Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Drama

4  

Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Drama

माला के बिखरे मोती (भाग ६०)

माला के बिखरे मोती (भाग ६०)

5 mins
18


  अगला दिन...


   आज नाश्ते के समय डाइनिंग टेबल पर खुशी का माहौल है। आज नाश्ते में चांदनी और ईशा ने भोज काका से कहकर विशेष रूप से अपनी पसंद का नाश्ता का नाश्ता बनवाया है। सभी लोग डाइनिंग टेबल पर अपनी अपनी जगह आकर बैठ चुके हैं। कुछ सेवक नाश्ता परोस रहे हैं। आज नाश्ता परोसते समय चांदनी और ईशा खड़े होकर सबकी प्लेटों में नाश्ता परोसवाने का काम कर रही हैं। आज ये दोनों बहुत खुश जो हैं। इनका खुश होना लाज़मी भी है। क्योंकि इस परिवार में पहली बार घर की परंपरा को तोड़ते हुए घर की दो बहुओं को घर से बाहर जाकर कुछ काम करने दिया जा रहा है।


   अब सबने नाश्ता करना शुरू कर दिया है। कुछ हल्की फुल्की सी बातें भी चल रही हैं। तभी बातों बातों में काया चांदनी और ईशा की ओर देखकर पूछ बैठी,


   "आपने अपनी एकेडमी का कोई नाम भी सोचा है या नहीं? एकेडमी का कुछ नाम भी रखना होगा।"


   काया की इस बात पर सभी ने गर्दन हिलाकर सहमति जताई है और सवालिया नज़रों से चांदनी की ओर देखने लगे हैं।


चांदनी (थोड़ा हिचकिचाते हुए): काया दीदी, नाम का क्या है। नाम तो कुछ भी रख लेंगे। वैसे एकेडमी का नाम अभी तो मैंने कुछ सोचा नहीं है।


काया: फिर भी भाभी, एकेडमी का कोई नाम तो आपने सोचकर रखा ही होगा। क्योंकि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एकेडमी खोलने का सपना आपकी शादी से पहले का ही रहा है। तो आपने कभी तो सोचा होगा कि जब एकेडमी खुलेगी, तो उसका यह नाम रखेंगी।


चांदनी: हां दीदी। तब की बात कुछ और थी। शादी से पहले जब एकेडमी खोलने का सपना इन आँखों ने देखा था, तब तो अपने ही नाम पर एकेडमी का नाम रखने का सोचा था। फिर कभी यह सोचती थी कि जब मेरी शादी होगी और उसके बाद एकेडमी खुलेगी तो अपने नाम और पति के नाम को मिलाकर कोई नाम रखूंगी। लेकिन अब तो स्थिति कुछ और हो गई है।


ईशा (मुस्कुराते हुए): क्या स्थिति हो गई है चांदनी भाभी? यही न, कि अब आप और मैं साथ में मिलकर एकेडमी खोल रहे हैं। तो इससे क्या फ़र्क पड़ता है भाभी? आप एकेडमी का नाम अपने नाम पर या अपने नाम और विजय भईया के नाम पर रख लीजिए। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। क्योंकि हो सकता है, भविष्य में मैं एकेडमी में गाना सिखाना बंद कर दूं। तब भी एकेडमी आपकी ही रहेगी। अब आप ज़्यादा मत सोचिए और एकेडमी का नाम अपने नाम पर रख लीजिए... "चांदनी डांस एकेडमी"।


चांदनी: सो स्वीट ऑफ़ यू ईशा। लेकिन फिर भी मैं विचार करूंगी नाम पर। जिससे तुम्हें कल को यह न लगे कि तुम्हारी भी बराबर की मेहनत होती है और नाम सिर्फ़ मेरा होता है। 


विजय: मेरे पास एकेडमी के नाम को लेकर तुम दोनों की इस उलझन का एक उपाय है। कहो तो बताऊं?


चांदनी: हां, जल्दी बताइए न। क्या उपाय है आपके पास? 


विजय: देखो, एकेडमी का नाम तुम दोनों के नामों को मिलाकर भी तो रखा जा सकता है न। अगर हम अंग्रेज़ी में "Chaandni" का "Ni" और "Eesha" का "Sha" लेते हैं, तो इससे "Nisha" बन जाएगा। 


   विजय की इस बात पर चांदनी और ईशा खुशी से उछलते हुए एक ही स्वर में बोल पड़ीं,


   "यही नाम रख लेते हैं...निशा डांसिंग एंड सिंगिंग एकेडमी।"


   चांदनी और ईशा की खुशी देखकर परिवार के सभी सदस्यों के चेहरे पर चमक आ गई है और उन्होंने ताली बजाकर इस बात पर खुशी ज़ाहिर की है।


यश: तो बच्चों, अब बस तय हो गया है कि "निशा डांसिंग एंड सिंगिंग एकेडमी" जल्द खुलेगी। एक बात और, जैसा कि अभी ईशा बहू ने कहा कि भविष्य में किसी कारणवश ईशा ने एकेडमी में गाना सिखाना बंद कर दिया या भगवान न करें कि किसी वजह से चांदनी बहू और ईशा बहू में भविष्य में कोई मतभेद या विवाद होने के कारण ईशा बहू एकेडमी से अलग होती है, तब भी एकेडमी का नाम "निशा डांसिंग एकेडमी" जारी रह सकता है। वर्ना तब इसका नाम बदलकर चांदनी बहू के नाम पर रख दिया जाएगा। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। आजकल बड़ी से बड़ी कंपनियों के नाम रातों रात बदल दिए जाते हैं। टीवी चैनलों के नाम बदल दिए जाते हैं। तो यह फिर एक छोटी सी डांस एकेडमी है। थोड़े दिनों के बाद लोग नए नामों को अपना ही लेते हैं और पुराने नामों को भूल जाते हैं।


ईशा: आपने बिल्कुल सही सोचा पापाजी। हमें भविष्य का बिल्कुल नहीं पता होता है। कल को कुछ भी हो सकता है। इसलिए उसकी तैयारी अभी से करके चलना होगा। वैसे आप ईश्वर से दुआ कीजिए कि चांदनी भाभी और मुझ में कोई लड़ाई न हो और हमारी एकेडमी ख़ूब तरक्की करे।


माला: ईशा बहू, हम दोनों की दुआ और हम दोनों का आशीर्वाद तो हमेशा तुम सब बच्चों के साथ है। मुझे पता है कि तुम दोनों बहुएं बहुत समझदार हो। तो भविष्य में तुम दोनों के बीच कोई विवाद होगा, इसकी संभावना कम ही है।


यश: तो फिर तय रहा कि एकेडमी खोलने के काम का शुभारंभ जल्दी से जल्दी किया जाएगा। बस डेढ़ दो महीनों के अंदर हमारी दो बहुएं चांदनी और ईशा घर की परंपरा को तोड़ते हुए घर की दहलीज़ से बाहर जाकर अपने दम पर कुछ काम करेंगी और हमारा नाम रौशन करेंगी।


जय: आपने सही कहा पापा। आप बस डेढ़ दो महीनों का समय दीजिए। एकेडमी शुरू हो जाएगी।


   बातों बातों में सबका नाश्ता ख़त्म हो गया है। सभी पुरुष सदस्य नाश्ता ख़त्म करके ऑफ़िस जाने के लिए निकलने लगे हैं। विजय की नज़रें चांदनी की नज़रों से टकराई हैं और धनंजय की नज़रें ईशा की नज़रों से टकराई हैं। विजय और धनंजय आसानी से महसूस कर पा रहे हैं कि चांदनी और ईशा कितनी खुश हैं।


   सब पुरुष सदस्यों के घर से निकलते ही एक बार फिर से घर की सभी महिलाएं खुशी से फूली नहीं समा रहीं हैं। चांदनी और ईशा एक दूसरे के गले लगकर बहुत खुश हो रही हैं। माला, आरती, भावना और देविका भी खुश हैं और थोड़ी चिंतित भी। चिंता इस बात की भी हो गई है कि कहीं एकेडमी की वजह से चांदनी और ईशा में मनमुटाव न हो जाए।


   तभी शांति ने वहाँ अचानक आकर सबको चौंका सा दिया है। शांति तो रोज़ की तरह धुलने वाले कपड़े ही लेने आई है। लेकिन आज न जाने क्यों, किसी को उसका इस मौक़े पर आना अच्छा सा नहीं लगा। शुभ अवसर पर शांति की उपस्थिति का मतलब अशांति के आने की घड़ी नज़दीक होना...! देखते हैं आगे क्या होता है...!


(क्रमशः)


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract