व्हाट्सऐप ग्रुप
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मेरी पुरानी कॉलोनी के एक दोस्त ने दो साल पहले एक व्हाट्सऐप ग्रुप में मुझे जोड़ लिया।
मैं व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़ तो गया, मगर मुझे एक परेशानी सामने आई कि सब बड़े हो चुके हैं, तो फ़ोटो देखकर सबको पहचानना मुश्किल हो रहा था और सबके नंबर के साथ नाम भी फ़ॉर्मल वाले ही लिखे थे। जिनके बारे में मुझे कुछ पता नहीं था। क्योंकि हम सब तो बचपन में घर के नामों से ही एक दूसरे को बुलाते थे।
मगर व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़ते ही, बचपन के कुछ पुराने दोस्तों ने मुझे मेरे फ़ोटो से पहचान लिया। फिर तो अपनेपन का और पुराने क़िस्सों का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अब तक जारी है।
