Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Drama Classics

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Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Drama Classics

माला के बिखरे मोती (भाग ६१)

माला के बिखरे मोती (भाग ६१)

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अगली सुबह...

आज नाश्ते की टेबल पर सब बहुत खुश लग रहे हैं। सब सदस्य आराम से बातें करते हुए नाश्ता कर रहे हैं। थोड़ी देर के बाद, सभी पुरुष सदस्य नाश्ता ख़त्म करके ऑफ़िस जाने के लिए निकल रहे हैं। 

 उनके जाने के थोड़ी देर के बाद शांति धुलने के लिए कपड़े लेने आई है। आज वह सबसे पहले चांदनी के कमरे में पहुंची है। इस समय चांदनी अपने कमरे में इधर उधर रखे सामान को सही जगह पर रखकर कमरे की सफ़ाई कर रही है। साथ ही, कुछ गुनगुना भी रही थी। अचानक पीछे से आकर शांति ने उसको चौंका सा दिया है।

शांति: चांदनी भाभी, नमस्ते। 

चांदनी: अरे शांति, तू तो आज जल्दी आ गई! आरती भाभी और भावना भाभी के कमरों में जाकर बड़ी जल्दी आ भी गई!

शांति: नहीं भाभीजी। आज मैंने सोचा कि मैं सबसे पहले आपके कमरे में आकर आपसे कपड़े ले लूं और आपको आपकी डांस एकेडमी खुलने का रास्ता साफ़ होने की बधाई भी दे दूं।

चांदनी: बधाई तो ठीक है। लेकिन यह एकेडमी खुलने का रास्ता साफ़ होने से तेरा क्या मतलब है? 

शांति: भाभीजी, मेरी बात का कोई मतलब वतलब नहीं है। मैं तो हमेशा सीधी बात कहती हूं। आपकी डांस एकेडमी खुले, यह तो घर में कोई नहीं चाहता था। न तो मम्मीजी पापाजी, न कोई भी भैयाजी और न ही कोई सी भाभीजी। लेकिन अचानक सब मान गए, वह भी रातों रात। कोई तो अंदर की बात है, जो आप समझ नहीं रही हैं।

चांदनी: मैं क्या नहीं समझ रही हूं? और तू मुझे क्या समझाना चाहती है? साफ़ साफ़ बोल?

शांति: मैं तो यह कह रही हूं भाभीजी कि जो काम इस परिवार में सालों से आज तक नहीं हुआ, वह काम इतनी आसानी से कैसे हो गया? आज तक तो इस घर की किसी बहू बेटी ने घर के बाहर जाकर कोई काम नहीं किया। अब देखो, आपको और ईशा भाभीजी को करने दिया जा रहा है। वह भी नाचने और गाने जैसा काम...

 शांति अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई कि चांदनी शांति पर ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली,

 "शांति, तू अब अपनी बकवास बंद करेगी या नहीं? तू यह क्या बकवास कर रही है? नाचने और गाने जैसा काम...? क्या नाच और गाना सिखाना घटिया काम होता है? 

 शांति ने देखा कि चांदनी भाभीजी उसकी बात पर भड़क गई हैं, तो उसने अपना पैंतरा बदला। अब अपनी आवाज़ में चाशनी घोलते हुए शांति बोली,

 "मेरा मतलब वह नहीं था भाभीजी, जो आप समझ रही हैं। मैं तो नाचने गाने को बुरा नहीं समझती। लेकिन मम्मीजी और इस घर की बाक़ी बहुएं तो समझती हैं।"

चांदनी: मैं मानती हूं कि शुरू में मम्मीजी और घर के सभी बेटों को मेरी डांस एकेडमी खुलने से दिक्कत रही होगी। लेकिन बाद में ये सब भी मान ही गए थे। मेरी दोनों जेठानियाँ और देविका भी मेरी डांस एकेडमी खुलने से खुश हैं। मुझे नहीं लगता कि अब किसी को नाचने गाने के काम को छोटा समझने की ज़रूरत है। किसी को कोई ऐतराज़ नहीं है। 

शांति: भाभीजी, आप बहुत भोली हैं। ऐतराज़ तो मन ही मन में सबको है। लेकिन सबने एकेडमी खोलने की बात को अपने अपने कारण से स्वीकार करने में ही अब भलाई समझी है।

चांदनी: सबने कौन सी भलाई समझी है? तू कहना क्या चाहती है?

शांति: देखिए भाभीजी। मुझे घुमा फिराकर बात करने की आदत तो है नहीं। सारी भाभियाँ आपकी एकेडमी खुलने पर इसलिए राज़ी हैं, जिससे उनको भी भविष्य में अपनी मनमानी करने का मौक़ा मिले। सारे भाई भी इसलिए राज़ी हुए, क्योंकि कल को कोई ऊंच नीच हुई तो सारा ठीकरा आपके सिर पर फोड़ देंगे। जहाँ तक बात पापाजी की है, मुझे लगता है उनको मम्मीजी ने मनाया होगा, यह कहकर कि यदि पापाजी ने एकेडमी खोलने का विरोध किया, तो विजय भैया और धनंजय भैया उनसे बग़ावत न कर दें। या आप और ईशा भाभीजी मनमानी पर न आ जाएं।

चांदनी (गुस्से में): अब तू बहुत बोल चुकी है शांति। अब तू अपनी बकवास बातें बंद कर। तुझे कैसे पता कि अगर पापाजी एकेडमी खोलने की अनुमति नहीं देते, तो हम लोग बग़ावत कर देते? तू ये मनगढ़ंत बातें करना बंद कर और जा यहाँ से। मुझे और भी काम करने हैं।....और सुन....ख़बरदार, तू अपनी यह बकवास बातें घर में किसी और के सामने नहीं करेगी। समझी...?

शांति: ठीक है भाभीजी। मैं तो चली। मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी।

 लेकिन शांति कहाँ मानने वाली है? वह तो आज जैसे ठान कर आई है कि सभी भाभियों में दरार डालनी है। चांदनी के कमरे से निकलकर अब शांति आरती के कमरे में आई है।

आरती (शांति को देखकर झुंझलाते हुए): आज कहाँ अटक गई थी शांति? न जाने कितनी देर से तेरा इंतज़ार कर रही हूं। 

शांति (सकपकाकर बोलने का नाटक करते हुए): माफ़ करिएगा आरती भाभीजी। आज मैं पहले चांदनी भाभीजी के कमरे में चली गई थी। इसलिए देर हो गई।

आरती (हैरानी से): चांदनी के कमरे में? क्यों क्या हुआ? रोज़ तो तू सबसे पहले मेरे कमरे से धुलने के लिए कपड़े लेकर जाती है। तो आज अचानक चांदनी के कमरे में तेरा जाना कैसे हुआ?

शांति: असल में चांदनी भाभीजी को मुझसे कुछ बात करनी थी। इसलिए उन्होंने ज़ोर देकर मुझे पहले अपने कमरे में बुला लिया था। फिर वे मुझसे बातें करने लगीं। तो इसी में समय का पता ही नहीं चला। मैंने तो कई बार कहा कि मुझे देर हो रही है। मुझे सबके कमरों में जाकर कपड़े लेने हैं। लेकिन चांदनी भाभीजी मुझे छोड़ ही नहीं रही थीं।

 यह कहकर शांति आरती की ओर देखकर एक आँख दबाकर कुटिलता से हँसने लगी। आरती को बहुत बुरा लगा है।

आरती: ऐसी क्या ज़रूरी बात करनी थी चांदनी को तुझसे? उसको यह होश भी नहीं रहा कि बातें तो बाद में हो सकती हैं। पहले जिस काम के लिए तू आई है, वह करे। चांदनी की ज़रूरी बात के लिए सब हाथ पर हाथ रखे हुए बैठे थोड़े ही रहेंगे। उसको पता होना चाहिए कि गृहस्थी में सुबह सुबह कितने काम होते हैं। लेकिन अब उसको क्या फ़र्क पड़ता है। वह तो अब थोड़े दिनों में सुबह सुबह सज धज कर चल दिया करेगी अपनी डांस एकेडमी। ईशा भी उसकी दुम की तरह उसके पीछे पीछे चल दिया करेगी। हम तीन बहुएं ही फ़ालतू हैं, जो घर के काम करेंगी। (क्रमशः)


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