भी नहीं। हाथों में जान है हुँह। मीरा ने ताना दिया। 

यह दोनों छिप कर बैठी हैं, यह ग़लत है, अब ये दोनो पकड़ेंगी सबको, निहाल ने मीरा और भागो को छुपा हुआ देख लिया। 

हाँ, यह बहुत ग़लत बात है इन दोनों की !! सुरेश भी आ गया। 

“ चलो रात हो चली, आज का खेल यहीं ख़त्म। प्रीतम ने अपने बालों को झटकते हुए मानो आख़िरी फ़ैसला सुनाया। 

भागो एकटक प्रीतम को देखे जा रही थी। प्रीतम के चेहरे के ऊपर पूनम के चाँद की किरने पड़ रही थी, एक अजीब सा नूर था उसके चेहरे पर, भागो अपलक उसको देखे जा रही थी।

“ और, कल मीरा और भागो ही सबको पकड़ेंगी बिना लाइन के। चलो अब, प्रीतम गाँव की तरफ़ चल दिया। सारे बच्चे छोटी / छोटी टोलियों में अपने / अपने घर की तरफ़ चल दिए। 

“ भाई ! यह तो ज़्यादती है, बिना लाइन के आप को , जुगनू, रमेश को कैसे पकड़ेंगे, कितना तेज़ दौड़ते हो सब ? मीरा ने प्रीतम से शिकायत की। 

“ छुपने से पहले मुझ से पूछा था क्या ? प्रीतम की आवाज़ तेज हो गई। और भागो तो तैयार है, तुझे ही क्यों तकलीफ़ है ? ” 

वो तो तैयार हो ही जायेगी, आपने जो कहा है। मीरा धीरे से हँसी।

मतलब ?? प्रीतम चलते / चलते रुक गया। 

मतलब, वो आपकी बहुत इज्जत करती है। मीरा के होंठों पर आयी शरारती मुस्कान को प्रीतम नहीं देख पाया। 

“ तो तू इज्जत नहीं करती मेरी ? तुम दोनों को बिना लाइन के सबको पकड़ना है, बस !! 

ठीक है, मीरा थोड़ा मायूस हो गई।

अगली रात आठ बजे तक गाँव के सभी बच्चे खेलने के लिए जमा हो गये। 

खेल के दौरान कोई छुपेगा नहीं, अगर छिपते हुए पकड़ा गया, तो वो अकेले, बिना लाइन के सबको छुएगा। ठीक है ? प्रीतम ने सबकी तरफ़ देखा। 

ठीक है !!! सबने एक सुर में बोला। 

और आज पहले भागो सबको छुएगी अकेले, फिर मीरा। चलो शुरु करो। 

सारे बच्चे मैदान के अलग / अलग हिस्सों में भाग गये। 

बिना लाइन के भागो ने छोटे / छोटे तीन बच्चों को पकड़ने के बाद हारी मान ली।थक कर पेड़ के नीचे बैठ गई। “ मैं आज और नहीं खेलूँगी ” उसका गोरा मुखड़ा लाल पड़ गया था। 

प्रीतम भी उसके पास आ गया, उसने पहली बार ध्यान से भागो को देखा। कितनी ख़ूबसूरत है ? भागो से आँखें मिली। प्रीतम मानो जड़ हो गया। कितना प्यार है इसकी आँखों में ??उफ़्फ़ !! यह क्या हो रहा है मुझे ? उसके शरीर में अजीब सी तरंगें उठी।

मैं भी थक गया हूँ, बाक़ी सब लोग खेलो, थोड़ा आराम कर लूँ। प्रीतम बैठते हुए बोला। 

यह कोई बात नहीं हुई भाई ? रंजना बोली। 

“ अगली बाज़ी में खेलूँगा ना ” प्रीतम बोला 

ठीक ! बाक़ी बच्चों की टोली फिर से खेलने लगी। 

चाँद कितना सुन्दर दिख रहा है ? है ना। प्रीतम ने कनखियों से भागो को देखते हुए कहा।

हूँ —— सुन्दर है। भागो खोई सी बोली। तुम्हारे हाथ की चोट अब ठीक हो गई ? 

कौन सी चोट ? प्रीतम ने अपने दोनों हाथ आगे फैलाए।

भागो ने उसके दाहिने हाथ के अंगूठे के पीछे की तरफ़ पड़े चोट के निशान को धीरे से सहलाया, “ यही चोट, कितना दर्द हुआ था तुम्हें, तड़प गए थे।” 

यह तो तीन महीने पहले लगी थी। अब बिल्कुल दर्द नहीं है। प्रीतम को भागो के छूने से अजीब सा, मगर प्यारा सा अहसास हुआ। साथ ही वो हैरान था कि भागो को उसकी इतनी पुरानी चोट याद थी। उसने मुश्किल से अपना हाथ वापिस खींचा। 

“ लाओ दिखाओ, भागो ने उसका हाथ वापिस खींच लिया। “ एक बात बताओ ? तुम्हें पता है चाँद पर कोई रहता है क्या ? ” 

चाँद पर कोई नहीं रहता, वहाँ न पानी है न हवा। प्रीतम को यह प्रश्न मूर्खतापूर्ण लगा। 

भागो धीरे / धीरे चोट के निशान को सहलाती जा रही थी। प्रीतम उसके प्यारे मुखड़े को देखे जा रहा था।बाक़ी बच्चों की पकड़ो / पकड़ो, छू लो, भाग/ भाग की आवाज़ें आ रही थी। मानो दो प्रेमियों के संसार से पृथक नेपथ्य में एक अलग दुनिया चल रही थी। प्रेम के संसार से एकदम भिन्न।

दोनो घास के ढेर के पीछे सरक गये। भागो ने अपने रस भरे गुलाबी होंठों से प्रीतम के हाथ को चूम लिया। 

प्रीतम ने भागो को अपनी तरफ़ खींच कर अपने से चिपका लिया। भागो ने कोई विरोध नहीं किया। दोनों की साँसें धौंकनी की तरह चलने लगी। प्रीतम ने अपने होंठों को भागो के होंठों से चिपका दिया। दो मिनट बाद दोनो अलग हो कर घास के ढेर के पीछे बैठ गये। 

“ यह ग़लत बात है। ” मीरा और रंजना एक साथ चिल्लाई। दोनों छुप कर बैठे हो, अब अगली बार भाई और भागो सबको छुएँगे वो भी सिर्फ़ दो की लाइन में। 

“ ठीक है !!! दोनो एक साथ बोले। 

ओहो, यह बात है। मीरा ने चुटकी ली। दोनों तैयार बैठे हो। 

“ मारूँगा तुम्हें, बहुत ज़ोर से। प्रीतम ने मीरा को डाँटा।

“ हाँ _ हाँ _ मुझे ही मारोगे। उसको तो अब कुछ बोलने से रहे। मीरा शरारत से बोल कर भाग गई।

प्रीतम और भागो एक दूसरे का हाथ पकड़े बाक़ी बच्चों को छूने की अनमनी सी कोशिश करने लगे। दोनो प्रार्थना कर रहे थे “ काश यह खेल कभी ख़त्म न हो !!! 

उनकी प्रार्थना स्वीकार कर लो भगवान, संसार में प्यार वैसे भी आउट ओफ़ स्टॉक हो गया है। स्वीकार कर लो भगवान। प्लीज़, प्लीज़,प्लीज़।। स्वीकार कर लो। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance