क़िस्सा नवरात्रि का
क़िस्सा नवरात्रि का
मुझे बचपन से व्रत रखने, पूजा पाठ करने और व्रत के विशेष व्यंजन खाने का बहुत मन रहता था।
मेरा बालमन था, तो मम्मी जैसा जैसा बताती रहती थीं, मैं वैसा ही करता था।
विशेष रूप से नवरात्रि के अवसर पर सुबह जल्दी नहा धोकर बैठ जाता था। मम्मी के साथ व्रत की पूजा की सारी विधि करता था। फिर व्रत के विशेष व्यंजनों का आनंद लेता था, जिनमें कुट्टू के आटे की पूरियाँ, सेंधा नमक से बने चटपटे आलू की सब्ज़ी और मेवों की खीर होते थे।
मम्मी ने मुझे बताया कि व्रत में गेहूँ का आटा, सादा नमक और कोई भी खट्टी चीज़ नहीं खानी है।
मम्मी ने जैसे ही खाना परोसा, मम्मी ने झूठ मूठ सबको सुनाते हुए, मुझे चिढ़ाते हुए कह दिया,
"आज कुट्टू का आटा कम था। मैंने उसमें थोड़ा गेहूँ का आटा मिला दिया है और सब्ज़ी थोड़ी कम खट्टी थी, तो उसमें नींबू निचोड़ दिया है। अब न पूरियाँ कम पड़ेंगी और सब्ज़ी भी बढ़िया हो गई।"
मैं तो ठहरा बच्चा...!! मैंने रोना शुरू कर दिया। वह खाना खाने से मना कर दिया, यह कहकर,
"मैं यह खाना नहीं खाऊंगा। मेरा व्रत टूट जाएगा।"
सब मन ही मन हँस रहे थे।
